• 28 Apr, 2025

गहरा सकता है पेयजल संकट

गहरा सकता है पेयजल संकट

● गंगरेल में जल भंडारण बहुत कम ● प्रदेश के सबसे बड़े बांध में 38 फीसदी भंडारण ● अप्रैल में ही पानी छोड़ने के लिए और दबाव बनने की आशंका ● समय पर मानसून न आया तो विकराल हो सकती है स्थिति

रायपुर। मौसम के करवट लेते ही आम आमदी और किसानों  की जरूरत सरकारी अमलों में से एक सिंचाई विभाग के माथे पर बल ला देती है।  अभी गर्मियों की दस्तक ठीक से हुई भी नहीं है कि प्रदेश के जलाशयों में जल भंडारण के गिरते स्तर ने विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अभी से निस्तारी के लिए भी पानी की मांग उठने के बाद लगभग 500 क्यूसेक पानी छोड़ भी दिया गया है। अप्रैल माह में पानी छोड़ने के लिए और दबाव बढ़ने की आशंका जताई गई है।

  इसका मतलब है कि अनुबंध के तहत उद्योगों और नगरीय निकायों को जल आपूर्ति के बाद जल भंडारण और कम होगा। धमतरी जिले में सबसे बड़े गंगरेल बांध ( रविशंकर जलाशय ) में फिलहाल केवल 12 टीएमसी पानी ही उपलब्ध है। विभाग के अफसरों के मुताबिक डेड टॉस्क को कम करने के बाद निस्तारी के लिए केवल 35 दिनों का ही पानी शेष उपलब्घ रह जाएगा। हालांकि सिंचाई विभाग कह तो रहा है कि ये हालात बदतर तो नहीं ही हैं। उनका कहना है कि सही जल प्रबंधन से इस हालत में सुधार किया जा सकता है।  प्रदेश के सबसे बड़े गंगरेल बांध में वर्तमान में 38 फीसदी जल भंडारण है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक निस्तारी के गांवों में  तालाबों को भरने पानी छोड़ने के निर्देश आने के बाद भंडारण में कुछ कमी आई है।

    इसके अलावा उद्योंगों में सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े उपक्रम भिलाई स्टील  प्लांट के लिए कम से कम एक टीएमसी की जल आपूर्ति करना भी अनिवार्य  होगा। इसके साथ ही लोगों की पेजजल की जरूरत पूरी करने रायपुर नगर निगम को कम से कम एक टीएमसी पानी  आपूर्ति करना भी अनिवार्य होगा। इन हालातों  में बांध में सिर्फ 7 टीएमसी ही पानी का भंडारण बच रहेगा।  विभाग ने होली के पहले अनुमान लगा कर कहा है कि ऐसी दशा में आने वाले 35 दिनों के लिए ही निस्तारी का पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। अब इस स्थिति में समय पर मानसून के नहीं आने पर जल संकट बहुत विकराल रूप ले सकता है। यदि ऐसा हुआ और अच्छी बारिश नहीं होने के कारण खरीफ के लिए भी पानी का दबाव बढ़ सकता है।

हालांकि बिलासपुर संभाग में रायपुर संभाग की अपेक्षा ज्यादा बेहतर स्थिति  है। कहा तो जा रहा है कि यद्यपि यहां के जल भंडारण को भी बेहतर नहीं कहा जा सकता। बिलासपुर के अरपा -भैंसाझार और रायगढ़ के केलो बांध में ही 70 फीसदी से कुछ ज्यादा भंडारण है। 

गंगरेल में बीते दो सालों में जल भंडारण ( 22 मार्च की स्थिति में )

  • वर्ष 2022 में 70.09 प्रतिशत                                        
  • वर्ष 2023 में 63.86 प्रतिशत 

लिंकिंग बांधों का सहारा

रविशंकर जलाशय ( गंगरेल बांध ) के लिंकिंग बांध दुधावा और मुरुमसिल्ली का जल भंडारण को मिला कर जरूर 95 प्रतिशत तक पहुंच रहा है। लेकिन गंगरेल की तुलना में ये बांध बहुत छोटे हैं। इसके बावजूद इन क्षेत्रों के जरूरतों की पूर्ति यहां से होगी। गंगरेल में पानी कम होने की स्थिति में लिंकिंग बाधों का सहारा होगा। 

  • राज्य के सभी बांधों में जल भंडारण प्रतिशत में -
बांधभंडारण प्रतिशत
मिनीमाता बांगो59.42
रविशंकर सागर38.63
तांदुला जलाशय41.06
दुधावा जवाशय21.47
सिकासार बांध51.62
खारंग जलाशय65.06
सोंढूर जलाशय54.44
मुरुमसिल्ली42.73
कोडार जलाशय30.16
मनियारी जलाशय51.33
केलो जलाशय71.77
अरपा भैंसाझार71.12