कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
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● सुधारवादी मसूद को 50 फीसदी युवाओं के वोट मिले ..
तेहरान। ईरान की जनता ने इतिहास रच दिया। शनिवार 6 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में सुधारवादी नेता मसूद पजशकियान ने कट्टरपंथी शहीद जलीली को हरा दिया। पेश से दिल के डॉक्टर मसूद का नए ईरान का नारा जैसे लोगों के दिलों में उतर गया। मसूद युवाओं में काफी लोकप्रिय रहे हैं। उन्होंने हिजाब की अनिवार्यता से मुक्ति का वादा किया था और उनका यह वादा असरदार भी रहा। मसूद को मिले कुल एक करोड़ 64 लाख वोटों में से 50 फीसदी वोट तो 30 साल से कम उम्र के युवाओं का ही रहा है। वहीं मसूद के प्रतिद्वंद्वी जलीली को एक करोड़ 35 लाख वोट ही मिले।
सबसे बड़ी चुनौती- खुमैनी की कट्टरपंथी सुप्रीम काउंसिल-
मसूद के सामने सबसे बड़ी चुनौती ईरान के सर्वोच्च धर्म गुरु अली खुमैनी की सुप्रीम कौउंसिल है। इसके 12 सदस्य सुधारवादी फैसलों पर वीटो भी कर सकते हैं। अमेरिका से प्रतिबंध हटाने पर अगले साल जनवरी तक कोई बड़ी डील की संभावन नहीं है। यदि यहां ट्रम्प राष्ट्रपति बने तो और मुश्किल होगी।
कट्टरपंथी जलीली को पहले दौर से बाहर हुए दो कट्टरपंथी उम्मीदवारों के हिस्से के वोट मिलने की उम्मीद थी लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि मसूद ने मास्टर स्ट्रोक चला कर हार की आशंका को जीत में ही बदल डाला।
ईरान के कुख्यात मॉरल पुलिस बसीज के अधिकारों में कटौती, हिजाब की अनिवार्यता खत्म कर इसे वैकल्पिक बनााया जाएगा।
पश्चिमी देशों के ईरान से प्रतिबंधों को हटाने का वादा, जिससे देश की आर्थिकी सुधरेगी और युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
मसूद ने प्रचार के दौरान बेहिसाब नुक्कड़ सभाएं की और इसके जरिये ही लोगों से सीधा संवाद किया। 34 साल की बेटी मरियम ने चुनाव प्रचार कर युवाओं को अपने साथ ले लिया। ज्यादातर युवा वोटरों को अपने पक्ष में कर पाने में सफल रहे।
मसूद ने चुनाव प्रचार में लोगों को इस बात की गारंटी दी कि यदि बदलाव लाने में वे कामयाब नहीं होते तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अपने इस गारंटी को मसूद ने अपनी नेकनीयति की तरह वोटरों के बीच घुमाया ।
■ चीन 2046 में जी रहा है, इसकी तरक्की की रफ्तार देखते ही बनती हैं…..
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