• 28 Apr, 2025

तीन ट्रेनें भिड़ीं 233 मारे गए, 900 से ज्यादा यात्री घायल

तीन ट्रेनें भिड़ीं 233 मारे गए, 900 से ज्यादा यात्री घायल

• ओडिशा में एक यात्री गाड़ी बेपटरी हुई, इसके डिब्बे दूसरी पटरी पर जा गिरे, उस ट्रैक पर आ रही ट्रेन इन डिब्बों से टकरा कर बेपटरी हुई और दोनों ट्रेनों के डिब्बे तीसरी ट्रैक पर आ रही माल गाड़ी पर चढ़ गए।

• छह साल बाद इतना दिल दहला देने वाला भयंकर रेल हादसा
• 2009 में कोरोमंडल एक्सप्रेस इसी जिले में शुक्रवार को ही बेपटरी हुई थी, 16 मारे गए थे। 
• किसी का हाथ तो किसी का पैर ही गायब ये दृश्य देखकर तो सद


बालेश्वर (ओडिशा) । ओडिशा के बालेश्वर जिले में 2 जून शुक्रवार की देर शाम दिल दहला देने वाला रेल हादसा हुआ। एक के बाद एक ट्रेने बेपटरी होकर दूसरे से टकराती रहीं और इसमें 233 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो गई औऱ 900 से ज्यादा लोग घायल हैं। एक घंटे के भीतर ही एक माल गाड़ी और दो यात्री ट्रेनें भीषण हादसे का शिकार हुईं। पहले माल गाड़ी की हावड़ा- चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टक्कर और उसके तुरंत बाद बेंगलुरू –हावड़ा के  बीच चलने वाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकराने से 233 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो गई। रेलवे ने कुछ ही देर में तो 37 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी फिर बाद में मृतकों की संख्या बढ़ती गई और अब  तक (3 जून की रात) बढ़ती  ही जा रही है। कहा जा रहा है  कि दोनों यात्री ट्रेनों में ढाई हजार से ज्यादा यात्री सफर कर रहे थे ।  पहले दी गई जानकारी में कहा गया कि 350 से ज्यादो लोगों को गंभीर चोटें आईं हैं और घायलों की संख्या एक हजार से पार जाने की आशंका है। बाद में आसपास के अस्पतालों से ली गई जानकारी में पता चला कि घायलों की संख्या एक हजार से ज्यादा पहुंच गई है। 
  घटना स्थल से सुबह निरंतर पहल के ओडिशा से विशेष संवाददाता शिव प्रसाद मेहेर ने जो जानकारी दी उसके अनुसार ट्रेनों में भिडंत इतनी भयंकर हुई है कि मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है। दुर्घटना स्थल को और ट्रेन के डिब्बों की हालत को देखने से लगता है कि इसमें यात्रियों के बच पाने को संभावना बिल्कुल न के बराबर थी।
एनडीआरएफ ( नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स) की कई टीमें हादसे के बाद पहुंच गई थीं और आधी रात तक वे बोगी के मेटल शीट को काटकर फंसे यात्रियों और शवों को बाहर निकालने के काम में जुटी थीं। आसपास के स्थलों में खास कर भद्रक, बालासोर और सोरो के हर छोट- बड़े अस्पतालों में ट्रेन हादसे में घायलों को लेकर इतने लोग पहुंचे कि वहां के सभी अस्पतालों में देर रात तक अफरातफरी मची रही।
 

