• 28 Apr, 2025

उच्च संस्थानों की ग्रेडिंग खत्म

उच्च संस्थानों की ग्रेडिंग खत्म

● कॉलेज और विश्वविद्यालयों को अब मिलेगा लेवल ऑफ एक्सीलेंस

नई दिल्ली। देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को नैक की ओर से मिलने वाला ग्रेडिंग सिस्टम खत्म हो रहा है। इसकी जगह बाइनरी सिस्टम लागू होगा। जैसा कि नाम से जाहिर है इनमें दो किस्म के संस्थान ही होंगे- एक मान्यता प्राप्त और दूसरा गैर मान्यता प्राप्त । यह बदलाव या  नई व्यवस्था इसी साल के दिसंबर माह से लागू होगी।

नई व्यवस्था में मान्यता प्राप्त संस्थानों को लेवल ऑफ एक्सीलेंस मिलेंगे। उन्हें परिपक्वता के आधार पर केवल-1,2,3,4 और 5 तक लेवल मिलेंगे। कहा  गया है कि इसे इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री केपिसेटी  मैच्युरिटी मॉडल की तरह समझ सकते हैं। इसी तरह एजुकेशन सेक्टर में एक्सीलेंस लेवल होंगे। इंडस्ट्री की तरह शिक्षण संस्थानों का लेवल वर्गीकरण करने वाला भारत पहला देश होगा।

  • मौजूदा सात 7 ग्रेड वाला सिस्टम खत्म हो जाएगा-

बाइनरी सिस्टम लागू होते ही मौजूदा सात 7 ग्रेड वाला ( ए - प्लस प्लस , ए -प्लस ,  ए, बी -प्लस प्लस, बी -प्लस, बी और सी ग्रेड ) वाला सिस्टम खत्म हो जाएगा। हालांकि केवल सिस्टम की परिभाषा तय करने में पांच से छह महीने
लगने की संभावना है और दिसंबर से ही संस्थानों की परिपक्वता के आधार पर लेवल ऑफ एक्सीलेंस हासिल करने का मौका मिलेगा।

  • दावों के सत्यापन के बाद मिलेंगे  लेवल-

नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल ( नैक) की कार्यकारी परिषद के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुध्दे ने बताया कि लेवल ऑफ एक्सीलेंस -1,2,3 और 4 नेशनल जबकि लेवल 5 पांच इंटरनेशनल होगा। किसी संस्थान को यह अपने आप नहीं मिल जाएगा।  एक कमेटी हर लेवल के मानक तय करेगी और उन्हें पूरा करने पर संस्थान लेवल 1,2 और 3 का होगा।  इन मानकों में पेटेंट, रिसर्च पब्लिकेशन, इनोवेशन, प्लेसमेंट समाज पर असर आदि बातें शामिल हैं। 

इन्हें पूरा करने पर कोई संस्थान लेवल के लिए आवेदन करने का हकदार बनता है। आवेदन के बाद दावों का सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन के बाद ही उचित लेवह हासिल किया जा सकेगा। 
 

नेट स्कोर से अब सीधे पीएचडी में एडमिशन

नई दिल्ली । अब छात्र नेट के स्कोर से सीधे पीएचडी में एडमिशन ले सकेंगे। अभी तो कई यूनिवर्सिटी अपने पीएचडी कार्यक्रमों में एडमिशन के लिए अलग से एंट्रेंस एक्जाम लेते हैं। ऐसे में छात्रों को कई किस्म की एंट्रेंस परीक्षाएं देनी होती है। यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने बताया कि - फैसले का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रवेश प्रक्रिया को व्यवस्थित करना है। मालूम हो कि यूजीसी वर्ष में दो बार ( जून व दिसंबर ) में राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा  (नेट) लेता है। वर्तमान में नेट स्कोर का इस्तेमाल जूनियर रिसर्च फेलो ( जेआरएफ) देने और सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति की पात्रता के रूप में होता है।