• 28 Apr, 2025

सहमति से संबंध की उम्र 18 ही रहे

सहमति से संबंध की उम्र 18 ही रहे

• लॉ कमीशन ने पॉक्सो कानून पर मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी • कमीशन ने माना- पॉक्सो कानून लड़की को मर्जी से शादी न करने देने में माता पिता का हथियार

नई दिल्ली । बच्चों को हिंसा से बचाने वाले कानून पॉक्सो एक्ट 2012 के अनेक पहलुओं की गहन पड़ताल के बाद लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट लॉ मंत्रालय को सौंप दी। इस में कानून की बुनियादी सख्ती बरकरार रखने की हिमायत की गई है। यानी आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की न्यूनतम उम्र 18 साल बनाए रखने की बात कही गई है। हालांकि इसके दुरुपयोग से जुड़े कुछ मामलों को देखते हुए सुरक्षा की बात कही गई है।
    इस कानून के इस्तेमाल को लेकर एक सर्वेक्षण कराया गया है और कुछ अध्ययन भी कराए गए हैं जिनसे पता चला है कि लड़कियों को मर्जी से विवाह करने के फैसला लेने के खिलाफ अभिभावक इसका इस्तेमाल हथियार की तरह कर रहे हैं। सहमति से संबंध रखने वाले कई युवकों को इस कानून का शिकार होना पड़ा है। ऐसे में मांग उठी की सहमति से सेक्स संबंध रखने की उम्र घटाई जानी चाहिए। 
  पॉक्सो एक्ट 2012 में 18 साल से कम उम्र के सभी तरह के यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। भले ही दोनो अवयस्कों के बीत सहमति क्यों न हो। कानून के इस पहलू को लेकर नागरिक समाज में विरोध के स्वर उठते रहे हैं। इतना ही नहीं देश के चीफ जस्टिस ने भी इस कानून की संसद में समीक्षा करने की वकालत की है। 

  • ढील देने के बजाए बेजा इस्तेमाल रोका जाए 
  • आयोग ने उम्र के प्रावधान को 18 ही रखने की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट में कई तरह की राहत और अपवाद रखने के सुझाव दिए 
  • आयोग के सूत्रों के अनुसार मूल मकसद यह रखा गया है कि कानून में ढील देने की बजाय इसके बेजा इस्तेमाल को रोका जाए। इसके लिए हर मामले के आधार पर अदालतों को उनके विवेकाधिकार से निर्णय लेने का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। 
  • अपवाद सामने रखते समय रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इस तरह के मामलों में सहमति से संबंध रखने वाले युवक-युवतियों का अतीत देखा जाए और इसके आधार पर तय किया जाए कि यह सहमति स्वैच्छिक थी या नहीं । उनके रिश्तों की मियाद क्या थी।

सहमति को 3 पैमानों पर परखने की सिफारिश तभी अपवाद मानें..

यौन संबंधों को अपराध नहीं मानने के अपवाद के बारे में इन बातों पर गौर करने की सिफारिश की गई है-
1. अपवाद मानते समय देखा जाय कि सहमति भय या प्रलोभन पर तो आधारित नहीं थी
2. ड्रग्स का तो इस्तेमाल नहीं किया गया है।
3. यह सहमति किसी तरह देह व्यापार के लिए तो नहीं थी। 

दोनो की उम्र में तीन साल या अधिक का अंतर तो अपराध ही माना जाए..

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जस्टिस रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले लॉ कमीशन ने यौन संबंध बनाने वाले अवयस्कों के बीच सहमति के बावजूद इस बात पर गौर करने को कहा है कि दोनों की उम्र का अंतर अधिक न हो। रिपोर्ट में कहा गया है अगर उम्र का फासला तीन साल या अधिक है तो  इस मामले को अपवाद नहीं माना जाना चाहिए और उसे अपराध की श्रेणी में ही मानना चाहिए।