• 28 Apr, 2025

मंहगाई की मार,राहर दाल 180 रु किलो

मंहगाई की मार,राहर दाल 180 रु किलो

• एक माह में 35 से 40 रुपये तक महंगी, आम आदमी हलाकान • बाज़ार में दाल की कमी देख बड़े व्यापरियों ने किया खेल, हर तीन साल में होती है महंगी • मांग बढ़ने से दूसरी दालों के दाम भी बढ़ने लगे • शक्कर और गेहूं भी हुए महंगे

रायपुर। केन्द्र सरकार चुनाव को देखते हुए बड़े रणनीतिक तरीके से लगातार बढ़ी हुई कीमतों वाली चीजों पर से कुछ रूपये की कमी कर यह  जताने की कोशिश कर रही है कि उसे जनता की तकलीफ का अहसास है वहीं दूसरी ओर बाज़ार में आम आदमी महंगाई से परेशान हो गया है। गेंहू-चावल के बाद सब्जियों की महंगाई ने मारा है। 

अनाज और दलहन में लगातार तेजी आई है। राहर दाल कीमतों में एक महीने के भीतर 35 से 40 रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है। इधर मांग बढ़ती देख जहां बड़े व्यापारियों ने कीमते बढ़ा दी हैं वहीं दूसरी आम आदमी के दूसरी दालों की ओर रुख करने से उनकी भी कीमतों में 10 से 20 रुपये किलो तक की बढ़ोतरी कर दी गई है। अब दाल के साथ चावल के कीमतों में भी उछाल आ गया है। हर किलो में पांच से छह रुपये बढ़ोतरी की गई है। इसी तरह गेंहू के भाव भी दो से तीन रुपये बढ़ गए हैं।  वहीं अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों के समर्थन से तेलों में मंदी की स्थिति है पर तेलों के दाम अभी भी पिछले साल के स्तर से बहुत ऊपर ही बने हुए हैं। पिछले साल इस समय जो तेल 75 से 80 रुपये लीटर मिल रहा था वही आज 100 से 120 रुपये लीटर मिल रहा है जबकि वैश्विक स्तर पर खाद्य तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। खाद्य तेल के कारोबारियों का कहना है कि इस कारोबार में देश की कई बड़ी कंपनियां कूद गई हैं और वे सब मिल कर देशभर में तेल के बाज़ार में भाव को नियंत्रित कर रही हैं। उन लोगों ने मिल कर तेल की कीमतो को कृत्रिम रूप से कम होने से रोक रखा है। 

दालों के मामले में कहा गया कि राहर दाल की फसल कमजोर होने से इसमें एकतरफा तेजी की स्थिति बनी हुई है।  अनाज दाल दलहन के एक कारोबारी ने निरंतर पहल को बताया कि वित्तीय साल 2023-24  के पहले माह अप्रैल से ही राहर दाल में तेजी की स्थिति बनी हुई है। बाजार में जितनी मांग है कारोबारियों के पास उतना स्टॉक ही नहीं है तो जाहिर है कीमतें बढ़ रही हैं।  

पिछले पांच से छह महीनों में राहर दाल की कीमतो में 60 से 70 रुपये किलो का इजाफा हुआ है। अभी एक माह के भीतर  ही 35 से 40 रुपये प्रतिकिलो  की वृध्दि के साथ 140 से 180 रुपये किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। ये दाम इस सीजन के सबसे ऊंचे स्ततर पर हैं। 

छत्तीसगढ़ में राहर दाल की आपूर्ति अकोला, अमरावती और नागपुर के आस-पास से की जाती है।  कहा जा रहा है कि अब नई फसल नवंबर -दिसंबर तक आने की संभावना है तब तक बाज़ार में राहर  दाल की कीमतों में सुधार की गुंजाइश नहीं है। स्थिति इसी तरह बनी रहने की आशंका है।  
 

  • कच्चे तेल जैसा हाल अरहर दाल का 

दाल के बाजार को जानने वालों का कहना है कि दाल की आपूर्ति के मामले में अपने देश का बाज़ार कच्चे तेल जैसा पूरी तरह आयात पर ही आधारित है। दाल की हमारी 70 फीसदी से ज्यादा जरूरत बर्मा या दूसरे पड़ोसी देशों से आने से पूरी होती है। विशेष रूप से यह स्थिति अरहर दाल के मामले में है क्योंकि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में दालों का इतना उत्पादन नहीं है कि पूरे देश की जरूरत पूरी की जा सके।  हैरानी इस बात पर जताई जा रही है कि इस साल बाज़ार में अरहर दाल की किल्लत की खबर के बावजूद सरकार की तरफ से राहत की कोई पहल नहीं की गई है।  आज की तारीख में सरकार के पास कुछ है तो चला दाल की ही कुछ बफर स्टॉक है। कहा जा रहा है कि यही वजह है कि बाज़ार में व्यापारियों को भी मुनाफा बनाने का मौका मिल गया है। जिनके पास दाल उपलब्ध है उसने अपने दाम मनमाने तरीके से बढ़ा दिये हैं। 

