• 28 Apr, 2025

खाद्य तेल, प्याज, गेहूं का रिकार्ड उत्पादन, फिर भी दाम बढ़ रहे….

खाद्य तेल, प्याज, गेहूं का रिकार्ड उत्पादन, फिर भी दाम बढ़ रहे….

● खाद्य तेल 13 दिन में 30 रुपये, प्याज 4 माह में 35 रुपये और आटा 6 महीने में 7 रुपये महंगे हो गए ● सरकार ने किसानों को राहत तो दी पर मुनाफाखोरों ने बाजार में दाम ज्यादा बढ़ाए इन्हे नहीं रोका..

नई दिल्ली।  देश में खाद्य का उत्पादन बढ़ रहा है तो महंगाई घटनी चाहिए पर उल्टे बढ़ती जा रही है। उल्टी ही गंगा बह रही है। रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी सोयाबीन तेल, प्याज और आटे जैसी अति आवश्यक खाद्य वस्तुओं के दाम बेतहाशा  बढ़ रहे हैं।  सोयाबीन तेल तो सिर्फ 13 दिनों में ही 30 प्रतिशत तक महंगा हो गया। वहीं प्याज के दाम महज चार 4 माह में ही ढाई गुना ( 22-25 से बढ़कर 60 रुपये तक)  पहुंच गए हैं।  

     हैरत है कि यह स्थिति तब है जब देश में इस बार 1.27 करोड़ टन सोयाबीन उत्पादन का अनुमान किया गया है। यह पिछली बार 1.25 करोड़ टन ही था। इसी तरह रबी में प्याज का उत्पादन 1.91 करोड़ टन हुआ है और पिछली बार की  रबी फसल से 27 फीसदी ज्यादा है। वहीं 2023-24 में रिकॉर्ड 11.292 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ यह 2022-23 में यह उत्पादन 11.05 करोड़ टन था। यानी इस फसल में भी 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

  रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद महंगाई बढ़ने के पीछे बड़ा कारण है- सरकारी फैसले। मई में किसानों की मांग पर प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटी। इसके बाद प्याज के दामोंं में तेजी शुरू हुई।  इस बार सोयाबीन की फसल अच्छी थी। मंडियों में किसान को दाम नहीं मिल रहे थे। नाराज किसान आंदोलन पर उतारू थे सरकार ने नाराजगी दूर करने के लिए सोयाबीन के समर्थन मूल्य बढ़ाकर खऱीद शुरू की।  खाद्य तेल का आयात शुल्क सीधे 22 फीसदी बढ़ा दिया। नतीजतन दाम में अप्रत्याशित तेजी आ गई। गेंहू में इस बार सरकार ने 2 साल से खाली पड़े भंडार भरने के लिए समर्थन मूल्य पर भारी खरीदी की। खुले बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढी तो मुनाफाखोरों ने दाम बढ़ा दिए। 

जेब पर फैसलों का असर –

खाद्य तेल तेजी से महंगा हुआ-

  • खाद्य तेल - सरकार ने 14 सितंबर को खाद्य तेल पर आयात शुल्क बढ़ाया था नतीजतन 13 दिन में ही ( 27 सितंबर तक) कीमत 100 से बढ़कर 130 रुपये हो गई।
  • प्याज-  सरकार ने 5 मई को प्याज के निर्यात की मंजूरी दी तब प्याज 22- 25 रुपये किलो बिक रहा था और तीन माह बाद सितंबर के आते ही कीमत 60 रुपये किलो तक पहुंच गई।
  • आटा- मिलों ने विदेशों से आटे के लिए मिल रहे आर्डर को पूरा करने के लिए दाम बढ़ाए इसलिए छह महीने में कीमत 28 से 35 रुपये किलो हो गया।

   सोयाबीन के दाम प्रति क्विंटल 892 रुपये तक बढ़ाए गए थे….

  • सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डी.एन. पाठक ने बताया कि सोयाबीन आयल में करीब 40 प्रतिशत विदेशी पॉम आयल मिलाया जाता है। सोयाबीन उत्पादन में अग्रणी राज्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र  में किसानों को 4000 रुपये क्विंटल के दाम पर मिल रहा था। सरकार ने किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए 4892 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा की । वहीं विदेशी पॉम आयल में आयात शुल्क 13.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 35.75 फीसदी कर दिया जिससे दाम तेजी से बढ़े।
  • नासिक के जिला प्याज उत्पादक किसान संघ की अध्यक्ष निवृति निहारकर के अनुसार रबी में प्याज का उत्पादन 1.91 करोड़ टन हुआ। यह पिछली बार के उत्पादन से 27 प्रतिशत ज्यादा है। इस सीजन में प्याज का उत्पादन 2 करोड़ टन भी रहता है तो प्याज का कुल उत्पादन 3.5 करोड़ टन रह सकता है यह एक रिकॉर्ड होगा। प्याज निर्यात की अनुमति मिलने के बाद एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लेसलगांव में 7-8 रुपये ही बढ़े हैं। मगर देश के दूसरे हिस्सों में दाम पिछले साल से दोगुने करीब 60 रुपये किलो  हो गया है।

   विशेषज्ञों की राय-

किसानों की फसल का उचित दाम मिलेगा तभी पैदावार बढ़ेगी। शुरुआत आयातित फसल पर आयात शुल्क बढ़ाने से हो। देश में तिलहनों के उत्पादन को बढ़ाने को हुई पीली क्रांति की शुरुआत भी कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने से हुई थी । प्याज के उचित दाम मिलें इसके लिए एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाना जरूरी है।

   देवेन्दर शर्मा, कृषि विशेषज्ञ

    आटा 36 रुपये किलो है। यह पिछले साल से 4 रुपये ज्यादा है। सरकार के पास बैलेंस स्टॉक कम है इसलिए खुले बाजार में बेचने में देरी हो रही है। बेशक उत्पादन ज्यादा है लेकिन यूक्रन-रूस युध्द के बाद से हुए भारी एक्सपोर्ट के  बाद सरकारी स्टाक लगभग खत्म था और ऐसे में खरीद ज्यादा हुई। इसलिए मिलर्स को गेहूं नहीं मिल रहा।

   प्रमोद जैन, अध्यक्ष ऑल इंडिया मिलर्स एसोसियेशन