किसानों की आय बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़, रेल कर्मियों को बोनस
■ केन्द्रीय कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले
● अपने गांव में सीएम साय बने किसान, खेतों में की धान की बुआई ● गृहग्राम बगिया में पूजा -अर्चना कर खती किसानी की शुरुआत ● कहा खेती-किसानी की परंपरा को मैं जीवित रखना चाहता हूं ● किसानों को सब्सिडी और तकनीकी जानकारी देने होगा प्रशिक्षण
रायपुर। प्रदेश के मुखिया सीएम विष्णुदेव साय मंगलवार 18 जून को अपने गृह ग्राम बगिया में किसान की भूमिका में दिखाई दिये। उन्होंने पारंपरिक रीति रिवाज का पालन करते हुए मानसून की शुरुआत के साथ ही अपने पुश्तैनी खेतों में धान की बोनी करने का शुभारंभ किया। सीएम ने स्वयं अपने हाथों से खेतों में बिखेरा।
सीएम साय ने बीज छिड़काव से पहले पारंपरिक पूजा -अर्चना की जो जशपुर और सरगुजा अंचल के किसानों की पुरानी परंपरा है। इस परंपरा के अनुसार परिवार का मुखिया पहले अपने खेत में बीज छिड़कता है फिर परिवार के बाकी लोग उनका अनुसरण करते हैं। इस मौके पर सीएम साय ने कहा कि राज्य में कृषि आधारित रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को आधुनिक उपकरण के लिए सब्सिडी और तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री साय पारंपरिक कपड़े और साथ में पगड़ी पहने हुए थे। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि खेती किसानी हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। कहा कि मैं भी एक किसान परिवार से हूं और खेती -किसानी की परंपरा को जीवित रखना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि हमारे किसान आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अपने उत्पाद को बढ़ाएं और साथ ही साथ अपनी पारंपरिकता और विरासत को भी बचाए रखें।
कहा कि यह पहल न केवल पारंपरिक कृषि पध्दतियों को फिर से जीवत करने का प्रयास है बल्कि इससे यह भी संदेश देने की कोशिश की गई कि मुख्यमंत्री किसानों के साथ ही खड़े हैं। यही भी कि सीएम किसानों की समस्याओं को समझते भी हैं।
हाल ही में सीएम साय ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर राज्य में बेहतर खरीफ फसल के लिए जरूरी तैयारियों की समीक्षा की। देखा जा रहा है कि सीएम की इस पहल ने राज्य के किसानों में एक नई उम्मीद जगा दी है। बगिया गांव के ग्रामीणों ने कहा कि मुख्यमंत्री का हमारे साथ खेतों में काम करना हमारे लिए गर्व की बात है।
मुख्यमंत्री ने ऐन मानसून आने के समय खेती के लिए तैयारी करने के समय किसानों से अपील की कि वे आधुनिक तकनीक और पारंपरिका ज्ञान का उपयोग कर अपनी कृषि उत्पादकता को बढ़ाएं। साथ ही यह कहा कि हमारी सरकार किसानों की हर संभव मदद करने के लिए प्रतिबध्द है। हम कृषि क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी विकास को बढावा देंगे ताकि हमारे किसान अधिक पैदावार ले सकें और अपने जीवन स्तर को सुधार सके।
किसानों की तरक्की के लिए सरकार समर्पित मुख्यमंत्री ने प्रेस से चर्चा करते हुए कहा कि खरीफ का मौसम आ गया है. इसलिए खेती -किसानी का काम भी शुरु हो गया है। कहा कि किसानों की तरक्की के लिए राज्य सरकार पूरी तरह समर्पित है। सीएम ने कहा कि हमने किसानों से किए वादे के अनुरुप धान खरीदा और प्रति क्विंटल धान का 3100 सौ रुपये दिया भी। साथ ही यह भी कहा कि अंतर की राशि का भुगतान भी किसानों को एकमुश्त दिया। | अपने सोशल मीडिया हेंडल एक्स में मुख्यमंत्री साय ने छत्तीसगढ़ी में लिखा है कि - धान क कटोरा, हमर छत्तीसगढ़, जिहां अन्नदाता उपजाथे किसम -किसम के धान,बेरा आ गे हे बोवारा के ( बोनी ) किसान के मेहनत ले छत्तीसगढ बनही धनवान । आज अपन गांव बगिया मं ग्रामदेवता और ईष्टदेवता के पूजापाठ करके धान के बोवई शुरू करेंव। मां अन्नपूर्णा ले प्रदेश के जम्मो अन्नदाता के अच्छा फसल के बिनती करथंव,जय किसान , जय छत्तीसगढ़। |
■ केन्द्रीय कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले
● खाद्य तेल 13 दिन में 30 रुपये, प्याज 4 माह में 35 रुपये और आटा 6 महीने में 7 रुपये महंगे हो गए ● सरकार ने किसानों को राहत तो दी पर मुनाफाखोरों ने बाजार में दाम ज्यादा बढ़ाए इन्हे नहीं रोका..
■ हरेली छत्तीसगढ़ी लोक का सबसे लोकप्रिय और सबसे पहला त्यौहार है। ■ पर्यावरण को समर्पित यह त्यौहार छत्तीसगढ़ी लोगों का प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण दर्शाता है।
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