क्लाइमेट चेंज सबसे बड़ी चुनौती - सीएम साय
■ छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का किया उद्घाटन, ■ पर्यावरणीय संकट से निबटने में समान रूप से सहभागिता ■ छत्तीसगढ़ ने पूरा किया 4 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य ■ जलवायु परिवर्तन से निबटने छग में हो रहा बेहतर काम
रायपुर। घाटी राष्ट्रीय उद्यान के मैना मित्र तथा वन विभाग के फ्रंट लाइन स्टाफ के निरंतर प्रयास से अब बस्तर पहाड़ी मैना की संख्या में वृद्धि होने से आस-पास के ग्रामों में भी उनकी मीठी बोली गूंजने लगी है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का प्राकृतिक रहवास कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ही है। यहां लगभग एक साल से स्थानीय समुदाय के युवाओं को प्रशिक्षण देकर मैना मित्र बनाया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप तथा वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में वन विभाग की पहल पर मैना मित्र पहाड़ी मैना के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार प्रयासरत है और अब उनकी मेहनत रंग ला रही है।
इस संबंध में निदेशक, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान धम्मशील गणवीर ने बताया कि कैम्पा योजना अंतर्गत संचालित मैना सरंक्षण एवं संवर्धन प्रोजेक्ट बस्तर पहाड़ी मैना के सरंक्षण के लिए कारगर साबित हुआ है। प्रोजेक्ट अंतर्गत मैना मित्रों द्वारा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगे 30 स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। प्रत्येक शनिवार और रविवार स्कूली बच्चों को पक्षी दर्शन के लिए ले जाया जा रहा है, जिससे उनके व्यवहार में बदलाव भी देखा जा रहा है। एक समय में जिन बच्चों के हाथ में गुलेल थे अब उनके हाथ में दूरबीन देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है की मैना का रहवास साल के सूखे पेड़ो में होता है, जहां कटफोड़वे घोंसले बनाते है।
इसी कड़ी में बस्तर वन मंडल द्वारा साल के सूखे पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे मैना का रहवास कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बाहर भी सुरक्षित हो सके। साथ ही कांगेर घाटी से लगे ग्राम जैसे मांझीपाल, धूडमारास के होमस्टे पर्यटन में पहाड़ी मैना को जोड़ा गया है, जहां पर्यटक पक्षी दर्शन अंतर्गत राजकीय पक्षी को भी देख सकते है। धूड़मरास से धुरवा डेरा के संचालक मानसिंह बघेल कहते है कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि पहाड़ी मैना हमारे घर के पास देखने को मिल रही है और उन्हें हम होम स्टे पर्यटन के साथ जोड़कर उसका संरक्षण भी कर रहे हैं।
अभी नेस्टिंग सीजन में पहाड़ी मैना के कई नए घोंसले देखने को मिले, जिसमें अभी पहाड़ी मैना अपने बच्चों को फल और कीड़े खिलाते हुए देखे जा रहे हैं, जिनकी निगरानी मैना मित्रों और फील्ड स्टाफ द्वारा की जा रही है। पहले जहां पहाड़ी मैना की संख्या कम थी, अब वह कई झुंड में नजर आ रही है। स्थानीय समुदायों के योगदान एवं पार्क प्रबंधन के सतत् प्रयास से ही यह मुमकिन हो पाया है।
■ छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का किया उद्घाटन, ■ पर्यावरणीय संकट से निबटने में समान रूप से सहभागिता ■ छत्तीसगढ़ ने पूरा किया 4 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य ■ जलवायु परिवर्तन से निबटने छग में हो रहा बेहतर काम
● झोपड़ी में होम स्टे, युवा बन रहे गाइड ● गांव समृध्द हो रहे देश के अनेक हिस्सों में
■ पिछले 10 सालों में आकाशीय बिजली की चपेट में आकर करीब , 2200 लोगों ने जान गंवाई है ओडिशा में ■ ओडिशा आकाशीय बिजली से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में से एक है ■ ओडिशा में ताड़ के मौजूदा पेड़ों को काटने पर भी रोक
■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
Address
Raipur
Phone
+(91) 9893260359