सुप्रीम कोर्टने कहा- बिना सहमति संबंधों को माना दुष्कर्म तो नष्ट होगी विवाह संस्था
■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
• नया कानून- देशद्रोह, आतंकवाद और जघन्य अपराध दुर्लभतम की श्रेणी में रखेंगे
नई दिल्ली। दुनिया में मृत्युदंड को अमानवीय मानने का चलन बढ़ रहा है और इसका विरोध भी लंबे समय से होता रहा है। इसके बाद भी केन्द्र सरकार भारतीय न्याय संहिता में मृत्युदंड के प्रावधान को बरकरार रखना चाहती है। इसे हटाने की मांग के बीच संसदीय समिति ने यह सिफारिश की थी कि मृत्युदंड के प्रावधान पर सरकार कोई फैसला करे।
संसद के शीतकालीन सत्र में तीनों कानून -भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम पास होने की उम्मीद है। मानसून सत्र में पेश इन कानूनों पर गृह मंत्रालय की स्थायी समिति ने समीक्षा के बाद मृत्युदंड के प्रावधान को हटाने के मुद्दे पर विचार किया। इसमें यह तर्क यह आया कि दोषपूर्ण न्यायिक प्रक्रिया में किसी निर्दोष को भी मृत्युदंड मिल सकता है। कई देशों में मृत्युदंड खत्म करने के उदाहरण भी दिये गए।
सूत्रों को कहना है कि समिति की सिफारिश के बाद सरकार मृत्युदंड के प्रावधानों को रखने के पक्ष में है। देश द्रोह, आतंकवाद जघन्य अपराध जैसे मामलों में मृत्युदंड के प्रावधानों को बरकरार रखने की जरूरत है। यदि इसे हटा दिया गया तो इसके बहुत ही गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
| भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-
| भारतीय साक्ष्य अधिनियम-
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■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
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