अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
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■ तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को जमानत, शीर्ष कोर्ट ने कहा केस पूरा होने में अत्यधिक देरी और जमानत देने की उच्च सीमा एक साथ नहीं चल सकती
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालतें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को किसी आरोपी को बिना सुनवाई जेल में रखने के लिए पीएमएलए की सख्त जमानत शर्तों को औजार के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नही दे सकती। यह आरोपी के त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है। शीर्ष कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री और द्रमुक नेता सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिग मामले में जमानत देते हुए यह टिप्पणी की ।
बालाजी ने जमानत याचिका खारिज करने के चेन्नई हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने कहा बालाजी गिरफ्तारी के बाद 15 माह से अधिक वक्त से जेल में हैं। धन शोधन निवारण अधिनियम ( पीएमएलए ) की घारा -4 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग की न्यूनतम सजा 3 तीन साल है जिसे सात 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है। मामले में 2000 से अधिक आरोपी और 600 से ज्यादा गवाह होने का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा निकट भविष्य में सुनवाई होने की संभावना नहीं है। मुकदमा पूरा होने में अत्यधिक देरी और जमानत देने मे देरी एक साथ नहीं चल सकती।
लंबे समय तक कैद में रखना आजादी और त्वरित सुनवाई के हक का उल्लंघन है.. पीठ ने एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अदालतों के पास जमानत देने का अधिकार है । यह स्पष्ट है कि सुनवाई उचित समय पर पूरी होगी तो ऐसे मामलों में विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक कैद में रखना स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार व त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है। जब पीएमएलए के तहत शिकायत की सुनवाई उचित सीमा से आगे बढ़ने की संभावना हो तो अदालतों को जमानत देने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने पर विचार करना होगा। गवाह या पीड़ित से संपर्क किया तो जमानत रद्द पीठ ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि अपीलकर्ता ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीएमएलए के तहत अधिसूचित अपराधों के साथ अपराधों में किसी अभियोजन पक्ष के गवाह या पीड़ित से संपर्क का प्रयास भी किया है तो यह अपीलकर्ता को दी गई जमानत को रद्द कर देने का आधार होगा। नौकरी के बदले नकदी घोटाले में ईडी ने किया था गिरफ्तार ईडी ने बालाजी को गत 14 जून को नौकरी के बदले नकदी घोटाले से जुडे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। मामला उस समय का है बालाजी अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे। ईडी ने पिछले साल 12 अगस्त को बालाजी के खिलाफ 3000 पृष्ठों का चार्ज शीट दाखिल किया था। जमानत की कड़ी शर्तें- पीठ ने ईडी की ओर से पेश सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता की गवाहों को प्रभावित कर सकने की दलील पर बालाजी की जमानत पर कड़ी शर्तें लगाई हैं।
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■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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