  • रास्ते सील कर केवल एम्बुलेंस के लिए खोले रखा-
    बालेश्वर जिला अस्पताल की ओर जाने वाली तीन किलोमीटर लम्बी सड़क को सील कर केवल एम्बुलेंस के लिए ही आरक्षित रखा गया था ताकि गंभीर रूप से घायलों को जल्द से जल्द अस्पताल में प्रारंभिक उपचार देकर उनकी जान बचाई जा सके। यहां लोगों ने भी स्वेच्छा से प्रशासन को मदद पहुंचाने में सहायता की। रात में ही बालेश्वर के अस्पताल में 200 से ज्यादा लोग घायलों को अपना खून देने पहुंच गए। इधर दुर्घटनास्थल पर रात एक बजे सफेद कपड़ों से लपेटे गए दर्जनों शव पड़े हुए थे। रेल हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस से पहले आसपास के गांवों और कस्बों से सैकड़ों की संख्या में लोग बचाव कार्य में मदद के लिए पहुंच गए।
  • रात के अंधेरे में घायलों की मदद कर पाना मुश्किल हो रहा था इसलिए कुछ लोग अपनी गाड़ियों में जनरेटर लेकर पहुंचे  थे ताकि वहां रोशनी की जा सके। यहां दुर्घटना इतनी भयानक थी और मृतकों और घायलों की तादात इतनी ज्यादा थी कि स्ट्रेचर कम पड़ गए। ऐसी हालत में बचाव में लोगों ने एसी बोगी में इस्तेमाल के लिए रेलवे से दिये जाने वाले चादरों में , और खाद अनाज भंडार में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बोरियों की मदद से लोगों को मदद पहुंचाने में लगे थे। चादरों और बोरियों में  घायलों को उठाकर  एम्बुलेंस तक ले जाया गया। रात एक बजे के आसपास दुर्घटनास्थल के करीब 50 से ज्यादा एम्बुलेंस घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगे थे। 
  • कैसे हुआ यह भयंकर हादसा –
    रेलवे और हमारे संवाददाता  के अनुसार 2 जून शुक्रवार की शाम करीब सात बजकर कुछ मिनट पर हावड़ा-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस बाहानांगा स्टेशन के करीब माल गाड़ी से टकरा कर बेपटरी हो गई। रेलवे के एक प्रेस नोट के मुताबिक इस हादसे के करीब एक घंटे बाद बगल के टैक पर बंगुलूरू-हावड़ा सुपर फास्ट एक्सप्रेस पहुंच गई और पटरी से उतरी बोगियों और ट्रेन से पूरे वेग से टकरा गई।
    हैरानी जताई जा रही है कि एक भयंकर ट्रेन हादसे की सूचना देने के बाद दूसरी सुपरफास्ट ट्रेन को उसी रूट पर उसी ट्रैक के बगल से आने की अनुमति कैसे दी गई होगी। सुपरफास्ट ट्रेन की टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेन में बैठे चार से ज्यादा यात्री घायल हो गए। कई लोगों की तो मौके पर ही मौत हो गई। बहुत से गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सुपर फास्ट एक्सप्रेस की भी पांच बोगियां पटरी से उतर गईं। दोनो ही ट्रेनों की बोगियां बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई हैं।
    दुर्घटना स्थल पर संवाददाता ने जब घायल यात्रियों से बात की जो बात करने की स्थिति में थे तो उन्होंने कहा कि एक ट्रेन की बोगियों के पटरी से उतरने औऱ दूसरी ट्रेन के आने और दुर्घटना  होने तक करीब एक घंटे का अंतर रहा होगा। हादसे के बाद रेल मंत्री ने मृतकों के संबंधियों को 10 -10 लाख रुपये के मदद का ऐलान किया है। मंत्री ने कहा है कि जबकि गंभीर रूप से घायल यात्रियों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। रात में ही अधिकारियों ने कहा कि पलटे हुए बोगियों के नीचे से अभी तक 60 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी प्रधानमंत्री राहत कोश से मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की मदद और 50-50 हजार की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है। ओडिशा में हुई रेल दुर्घटना के बाद मडगांव स्टेशन पर गोवा-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने का कार्यक्रम रोक दिया गया।
