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• ओडिशा में एक यात्री गाड़ी बेपटरी हुई, इसके डिब्बे दूसरी पटरी पर जा गिरे, उस ट्रैक पर आ रही ट्रेन इन डिब्बों से टकरा कर बेपटरी हुई और दोनों ट्रेनों के डिब्बे तीसरी ट्रैक पर आ रही माल गाड़ी पर चढ़ गए।
• छह साल बाद इतना दिल दहला देने वाला भयंकर रेल हादसा
• 2009 में कोरोमंडल एक्सप्रेस इसी जिले में शुक्रवार को ही बेपटरी हुई थी, 16 मारे गए थे।
• किसी का हाथ तो किसी का पैर ही गायब ये दृश्य देखकर तो सद
बालेश्वर (ओडिशा) । ओडिशा के बालेश्वर जिले में 2 जून शुक्रवार की देर शाम दिल दहला देने वाला रेल हादसा हुआ। एक के बाद एक ट्रेने बेपटरी होकर दूसरे से टकराती रहीं और इसमें 233 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो गई औऱ 900 से ज्यादा लोग घायल हैं। एक घंटे के भीतर ही एक माल गाड़ी और दो यात्री ट्रेनें भीषण हादसे का शिकार हुईं। पहले माल गाड़ी की हावड़ा- चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टक्कर और उसके तुरंत बाद बेंगलुरू –हावड़ा के बीच चलने वाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकराने से 233 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो गई। रेलवे ने कुछ ही देर में तो 37 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी फिर बाद में मृतकों की संख्या बढ़ती गई और अब तक (3 जून की रात) बढ़ती ही जा रही है। कहा जा रहा है कि दोनों यात्री ट्रेनों में ढाई हजार से ज्यादा यात्री सफर कर रहे थे । पहले दी गई जानकारी में कहा गया कि 350 से ज्यादो लोगों को गंभीर चोटें आईं हैं और घायलों की संख्या एक हजार से पार जाने की आशंका है। बाद में आसपास के अस्पतालों से ली गई जानकारी में पता चला कि घायलों की संख्या एक हजार से ज्यादा पहुंच गई है।
घटना स्थल से सुबह निरंतर पहल के ओडिशा से विशेष संवाददाता शिव प्रसाद मेहेर ने जो जानकारी दी उसके अनुसार ट्रेनों में भिडंत इतनी भयंकर हुई है कि मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है। दुर्घटना स्थल को और ट्रेन के डिब्बों की हालत को देखने से लगता है कि इसमें यात्रियों के बच पाने को संभावना बिल्कुल न के बराबर थी।
एनडीआरएफ ( नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स) की कई टीमें हादसे के बाद पहुंच गई थीं और आधी रात तक वे बोगी के मेटल शीट को काटकर फंसे यात्रियों और शवों को बाहर निकालने के काम में जुटी थीं। आसपास के स्थलों में खास कर भद्रक, बालासोर और सोरो के हर छोट- बड़े अस्पतालों में ट्रेन हादसे में घायलों को लेकर इतने लोग पहुंचे कि वहां के सभी अस्पतालों में देर रात तक अफरातफरी मची रही।
टकराती रहीं ट्रेनें क्या कर रहा था रेलवे का सेफ्टी सिस्टम |
इतने भयंकर हादसे के बाद दुर्घटना स्थल पर जो मंजर नज़र आया वह दिल दहला देने वाला है और रेलवे की सेफ्टी के बड़े-बड़े दावों पर सवाल खड़ा करता है जब हावड़ा –चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस उसी ट्रैक पर आ रही मालगाड़ी से टकरा कर बेपटरी हो जाती है। ये टक्कर भी इतनी जोरदार थी कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के इंजन समेत पांच बोगियां मालगाड़ी के ऊपर ही चढ़ गईं। बाहानांगा स्टेशन के पास हुए इस भयंकर हादसे की सूचना पास के स्टेशन को दी जानी चाहिए थी ताकि उसके बाद आने वाली ट्रेनें वहीं रोकी जा सकें। पर ऐसा नहीं हुआ। टक्कर के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस की छह बोगियां पटरी से उतर गईं। सैकड़ों यात्री घायल हो गए कुछ अभी भी क्षतिग्रस्त बोगियों में फंसे हुए थे। सूरज लगभग ढल चुका था और ट्रेन के भीतर बाहर कोहराम मचा हुआ था। दूसरी रेलवे के प्रेसनोट के मुताबिक एक घंटे बाद बेंगलुरू से हावड़ा की तरफ आ रही सुपर फास्ट एक्सप्रेस धड़ध़ाती हुई वहां पहुंची और पटरियों पर बिखरी कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों से भिड गई। इसकी टक्कर भयंकर थी कि लोगों को लगा जैसे भूकंप आ गया हो। जब तक कोरोमंडल एक्सप्रेस में बैठे यात्री कुछ समझ पाते तब तक कई यात्रियों की जान चली गई। दुर्घटना स्थल पर जो लोग थे उनका कहना है कि यदि रेलवे का सेफ्टी सिस्टम सही काम कर रहा होता, सजग होता तो सुपर फास्ट ट्रेन के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस से हुई भयंकर टक्कर रोकी जा सकती थी। इससे कई दर्जन लोगों की जान बच जाती । |
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