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● पिछले पांच साल में आधी सीटें भी नहीं भर रहीं, तो और पोलिटेक्निक खोलने की तैयारी क्यों...?
रायपुर। कोई भी सरकार अपने काम-काज को लेकर यह जताना चाहती है कि वह समय और जरूरत के अनुकूल सरकार चलाने में समर्थ है जिससे लोगों में यह संदेश जाए की जन-हितैशी सरकार है तो इसमें रोजगार, शिक्षा, व्यापार ही पहले नंबर पर आते हैं। इधर पिछले कुछ सालों से जो हाल शिक्षा का है उससे सरकार के कामकाज के तौर तरीकों पर ही सवाल उठने लगे हैं। एक ओर पूरे देश में नई शिक्षा प्रणाली लागू करने की तैयारी हो गई है वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में पोलिटेक्निक संस्थानों का बुरा हाल है। पूरे प्रदेश में कुल 47 पोलिटेक्निक कॉलेज हैं और पिछले पांच सालों का आलम यह है कि इनमें की आधी सीटें भी नहीं भर पाती हैं। इस बात से बाखबर होते हुए भी पांच नए पोलिटेक्निक संस्थान खोलने की तैयारी कर ली गई है। यदि ऐसा है तो सवाल उठता है क्यों आखिर ?
सूत्रों के मुताबिक नए पोलिटेक्निक संस्थान बगीचा, चिरमिरी, पथरिया, मरवाही और थानखम्हरिया में खोले जाएंगे। इन संस्थानों की त्वरित अनुमति के लिए ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) को पत्र भी लिखा जा चुका है। यहां से मान्यता मिल जाने के बाद अगले शिक्षा सत्र 2024-25 से इन संस्थानों में प्रवेश दिए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक शासन ने पिछले साल ही पांच पोलिटेक्निक को शुरू करने की अनुमति दी थी। कहा जाता है कि तब विभिन्न कारणों से वे संस्थान शुरू नहीं हो पाए। हालांकि इसका नुकसान तो छात्रों को ही हुआ क्योंकि पहले से ही स्थापित पोलिटेक्निक में भी आधे से अधिक सीटें खाली ही रह गई थीं।
बताते चलें कि प्रदेश में दूसरी ओर 32 शासकीय, एक यूनिवर्सिटी और 14 निजी संस्थान हैं। पिछले कुछ सालों में प्रवेश का रुख इस तरह से रहा है कि कुछ ही संस्थानों में पूरी सीटें भर पाईं वो भी किसी तरह। इसी तरह कुछ ब्रांच जैसे इलेक्ट्रॉनिक एंड टेलिकम्युनिकेशन सिविल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड फायर सेफ्टी सहित मेकेनिकल में एडमिशन कम हो रहे हैं।
इस ब्रांच की ज्यादातर सीटें खाली ही रह गई हैं । पिछली बार यानी सत्र 2023-24 के आंकड़ों से पता चलता है कि पोलिटेक्निक की कल 7615 सीटें हैं। इनमें से 2875 यानी 37.7 फीसदी सीटों में ही प्रवेश हुए। 4740 यानी करीब 60 फीसदी सीटें खाली ही रह गईं। इस मामले में जानकारों का कहना है कि पोलिटेक्निक की परंपरागत ब्रांच में छात्रों का रुझान कम हो रहा है। कहा जा रहा है कि इसे देखते हुए वर्तमान समय की मांग के अनुरूप ही ब्रांच खोले जाने चाहिए। अन्यथा प्रवेश को लेकर आगे भी यही स्थिति बनी रह सकती है।
छात्राओं की फीस माफ फिर भी दाखिले कम- प्रदेश में 32 शासकीय पोलिटेक्निक कॉलेज हैं इनमें से 28 कॉलेज को-एडुकेशन के तहत संचालित हैं जिनमें छात्र और छात्राएं दोनों ही होते हैं। इसके अलावा चार तो गर्ल्स पोलिटेक्निक कॉलेज हैं। शासकीय पोलिटेक्निक में गर्ल्स की ट्यूशन फी माफ कर दी गई है। यानी इन्हें यहां पढ़ने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है इसके बाद भी प्रवेश के लिए रुझान कम है। जानकारी के मुताबिक कुछ साल पहले तक पोलिटेक्निक में जितने एडमिशन होते थे उनमें से आधी संख्या तो लड़कियों की ही रहती थी लेकिन पिछले कुछ सालों में लड़कियों की संख्या में बहुत कमी आई है और अब तो यह घट कर केवल 25 से 30 प्रतिशत ही रह गई है। |
सत्र | कुल सीटें | एडमिशन | खाली |
2023-24 | 7615 | 2878 (37.7 फीसदी) | 4740 |
2022-23 | 8664 | 1928 ( 22.2 फीसदी) | 6736 |
2021-22 | 8296 | 3030 ( 36.6 फीसदी) | 266 |
2020-21 | 9069 | 4268( 47.6 फीसदी) | 4801 |
2019-20 | 10524 | 4208 ( 40 फीसदी ) | 6316 |
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