• 28 Apr, 2025

टीबी की दवा का संकट बना ही हुआ है राज्य के अस्पतालों में

टीबी की दवा का संकट बना ही हुआ है राज्य के अस्पतालों में

● मरीजों का बिल संभाल कर रखें, बाद में किया जाएगा भुगतान ● दवाइयों में गैप होने से मरीजों में मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट का खतरा ● सालभर से राज्य को केन्द्र से नहीं मिल पाईं दवाएं

रायपुर। राज्य में छोटे-बड़े सभी सरकारी अस्पतालों में टीवी की दवाएं उपलब्ध नहीं हैं यह आज से नहीं है बल्कि इस कमी को बने हुए साल भर का अरसा गुजर गया है। अस्पताल अब मरीजों को दुकानों स दवा खरीदने की सलाह दे रहे हैं। निरंतर पहल ने पहले भी टीवी की दवा उपलब्ध नहीं होने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। करीब सालभर से टीवी की मुफ्त में मिलने वाली दवा की किल्लत बनी ही हुई है। केन्द्र सरकार स ही राज्य को टीवी की दवाएं नहीं मिल पा रही हैं।

    उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों गत 25 मई को स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी देते हुए हाथ खड़ा कर दिया था कि केवल दस दिनों के लिए ही टीवी की दवाएं बची हुई हैं। वहीं अब सरकारी अस्पतालों में बकायदा नोटिस चस्पा कर दवाएं खत्म होने की सूचना के साथ जनऔषधि की दुकान से दवाएँ खरीदने की सलाह दे रहे हैं। इसके साथ ही टीवी की खरीदी हुई दवा की रसीदें भी सम्हाल कर रखने की सलाह दे रहे हैं।

  •  लक्ष्य क्या रखा है...

मालूम हो कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2025 तक पूरी तरह से प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है लेकिन टीबी मरीजों को मुफ्त दवाएं नहीं मिलने और डाइट के लिए 500 रुपये भी नहीं मिलने से चिंताएं बढ़ गई हैं।  जानकारों का कहना है कि टीबी की दवाएं बिला नागा रोज ही खाना है।  दवाइयां लेने में गैप होने से मरीजों में एमडीआर ( मल्टी ड्रग रसिसटेंस) की आशंका बढ़ जाती  है।  इससे होने वाली मृत्यु दर 60 प्रतिशत तक रिकार्ड की गई है।  बहरहाल छत्तीसगढ़ को टीबी मुक्त करने के दावों के बीच मुफ्त मिलने वाली दवाओं का खत्म होना यह बता रहा है कि हालात बहुत खराब हैं। इसके बाद भी टीबी के बढ़ रहे मरीजों की सुध लेने वाला शासन-प्रशासन में भी कोई नहीं है।  

  •  5 महीने में टीबी के 13 264 नए मरीज मिले-

राज्य के स्वास्थ्य संचालक ऋतुराज रघुवंशी से निरंतर पहल ने बात करने की कोशिश की उन्होंने फोन नहीं  उठाया।  उनको मैसेज से सवाल करने की कोशिश भी की गई पर उसका भी जवाब नहीं मिला। दूसरी तरफ नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर विभागीय सूत्रों ने कहा कि राज्य में वर्ष 2024 में जनवरी से मई तक कुल 5 महीनों में टीबी के 5 पांच हजार 264 नए मरीज मिले हैं। अब तक 532 से अधिक एमडीआर केस की पहचान की गई है।वहीं ऐसे भी सैकड़ों केस हैं जिनकी पहचान नहीं की जा सकी है।

  •  मुफ्त दवा की योजना बंद नहीं हुई है-

टीबी दवाओं के मुफ्त बांटने की योजना बंद नहीं की जा रही है। प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध हैं। कुछ दिनों पहले दवा की आपूर्ति में जरूर दिक्कतें आई थीं।

-मनोज पिंगुआ,एसीएस, स्वास्थ्य विभाग

 

  •  पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं-

प्रदेश में टीबी की दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। जहां से अनुपलब्धता की जानकारी आई थी वहां जिला स्तर पर दवा खरीदी की गई है। प्रदेश में पिछले जनवरी से मई तक लगभग 12 हजार टीबी के मरीज मिले हैं। 

 - डॉ. अजय कन्नौजे, स्टेट टीबी ऑफिसर. छत्तीसगढ़ 
 

किस जिले में मिले कितने टीबी के मरीज

बालोद- 285, बालोदाबाज़ार- 416, बलरामपुर 268, बस्तर -4778 , बेमेतरा- 272, बीजापुर-193, बिसासपुर- 958, दंतेवाड़ा- 254, धमतरी- 490, दुर्ग- 1359, गरिायाबंद-258, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही-113, जांजगीर-चांपा 329, जशपुर-388, कबीरधाम- 312,खैरागढ़-छुईखदान-गंडई- 120, कोंडागांव -239, कोरबा-625, कोरिया- 94, महासमुंद-526,मनेंद्रगढ़-चिरमिरी- 147, मोहला-मानपुर-103, मुंगेली- 261, नारायणपुर-109, रायगढ़- 712, रायपुर-1789, राजनांदगांव- 390, सक्ती- 236, सारंगढ़- 265, सरगुजा- 486, सुकमा-225 और सूरजपुर-222 मरीज मिले हैं।