  • मूंग दाल 130 रुपये तक 

दाल के भाव बढ़ने से अन्य दालों की कीमतों में भी 10 से 20 रुपये किलो की तेजी आई है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से आवक होने के साथ उड़द दाल (छिलके सहित) 95 से 105 रुपये किलो, उड़द (धुली) 100 से 105 रुपये किलो, मूंग दाल (छिलका) 95 से 115 रुपये किलो, मूंग (धुली) 105 से 130 रुपये किलो, इसी तरह चना दाल 75 से 85 रुपये किलो, मसूर दाल 80 से 90 रुपये किलो हो गई है।  देसी चना 67 से 75 रुपये किलो है।

  • तेलों से ही राहत 

वैश्विक बाज़ार के समर्थन से तेलों के भाव कम होने से लोगों को थोड़ी राहत हुई है।  एक साल में करीब 60 से 70 रुपये प्रति टिन  की गिरावट तेल के दामों में देखी गई है।  जैसे राइस ब्राय 1460-1480 रुपये, सोयाबीन – 1560 रुपये, सनफ्लावर-1470 रुपये, सरसों 2110 रुपये, रिफाइंज पाम-1450 रुपये और फल्ली तेल 3100 रुपये प्रति टिन का भाव चल रहा है। अभी  फल्ली तेल के भाव ही मजबूत हैं वहीं खुदरा बाज़ार में एक महीने से तेलों के दाम 5 से 6 रुपये घटे हैं। खुदरा बाज़ार में राइसब्रान 92-93 रुपये, सोयाबीन 93 रुपये, सनफ्लावर 95 रुपये, सरसों 133 रुपये, रिफाइंड पाम 85  रुपये फल्ली तेल 177 रुपये किलो बताया गया  है। 

शक्कर- गेंहूं भी हुए महंगे

मंहगाई का असर अनाज के साथ शक्कर की कीमतों में भी दिखने लगा है। शक्कर की कीमतों में 2 रुपये किलो की तेजी आई है। महाराष्ट्र से आवक होने के साथ ही कीमत 40 से 44 रुपये प्रति किलो हो गया है। गेंहूं की कीमतें भी 2 से 3 रुपए की तेजी आई है। अब भाव बढ़ कर 32 से 50  रुपये किलो तक पहुंच  गया है। गेहूं की आवक यहां के  बाजारों में मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, सिहोर, गंजबसौदा और विदिशा से होती है। उत्पादक क्षेत्रो से ही भाव बढ़ाकर बताए जा रहे हैं। 

चावल 6 रुपये किलो महंगा

सभी के साथ चावल की कीमतों में भी पिछले दो महीनों से 5 से 6 रुपये प्रतिकिलो तक की बढ़ोतरी हुई है। जैसे एचएमटी- 46-55 रुपये, काली मूंछ 50 से 60 रुपये, श्रीराम 60 से 66 रुपये, जवांफूल- 75 से 100 रुपये और सरना 32 से 34 रुपये प्रति किलो बताया जा रहा है। 

राहत है कि खुदरा महंगाई सात फीसदी से नीचे महंगाई में आई गिरावट

नई दिल्ली। खाने पीने की चीजों के दाम घटने से खुदरा महंगाई अगस्त 2023 में कम होकरर 7 फीसदी के नीचे आ गई है। जुलाई में यह 15 महीने के उच्च स्तर पहुंचकर उच्चस्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के मुताबिक सब्जी, दूध, दाल और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर बीते महीने घट कर 6.83 फीसदी ही रह गई है। अगस्त 2022 में यह सिर्फ 7 फीसदी ही थी।  अगस्त में खाद्य महंगाई की दर 11.57 प्रतिशत घट कर 9.84 फीसदी रह गई। जुलाई में यह 11.51 रही थी। 

  • इन वस्तुओं ने बढ़ाया बजट

फल, तेल, ईंधन, बिजली, चीनी, मसाले, मांस-मछली, अंडा और स्वास्थ्य उत्पादों की महंगाई दर अगस्त में बढ़ गई।

  • इन उत्पादों के दाम घटे
वस्तुएं जुलाई  अगस्त 
अनाज13. 0411.85
दूध8.347.73
सब्जी 37.3426.14
दाल 13.2713.04
तैयार खाना 5.515.31
कपड़े 5.645.15
हाउसिंग4.474.38
शिक्षा  5.545.46
सौंदर्य8.968.12

मुख्य महंगाई ( खुदरा बाज़ार से खाद्य पेय पदार्थ व ईंधन के दाम हटाकर अगस्त में घट कर 5.06 फीसदी थी।

औद्योगिक उत्पादन 5 महीने में सबसे अधिक
उत्पादन, खनन और बिलजी क्षेत्र में दमदार प्रदर्शन के बूते औद्योगिक उत्पादन जुलाई में बढ़कर पांच महीने के सबसे उच्च स्तर 5.7 फीसदी पर पहुंच गया। इससे पहले फरवरी में उत्पादन की रफ्तारर 6 फीसदी ही रही थी। जुलाई में 2022 में आईआईपी में 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
 
विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन जुलाई 2023 में 4.6 फीसदी बढ़ा है। खनन उत्पादन में 10.7 फीसदी और बिजली उत्पादन में 8 फीसदी की वृध्दि हुई है । पहले चार महीने में औद्योगिक उत्पागदन 4.8 फीसदी बढ़ा है।