अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● चुनावी वैतरणी पार करने की रणनीति से हो रही है यह यात्रा.. ● 14 जनवरी से 20 मार्च तक 6200 किमी की होगी यह यात्रा, छत्तीसगढ़ से भी गुजरेगी
नई दिल्ली। आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए रणनीतिकार हर सियासी पार्टी में सक्रिय हो गए हैं। इधर तीन राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा की घोषणा कर दी है। इसकी शुरुआत 14 जनवरी को मणिपुर से की जानी है जिसका समापन 20 मार्च को मुंबई में होगा।
कहा गया है कि राहुल गांधी 6 हजार 2 सौ किलोमीटर की यह लंबी यात्रा 68 दिनों में पूरा करेंगे और यह यात्रा 14 राज्यों के 85 जिलों से होकर गुजरेगी। बताते चलें जिसे सब जानते भी हैं कि पिछले साल इन्होंने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक साढ़े चार हजार किमी की भारत जोड़ो यात्रा की थी।
आगामी चुनाव और भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए इस बार यह सफर बस और पैदल दोनों तरीकों से किया जाएगा। राहुल गांधी की इस यात्रा को आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव अगले साल अप्रैल मई में होने की संभावना है।
संगठन के प्रभारी सचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि यह यात्रा राजनैतिक नहीं बल्कि देश की जनता को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय दिलाने के लिए है।
विभिन्न जगहों पर विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दलों के नेता भी इस यात्रा में शामिल होंगे। कहा गया है कि यात्रा के जरिये राहुल उन मुद्दों को उठाने वाले हैं जिन पर वे पहले से ही बोलते रहे हैं। विशेषकर जातिगत जनगणना के सवाल को वे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं। पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश के मुताबिक भारत जोड़ो यात्रा बढ़ती आर्थिक विषमता, सामाजित ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानाशाही के खिलाफ निकाली गई थी , लेकिन इस यात्रा का मकसद लोगों को न्याय दिलवाना है। यात्रा की शुरुआत मणिपुर से इसलिए की जा रही है क्योंकि वहां प्रेम और भाई चारे को फिर से बहाल करने की जरूरत है। हाल के दिनों में वहां जिस तरह की हिंसा हुई है उसे पूरे देश ने देखा है ।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 से 30 जनवरी 2023 तक कन्याकुमारी से कश्मीर से भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। राहुल गांधी की 136 दिनों की इस यात्रा में 12 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों के 75 जिलों और 76 लोकसभा क्षेत्रों से गुजरते हुए 4081 किमी की दूरी तय की थी। यात्रा के दौरान गांधी ने 12 बैठकें , 100 से अधिक नुक्कड़ सभाएं की थी और 13 संवाददाता सम्मेलनों को संबोधित किया था। |
भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस का यह दूसरा बड़ा कार्यक्रम होने जा रहा है जिसकी तैयारियां जोर-शोर से शुरु हो चुकी है। 14 जनवरी को इंफाल में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे झंडी दिखा कर इसे रवाना करेंगे। यह यात्रा मणिपुर, नगालैंड, असम,मेघालय, पं. बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात होते हुए महाराष्ट्र पहुंचेगी। पिछली बार की तरह इस बार भी यात्रा के दौरान छोटी-बड़ी जनसभाएं और संवाद कार्यक्रम होंगे।
सूत्रों का मानना है कि राहुल गांधी के इस यात्रा कार्यक्रम को भारत न्याय यात्रा इसलिये दिया गया है कि वे इसमें आम जनता को उनके अधिकार दिलाने की बात करने वाले हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने न्याय योजना की घोषणा की थी लेकिन कांग्रेस को उसका राजनीतिक लाभ वैसा नहीं मिला जैसा कि मिलने की अपेक्षा की गई थी। बाद में पार्टी ने इसी न्याय योजना की कुछ घोषणाओं को राज्यों के विधानसभा चुनावों में गारंटी के रुप में इस्तेमाल किया था जिससे उसे कामयाबी मिली थी।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था कि पार्टी नेता राहुल गांधी को पूरब से पश्चिम तक 21 दिसंबर से दूसरे चरण की यात्रा करनी चाहिए। इसी प्रस्ताव के बाद इस यात्रा की घोषणा की गई। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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