• 28 Apr, 2025

किसानों की आय बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़, रेल कर्मियों को बोनस

किसानों की आय बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़, रेल कर्मियों को बोनस

■ केन्द्रीय कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले

नई दिल्ली।  केन्द्र सरकार ने गुरुवार तीन अक्टूबर को किसानों की आमदनी बढ़ाने औऱ मध्य वर्ग की खाद्य सुरक्षा के लिए दो महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। केन्द्रीय कैबिनेट ने इनके लिए दो प्रमुख योजनाओं प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि रोजगार योजना  ( पीएमआकेवीवाई) और कृषोन्नति ( केवाई) को मंजूरी दी।

  इन योजनाओं पर 101321.61 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरूवार को कैबिनेट की बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पीएम-आरकेवीवाई  टिकाऊ कृषि को बढावा देगा जबकि केवाई खाद्य सुरक्षा और कृषि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में सहायता करेगा। दोनो योजनाओं के तहत 9-9 अलग-अलग योजनाएं हैं। विभिन्न घटकों के कुशल और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सभी घटक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाएंगे। ये दोनो योजनाएं राज्यों की ओर से क्रियान्वित की जाती हैं। 101321.61 करोड़ के कुल प्रस्तावित व्यय में से कृषि औऱ किसान कल्याण विभाग के केन्द्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69088.98 करोड़ रु है। साथ ही इसमें राज्यों  का हिस्सा 32232.98 करोड़ रु है। इसमें कृषि किसान योजना के लिए 57074.72 करोड़ रुपये व कृषोन्नत योजना के लिए 44246.89 करोड़ रु शाामिल है। 

रेलकर्मियों को 78 दिन का बोनस

रेल कर्मियों को 78 दिन के बराबर बोनस देने को भी कैबिनेट में मंजूरी दी गई । इसका लाभ 1172240 रेल कर्मचारियों को होगा। इस पर 2028.57 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पात्र कर्मियों को देय अधिकतम राशि 78 दिनों के लिए 17951 रुपये होगी। इस राशि का भुगतान विभिन्न श्रेणियों के रेल कर्मचारियों ट्रैक मेंटेनर, लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर (गार्ड) स्टेशन मास्टर, पर्यवेक्षक, तकनीशियन, हेल्पर, पॉइंटमेंन और अन्य ग्रुप सी कर्मचारियों को किया जाएगा। 

खाद्य तेल संबंधी राष्ट्रीय मिशन -आयलसीड्स को मंजूरी

कैबिनेट ने 10103 करोड़ रुपये की खाद्य तेल से संबंधित राष्ट्रीय मिशन आयलसीड्स को भी मंजूरी दी है। यह कृषोन्नत योजना के तहत आने वाली 9 योजनाओं में से एक है। इस योजना का लक्ष्य 2031 तक खाद्य तेलों का उत्पादन 1.27 करोड़ टन से बढ़ाकर 2 करोड़ टन करना है। इस मिशन का वृहत लक्ष्य तिलहन उत्पादन में भारत को सात वर्षों में आत्मनिर्भर बनाना है। मिशन एक साथी पोर्टल लांच करेगा जिससे राज्य गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता के लिए हितधारकों के साथ समन्वय कर सकेंगे।