• 28 Apr, 2025

सरकार एक्शन ले नहीं तो हम लेंगे- सुप्रीम कोर्ट

सरकार एक्शन ले नहीं तो हम लेंगे- सुप्रीम कोर्ट

• केन्द्र और मणिपुर दोनों सरकारों को चेताया, कार्रवाई के लिए कुछ समय दे रहे हैं.. एक्शन लीजिए..
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा वीडियो परेशान करने वाला है, महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में इस्तेमाल करना अस्वीकार्य है..
• मेरा हृदय क्रोध से भर गया है, देश शर्मसार हुआ, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे

नई दिल्ली । मणिपुर में मई से चली आ रही हिंसा के बाद पिछले दिनों एक शर्मनाक वीडियो वायरल हुआ जो मणिपुर का ही बताया गया है। उस वीडियो में मणिपुर की कुकी समुदाय की कुछ महिलाओं को निरवसन करके जबरदस्ती सड़क पर घसीटने का वीडियो वारयल होने के बाद 20 जुलाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है।  संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हां और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि – उक्त वीडियो देखने के बाद हम बहुत परेशान हैं और अदालत को महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में इस्तेमाल करना अस्वीकार्य है। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी पूछा है कि उसने इस भयानक घटना के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई की। इसके साथ ही 28 जुलाई को होने वाली सुनवाई से पहले केन्द्रीय गृहमंत्रालय और मणिपुर के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने के निर्देश दिये हैं। 

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह कोई नहीं जानता कि यह अपनी तरह की अकेली घटना है या इस तरह का वहां कोई पैटर्न है। इसके साथ ही पूछा कि – राज्य सरकार बताए की इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य ने क्या कदम उठाये हैं। हम कुछ समय दे रहे हैं और इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई तो कोर्ट को दखल देना पड़ेगा। इस पर वकील ने वीडियो पुराना होने की जानकारी दी तो कोर्ट ने कहा हम जानते हैं वीडियो 4 मई का है पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। 

