• 28 Apr, 2025

दोषी या आरोपी का घर ढहाया तो मुआवजा देना होगा- सुप्रीम कोर्ट

दोषी या आरोपी का घर ढहाया तो मुआवजा देना होगा- सुप्रीम कोर्ट

हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने किसी दोषी या आरोपी के घर बुल्डोजर एक्शन पर 1 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि फैसला आने पर किसी दोषी या आरोपी की संपत्ति गिराने पर रोक जारी रहेगी। यह आदेश उन मामलों पर लागू नहीं होगा जहां अवैध निर्माण हटाने के लिए ऐसे ध्वस्तीकरण की जरूरत है। यह भी सुझाव दिया गया कि प्रभावित होने वाले व्यक्तियों की सूचना के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। साथ ही उस कार्रवाई की वीडियोग्राफी करानी चाहिए।

    एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने जज से पूछा - अगर किसी का घर गिराया गया तो वह क्या करेगा। क्या बुलडोजर चलाने वाले के पीछे भागेगा। इस पर जस्टिस गवई ने कहा अगर आदेश नहीं माना गया तो पार्टी का नवीनीकरण होगा और पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि नवीनीकरण और मुआवजे की रकम तोड़फोड़ करने वाले से ली जाए। इस पर जस्टिस गवई ने जस्टिस विश्वनाथन की ओर इशारा करते हुए कहा कि मेरे भाई यह पहले ही कह चुके हैं। वहीं  मप्र, राजस्थान और यूपी सरकार की तरफ से सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा।कहा - बुल्डोजर एक्शन के दौरान आरोप लग रहे हैं कि इसमें समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है ।  कोर्ट ने कहा भारत धर्म निरपेक्ष देश है। हम जो भी गाइडलाइन बनाएंगे वह सभी के लिए होगी।

जस्टिस ने कहा - महिलाओं बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं, एसजी ने कहा- आप सहूलियत देने की बात कर रहे हैं..

जस्टिस गवई -  अगर कोई दोषी है तो क्या यह बुल्डोजर एक्शन का आधार हो सकता है ।

सोलिसिटर जनरल- नहीं , आपने कहा था कि नोटिस इश्यू करना चाहिए ।ज्यादातर म्यूनिसिपल कानूनों में केस के हिसाब से नोटिस जारी करने की व्यवस्था होती है। आप देख सकते हैं कि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा गया है।

जस्टिस विश्वनाथन-  इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। इसे डिजिटलाइज कीजिए । अफसर भी सेफ रहेगा। नोटिस भेजने और सर्विस की स्थिति भी पोर्टल पर अपडेट अद्यतन रहेगी।

सोलिसिटर जनरल  - बिल्कुल ठीक है नोटिस सिर्फ रजिस्टर्ड डाक से ही भेजना चाहिए। मैं सिर्फ इसके दुरुपयोग को लेकर परेशान हूं। अतिक्रमण करने वालों को एक  हफ्ते का समय मिल जाएगा।

जस्टिस विश्वनाथन - कई केस आते हैं जिसमें नोटिस को चैलेंज किया जाता है।

सभी जगह से ध्वस्तिकरण के आदेश दिए जाने चाहिए।

जस्टिस गवई-  सुझाव है कि एक बार ध्वस्तीकरण का आदेश पारित होने के बाद उसे तुरंत ही लागू नहीं किया जा सकता है। कुछ समय दे सकते हैं।

सोलिसिटर जनरल- क्या ऐसे में लोकल कानूनों  में बदलाव की जरूरत नहीं है।

जस्टिस विश्वनाथन - अगर निर्माण अवैध है तो भी यह देखना अच्छी बात नहीं है कि महिलाएं और बच्चे सड़क पर हैं। बूढ़े सड़क पर आ गए हैं। हो सकता है कि वे वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हों।

सोलिसिटर जनरल-  मुझे इस पर ऐतराज है आप सहूलियत देने की बात कह रहे हैं जो कि कानून में कोई शर्त नहीं है।

जस्टिस गवई-  हम सिर्फ कानूनी सहूलियत की बात कह रहे हैं जो कि पहले से ही है। हम पब्लिक पार्पर्टी पर अवैध अतिक्रमण की बात नहीं कर रहे। फैसला लिखते समय हम साफ कर देंंगे कि अगर कोई महज आरोपी या दोषी है तो बुल्डोजर एक्शन नहीं लिया जा सकता। जब मैं बाम्बे में था तब मैने खुद एक फुटपाथ से अवैध अतिक्रमण हटाने के आदेश दिये थे। हम अदालतों को यह निर्देश देंंगे कि यदि अवैध अतिक्रमण के मामले में सुनवाई कर रहे है तो ध्यान रखें। ( इस पर सोलिसिटर जनरल ने उन्हें बताया कि ऐसे सिर्फ 2 प्रतिशत मामले हैं)

जस्टिस स्वामीनाथन-  यह सिर्फ कुछ या 2 प्रतिशत मामलों की बात नहीं है। तोड़फोड़ की कार्रवाई वाले मामले 4.5 लाख के करीब हैं।

सोलिसिटर जनरल-  जब मैंने कहा 2 प्रतिशत तो यह बुल्डोजर एक्शन का 2 प्रतिशत है। तुरंत न्याय की बात हम अखबारों में पढ़ते हैं। इस पर जस्टिस गवई मुस्कराते हुए बोले - बुल्डोजर जस्टिस । 
 

बुल्डोजर मामले में चार सुनवाई  हो चुकी, अब सिर्फ फैसला आना बाकी है

बुल्डोजर एक्शन पर 2 सितंबर , 12 सितंबर , 17 सितंबर और एक अक्टूबर को चार सुनवाई हो चुकी है। 17 सितंबर को कोर्ट ने कहा था अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुल्डोजर कार्रवाई नहीं की जाए। इस पर केन्द्र ने कहा - हाथ न बांधे… इस पर शीर्ष कोर्ट ने कहा दो हफ्ते रुक जाने से आसमान नहीं फट पड़ेगा।