• 28 Apr, 2025

वाद्य यंत्रों की मधुर ताल के साथ कलाकारों के मनमोहक नृत्य

वाद्य यंत्रों की मधुर ताल के साथ कलाकारों के मनमोहक नृत्य

लाेगों ने जानीं छत्तीसगढ़ सरकार की खूबियां

रायपुर. राजधानी के साइंस कालेज मैदान में लगातार दूसरे और तीसरे दिन भी आदिवासी कलाकारों के नृत्यों की धूम मची रही। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2021 में वाद्य यंत्रों की मधुर ताल के साथ कलाकारों के हाव-भाव मंच की शोभा बढ़ाते रहे। लद्दाख के जबरो नृत्य हो या असम के बीहू, सिक्किम के तमांग सेला हो या त्रिपुरा के होजागिर, अरूणांचल का जूजू-जाजा नृत्य हो या छत्तीसगढ़ के पारंपरिक नृत्य सभी ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर दर्शक दीर्घा में मौजूद लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया।
एक तरफ मंच पर कलाकार पारंपरिक वेशभूषा, वाद्य यंत्रों के साथ अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों में उमंग और जोश भर रहे थे तो दूसरी तरफ साइंस कालेज मैदान में सजे विभिन्न व्यंजनों के स्टाल, पारंपरिक विभिन्न विधाएं, सरकारी योजनाओं वाले स्टाल राज्य की खूबियां बताते दिखे।

पारंपरिक वेशभूषा और लुभावने गहनों के स्टॉल
यहां पारंपरिक वेशभूषा वाले कपड़े, कोसा की साड़ी और पीतल के गढ़े गए गहने लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने रहे। स्टॉल प्रदर्शनी के माध्यम से राज्य के पर्यटन, पारंपरिक वेशभूषा, गहने वाद्य यंत्रों को प्रदर्शित किया गया था। महोत्सव देखने आए पुरुष, महिलाएं, विभिन्न स्व-सहायता समूह, विद्यालय और महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने यहां अवलोकन कर आनंद उठाया। प्रदर्शनी का अवलोकन करने आये लोगों ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के जरिए देश-विदेश की संस्कृति को जानने समझने का मौका मिलता है। इसके अलावा राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा पौने तीन साल की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया। इससे जनता की भलाई के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी मिली।
टोलियों में रमे रहे लोग, खूब भाईं प्रतिमाएँ
एक तरफ मंच पर कलाकार अपनी प्रस्तुति दे रहे थे तो दूसरी तरफ टोलियों के साथ कुछ आदिवासी पुरुष और महिलाएं अपनी संस्कृति की बखान करते दिखीं। कुछ अपने हाथ से बनाई कलाकृतियों से लोगों को लुभाया। आदिवासी कला को केंद्रित करने वाले स्टॉलों में सुंदर मुद्राओं, ढोल और बांसुरी के पीतल की बनी प्रतिमाएँ आकर्षक रहीं। लोगों ने इनके साथ सेल्फी ली।
30 अक्टूबर को हुआ  उत्सव का समापन
तीसरे दिन शनिवार को माली, उजबेकिस्तान, स्वाजीलैंड, श्रीलंका तथा युगांडा सहित देश के विभिन्न राज्यों के नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुतियाँ हुईं । समापन समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुख्य अतिथि थे। समारोह में अतिथियों के समक्ष रात्रि आठ बजे से युगांडा और दो प्रथम स्थान प्राप्त विजेताओं की प्रस्तुतियां हुईं।