  • क्या था पूरा मामला
    चार माह पहले यह अप्रैल की खबर है कि मणिपुर उच्च न्यायालय ने  राज्य को मणिपुर के मैतेई समुदाय को एसटी (अनुसूचित जाति) सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया था। 
          यह देखते हुए कि मणिपुर सरकार पिछले 10 सालों से मैतेई समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने से बचती रही है मणिपुर हाईकोर्ट ने तब चार सप्ताह के भीतर समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने के अनुरोध पर विचारे और केन्द्र सरकार को विचार करन के लिए एक सिफारिश भेजने का निर्देश दिया है। 
          मैतेई जनजाति संघ के सदस्यों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मणिपुर हाईकोर्ट की एक एकल न्यायाधीश पीठ  जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन शामिल थे ने फैसला दिया राज्य शामिल करने के लिए  प्रतिनिधित्व पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश देना उचित होगा। 
          हाईकोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को लगातार मांगों औऱ अभ्यावेदन के बाद केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 2023 में मणिपुर सरकार को एक पत्र भेजा था जिसमें उन्हें एसटी सूची में शामिल करने के लिए समुदाय के अनुरोध की ओर इशारा किया गया था। 
          तब जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने कहा था कि एसटी सूची में शामिल करने के लिए अनुमोदित तौर –तरीकों के अनुसार प्रस्ताव राज्य सरकार से आना चाहिए हालांकि कहा जाता है कि तब से ही राज्य सरकार ने इस बारे में केन्द्र सरकार को कोई फाइल नहीं भेजी। 
    वर्तमान में ओबीसी या एससी के रूप में वर्गीकृत मैतेई समुदाय राज्या के आधे से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में हावी हैं। इनमें से अधिकांश खुद को हिन्दू बताते हैं जबकि इनमें 8 प्रतिशत मुस्लिम भी हैं। अनुसूचित जनजाति मांग समिति मणिपुर के माध्यम से यह समुदाय दशकों से एसटी दर्जे की मांग कर रहा है। उनका तर्क है कि 1949 में भारत में विलय से पहले उन्हें मणिपुर की जनजातियों में से एक के रूप में सूचीबध्द किया गया था पर जब संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश 1950 का मसौदा तैयार किया गया तब इन्होंने यह टैग खो दिया
  • बस इनकी मांग पर राज्य के मौजूदा 36 एसटी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले आदिवासी छात्र संघों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका तर्क है कि मैतेई को एसटी का दर्जा देने से आरक्षण के माध्यम से वहां के आदिवासी समुदाय की रक्षा का उद्देश्य विफल हो जायेगा। बस इसी बात पर मणिपुर में कुकी आदिवासी इनका विरोध कर रहे हैं। इसी विरोध के परिणाम स्वरूप हिंसक गतिविधियां जैसे  आगजनी और तोड़फोड़ की घटना मई 2023 में  मणिपुर में शुरू हो गई थी। 
  • मैतेयी बहुसंख्य हैं – 2 महीने एफआईआर दबी रही
  • वीडियो वायरल हुआ तो हुई कार्रवाई 
       मणिपुर में एसटी में शामिल करने की मांग कर रहे बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के हजार से ज्यादा लोगों ने चार मई को एक गांव में हमला कर दिया जो कुकी बहुल कहा जाता है। हमलावरों ने तीन कुकी महिलाओं और दो पुरुषों को पकड़ लिया। किसी तरह इनमें से एक महिला बच कर निकल गई तो दो को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया और उनसे सामुहिक दुष्कर्म किया गया। उन्मत्त मैतेई लोगों की भीड़ ने दोनो पकड़े गए कुकी पुरुषों की गोली मार कर हत्या कर दी। वारदात के बाद दोनों पीड़ित कुकी महिलाएं अपने कुकी बहुल क्षेत्रों में पहुचीं। घटना की रिपोर्ट घटना के करीब दस दिनों बाद 13 मई को काक्पोकपी जिले साइकुल थाने में जीरो नंबर एफआईआऱ के जरिये की गई।  21 जून को साइकुल थाने से उक्त एफआईआर रिपोर्ट थाउबुल के थाने में दर्ज हुई । 
       इधर इतने दिनों तक पुलिस इस पर हाथ पर हाथ धरे बैठी रही जब 19 जुलाई को इस मामले का वीडियो सामने आया तब कोर्ट के संज्ञान लेने के 24 घंटे के भीतर इस घटना के आरोपी 32 साल के खयरूम हेरादास सहित चार अन्य आरोपियों को 20 जुलाई गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। बाकी आरोपियों के बारे में पड़ताल जारी है। 
  • मणिपुर में क्या चल रहा था जुलाई तक
  • 3 हजार बंदूकें और 6 लाख गोलियां लूटीं
  • ढाई महीने में सरकारी मालखाने से तीन हजार बंदूकें और 6 लाख गोलियां लूटीं गईं, वे लौटाई नहीं गईं। 
  • हिंसा के पहले पांच दिनों में मारे गए 70 लोगों के शव मर्चुरी शवगृहों में हैं। शीर्ष कोर्ट के आदेश पर ही परिजनों को सौंपे जा रहे हैं। 
  • 60 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। 10 हजार से ज्यादा ने पड़ोसी राज्यों में शरण ली है।
  • हिंसा की पांच हजार घटनाओं को लेकर 6 हजार एफआईआऱ हो चुकी है 147 लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
  • चुराचांदपुर में कुकी समर्थकों की रैली
    कुकी बहुल चुराचांदपुर इलाके में इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने 20 जुलाई गुरुवार को बरसते पानी में अपनी मांगों को लेकर रैली निकाली। भारी बारिश के बाद में बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए। पीड़ित कुकी समुदाय के लोग अलग प्रशासनिक क्षेत्र देने की मांग कर रहे हैं।