अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• नारी शक्ति वंदन से श्री गणेश • नई संसद का पहला दिन, पहला बिल, पहला संबोधन महिलाओं के लिए समर्पित • लोस-विस में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रावधान • बिल में 15 साल के लिए आरक्षण का प्रस्ताव • यदि पास हुआ तो ... परिसीमन तक इंतजार • यह सपना अधूरा था ईश्वर ने इसके लिए मुझे चुना- नरेन्द्र मोदी
नई दिल्ली। नई संसद में सभा की शुरूआत, लोकतंत्र की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही नरेन्द्र मोदी सरकार ने लंबे समय से विचाराधीन महिला आरक्षण विधेयक को लो 19 सितंबर 2023 को लोकसभा में पेश कर दिया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम से पेश संविधान के 128 वें संशोधन में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। - एससी-एसटी के लिए आरक्षित सीटों में महिलाओं के लिए भी एक तिहाई कोटा होगा। इस पर लोकसभा में चर्चा भी शुरू हो चुकी है। इसके बाद बिल राज्यसभा में जाना है। सरकार तो इसे 22 सितंबर तक चलने वाले संसद के विशेष सत्र में पास करना चाहती है। समझा जा रहा है कि ज्यादातर दलों के समर्थन में इसका पास होना भी तय था।
कहा जा रहा है कि 2024 के विधानसभा चुनाव या आम चुनाव में महिला आरक्षण का लागू होना मुश्किल है। क्योंकि संसद के मसौदे के मुताबिक कानून बनने के बाद पहली जनगणना और परिसीमन में महिला आरक्षण सीटें तय होंगी। 2021 में होने वाली जनगणना अब तक नहीं हो सकी है और ऐसे में आरक्षण 2026 से पहले पास होने की संभावना बहुत कम है। कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बिल पेश करते हुए कहा इससे लोकसभा में महिलाओं की संख्या 82 से 181 हो जाएगी। इसमें शुरूआत में 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान है। संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा।
नई लोकसभा भवन में अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा यह संसद भवन आजादी के अमृतकाल का ऊषा काल है। मैं दोनों सदनों के सभी सदस्यों से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने का अनुरोध करता हूँ। हम उन्हें जितनी सुविधा देंगे हमारी बहनें और बेटियां उतना सामर्थ्य दिखाएंगी। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि पुरानी संसद भवन में भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बना तो नए संसद भवन में दुनिया की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा।
नई लोकसभा को सबसे पहले संबोधित करते हुए स्पीकर ओमबिड़ला ने कहा कि पुराने संसद भवन को संविधान सदन के नाम से जाना जाएगा।
लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को तय करना है परिसीमनः- आबादी का प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनावों के निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के निर्धारण को परिसीमन कहते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ –
सीटें बढ़ाने की मंशा के चलते ही इस बिल को परिसीमन से जोड़ा है- पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त किदवई
अगर यह विधेयक संसद के मौजूदा विशेष सत्र में पारित भी हो जाता है तो इसके बाद होने वाली जनगणना के आधार पर परिसीमन की कवायद शुरू हो जाएगी। यानी इस प्रक्रिया के बाद सीटें नई लोकसभा की क्षमता को देखते हुए बढ़ाई जाएंगी और उसका एक तिहाई हिस्सा महिलाओं के हक में जाएगा। जाहिर है कि इस प्रक्रिया में सीटें बढ़ाने की मंशा शामिल है। इससे सीटें बढ़ सकती हैं और जिसका एक तिहाई हिस्सा महिलाओं को जाएगा। यदि ऐसा न होता तो इस बिल को परिसीमन से नहीं जोड़ा जाता।
विधेयक बिना परिसीमन के भी लाया जा सकता था। राज्यसभा में 2010 में पारित पिछले बिल में परिसीमन की शर्त नहीं थी, यह बिल पर निर्भर करता है। इस नए नारी शक्ति वंदन अधिनियम में महिला सीटों के आरक्षण के लिए अनुच्छेद 334 ए जोड़ा गया है इसमें कहा गया है महिला आरक्षण के लिए परिसीमन अनिवार्य है।
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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