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■ छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले की मुन्नी बाई गोसाई के अंग अलग-अलग लोगों को मिलेंगे ■ ब्रेन डेड महिला के लंग समेत अन्य अंगों का दान ■ बेटे ने कहा माँ की इच्छा थी उनके अंगों से दूसरों का जीवन रोशन हो
रायपुर। 12 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस है इस अवसर को सार्थक किया है प्रदेश के खैरागढ़ जिले छुईखदान गंडई जिले की मुन्नी गोसाई ने । जीवन के लिए लंबे संघर्ष के बाद डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित कर दिया था उसके बाद उनके परिजनों ने अंगदान का निर्णय लिया इस क्रम में उनकी एक किडनी एम्स अस्पताल रायपुर, दूसरी किडनी और लिवर रामकृष्णा अस्पताल के मरीजों को दिया गया है, आंखें अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय को सौंपी गई है और उनके फेफड़े पुणे की 45 वर्षीय महिला को भेजे गए हैं ।
मुन्नी गोसाई के बेटे प्रकाश ने बताया कि पापा (राजकुमार) की तबियत ठीक नहीं थी इस झटके से माँ डिप्रेशन में थी इससे उनका बीपी और शुगर बढ़ गया था और उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगी थी इधर गंडई में वेंटिलेटर की सुविधा भी नहीं थी इस कारण हम एम्बुलेंस से माँ को 10 अगस्त को रायपुर लेकर आए । बेटे ने बताया कि माँ ने कहा था कि बेटा मैं नहीं बच पाऊंगी । डॉक्टर ने कहा कि उन्हें घर ले जाओ इनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सकता । अगस्त में ही माँ का टेस्ट हुआ था। उसके बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया । माँ कहती थी कि मरने के बाद मेरे अंग दान कर देना ताकि और लोगों की जिंदगी गुलजार हो सके । इसी के बाद पाप, मैंने व तीन अन्य भाइयों ने माँ के अंगदान का फैसला किया ।
लंग्स पुणे भेजे ये प्रदेश का पहला अंग डोनेशन है है प्रकाश ने बताया कि अंगदान की कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद 12 अगस्त को सुबह डॉक्टरों ने माँ के अंग निकालना तय किया। इस बारे में एक क्षेत्रीय अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन एसओटीटीओ को बताया । वी वाई हॉस्पिटल पिम्परी पुणे की 45 वर्षीय महिला को प्रत्यर्पण के लिए चुना गया। डॉक्टर्स की टीम ने सोमवार 12 अगस्त की सुबह अंगदान की प्रक्रिया पूरी की और माँ के लंग्स को एंबुलेंस से पुणे भेजा । इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। एसओटीटीओ के मुताबिक यह प्रदेश का पहला लंगर डोनेशन है । |
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