  • हादसे की जगह पर कुहराम- हाहाकार –
    हादसे के बाद उस जगह पर कुहराम मचा था और चारों ओर हाहाकार की स्थिति थी। सभी क्षतिग्रस्त डिब्बों में घायल फंसे करार रहे थे। कितने ही यात्री तो ट्रेनों की टक्कर के बाद पटरी के पास छिटके मिले। रात में ही दी गई जानकारी के अनुसार  प्रशासन और पुलिस लोगों की मदद से घायलों को जल्द से जल्द आसपास के अस्पतालों में ले जाकर इलाज कराने में जुटा रहा। राज्य के विशेष राहत आयुक्त ने वहां की टीम के साथ साथ बालेश्वर जिला अधिकारी को भी सभी जरूरी व्यवस्था करने के निर्देश और सभी जरूरी इंतजाम करने मौके पर पहुंचने और राज्य स्तर पर किसी भी अतिरिक्त सरायता की आवश्यकता होने पर एसआरसी को सूचित करने का निर्देश भी दिया। 
  • यात्रियों ने कहा लगा जैसे भूकंप आया हो-
    उक्त दोनो ट्रेनों में यात्रा करने वाले घायल यात्री जो उस समय बात करने की स्थिति में थे कहा कि हादसे के समय लगा जैसे  भयंकर भूकंप आया है। एक यात्री ने कहा वह हादसे के वक्त दरवाजे के पास ख़ड़ा था और बाद में देखा कि वह जिस सीट पर वह कुछ देर पहले बैठा था वह टिन की शीट की तरह मुड गई थी। एक अन्य यात्री ने बताया कि अंधेरा हो गया था मैं सो गया था । उसी समय जब डिब्बे पलट गए तो मेरी नींद खुली तो देखा कि मेरे ऊपर दस पंद्रह लोग गिरे हुए हैं। मुझे तो माजरा ही समझ में नहीं आया। मैं सबके नीचे दबा हुआ था किसी तरह वहां से बाहर निकल सका। मैंने देखा कि बाहर जो गिरे हैं उनमें से किसी के हाथ नहीं हैं तो किसी-किसी के पैर भी नहीं हैं... 
टकराती रहीं ट्रेनें क्या कर रहा था रेलवे का सेफ्टी सिस्टम
इतने भयंकर हादसे के बाद दुर्घटना स्थल पर जो मंजर नज़र आया वह दिल दहला देने वाला है और रेलवे की सेफ्टी के बड़े-बड़े दावों पर सवाल खड़ा करता है जब हावड़ा –चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस उसी ट्रैक पर आ रही मालगाड़ी से टकरा कर बेपटरी हो जाती है। ये टक्कर भी इतनी जोरदार थी कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के इंजन समेत पांच बोगियां मालगाड़ी के ऊपर ही चढ़ गईं। बाहानांगा स्टेशन के पास हुए इस भयंकर हादसे की सूचना पास के स्टेशन को दी जानी चाहिए थी ताकि उसके बाद आने वाली ट्रेनें वहीं रोकी जा सकें। पर ऐसा नहीं हुआ। टक्कर के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस की छह बोगियां पटरी से उतर गईं। सैकड़ों यात्री घायल हो गए कुछ अभी भी क्षतिग्रस्त बोगियों में फंसे हुए थे। सूरज लगभग ढल चुका था और ट्रेन के भीतर बाहर कोहराम मचा हुआ था।
दूसरी रेलवे के प्रेसनोट के मुताबिक एक घंटे बाद बेंगलुरू से हावड़ा की तरफ आ रही सुपर फास्ट एक्सप्रेस धड़ध़ाती हुई वहां पहुंची और पटरियों पर बिखरी कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों से भिड गई। इसकी टक्कर भयंकर  थी कि लोगों को लगा जैसे भूकंप आ गया हो। जब तक कोरोमंडल एक्सप्रेस में बैठे यात्री कुछ समझ पाते तब तक कई यात्रियों की जान चली गई। दुर्घटना स्थल पर जो लोग थे उनका कहना है कि यदि रेलवे का सेफ्टी सिस्टम सही काम कर रहा होता, सजग होता तो सुपर फास्ट ट्रेन के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस से हुई भयंकर टक्कर रोकी जा सकती थी। इससे कई दर्जन लोगों की जान बच जाती ।