Sidhu Moosewala : जुड़वा बच्चों को जन्म देंगी सिद्धू मूसेवाला की मां...? अटकलों के बीच पिता ने तोड़ी चुप्पी...क्या बोले
सिद्धू मूसेवाला की मां को चंडीगढ़ के एक प्राइवेट अस्पताल में एडमिट करवाया गया है।
● 50 पार की उम्र में वो सब कुछ किया जिसके लिए कभी उनका दिल मचलता था और जिन कामों में सिर्फ युवाओं के हस्तक्षेप की कल्पना होती है...
चंडीगढ़ । नीरु सैनी की कहानी बहुत रोचक है और उससे कहीं ज्यादा रोमांचक भी। उनका जीवन मानव की असीम ऊर्जा, सक्रियता जीवटता के साथ जीवन में हमे नसीब होने वाली असीमित संभावनाओं का भी जीवंत प्रमाण है जिसमें व्यक्ति की उम्र का फकत नाम मात्र का ही हस्तक्षेप है। चाहे वह नृत्य हो, मोटर साइकिल की सवारी गांठनी हो या फिर दुर्गम पहाड़यो में ट्रैकिंग करनी हो आप तो बस नाम लीजिए और वे आपको वह करती दिखेंगी। उम्र के जिस पड़ाव पर लोग शांतिपूर्ण जीवन के लिए सब छोड़ किनारा तलाशते हैं 54 साल की नीरू सैनी जो पंचकुला हरियाणा में रहती हैं लगभग रोज ही पारंपरिकता की जड़ता से बाहर आकर सुर्खियां बनाती दिखती हैं। उन्होंने जीवन को उसकी संपूर्ण खुलेपन और आजादी के साथ भरपूर उत्साह से चुना है।
उनकी यात्रा भी आसान नहीं रही है, उनका जीवन भी लचीलेपन से सहज स्वीकार्यता के बोध और अदम्य उत्साह से छलछल करता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी तब ही से धूम मचा रखी है जब से उनका एक डांसिंग वीडियो वायरलवल हो गया है। और इतना ही नहीं उनके अनगिन हितैृषियों और असंख्य प्रसंशकों से सराहना और प्यार भी मिलता है। खुद नीरू जो इस समय भी चपलता से भरी हुई हैं बताती हैं कि इंटरनेट के बाशिंदे सब 50 की उम्र में नृत्य करने की आलोचना करते हैं पर नीरू को इसका कोई अफसोस नहीं है और न ही वे किसी की कोई परवाह ही करती हैं। निरंतर पहल से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जी यह सच है कि मुझे मेरे नवाचार के लिए क्रिटिसाइज भी किया गया । समाज ऐसा ही है एक हिस्सा कभी भी किसी नयेपन को स्वीकारता नहीं दिखता।
आप हैरान होंगे लोगों के संवाद और सवाल सुनकर जब वे कहते थे कि बड़ी-बूढ़ी औरतें अपने बच्चों को क्या सिखाएंगी जब वे खुद ही मुजरा कर रहीं हो। ( नीरु ने इस उम्र में डांस करना सीखने की योजना बनाई थी) । नीरू कहती हैं कि मेरा कुछ अलग करती हुई दिखना भी शायद उन्हे नागवार गुजरता था कि वे कहते थे कि मुझे अब तो राम भजन करना चाहिए। साथ ही यह भी कि इस उम्र मैं इस तरह- उत्साह से डांस करती रही तो मैं अपनी कमर के साथ ज्यादती कर रही होऊँगी। - फिर खुद अपनी ही बात पर कहती हैं- जहां आलोचना है वहां प्रसिध्दि भी तो मिलती है।
नीरू शुरू से इस तरह नहीं थीं कहती हैं मैं भी एक साधारण युवती थी। इनकी उत्साहपूर्ण जीवन की शुरूआत की कहानी उम्र के चौथे दशक के अंत से प्रारंभ होती है जब नीरू ने ट्रैकिंग , डांसिंग और मोटर साइकिल चलाना शुरु करने का मन बनाया था। इंस्टग्राम पर इनके बायो में उनके बहुमुखी प्रतिभासंपन्न महिला होने की जानकारी मिलती है। वे एक शिक्षिका हैं जो चंडीगढ़ में रहती हैं, योग साधिका हैं, एक
कुशल बाइकर भी हैं इनके अलावा भी बहुत सी विधाओं में नीरू साइनी की तारीफ के लायक दखल है।
नीरू कहती हैं - मेरी शादी तो 20 की उम्र में हो गई थी। मेरे पति मर्चेंट नेवी में थे। मैनें उनके साथ कोई 23 देशों की यात्राएं की हैं। फिर अचानक 28 की उम्र में हमारी दुनिया ही पूरी पलट गई जब हमें पता चला कि मेरे पति को कैंसर है। फिर 2000 का साल आया जो बहुत ही मुश्किल वक्त था जब पति की बीमारी के लिए लगने वाली दवाओं की कीमत लाख रुपये से अधिक हो गई है। कहा हमारी लाख अच्छी और बेहतर कोशिशों के अंततः वे 2002 में नहीं रहे। इस तरह नीरु दो छोटी बेटियों के साथ अकेली रह गईं। बेटियों की उम्र तब 4 और 10 साल की ही थी। यद्यपि उनके पति ने अच्छी कमाई की थी पर उनके उपचार में जमा पूंजी भी लगभग खत्म होने को आई. अब दो छोटी बच्चियों की पवरिश का कठिन जिम्मेदारी उन अकेली के कंधों पर था। अब अपने परिवार को सहारा देने के लिए नीरू को ट्यूशन क्लास लेनी पड़ी।
शुरूवाती कुछ महीने तो सचमुच बहुत ही कठिन बीते पर लगातार साहस और अनुशासन से लगे रहने और परिवार के लिए प्रतिबध्द रहने से वह कठिन दौर भी बीतने लगा। लगन से की गई मेहनत रंग लाने लगी और एक निजी स्कूल में नीरू को शिक्षिका का काम मिल गया। मेरी दिनचर्या थका कर मथ देने वाली थी जब मुझे 3 बजे सुबह उठना होता था अपनी बेटियों को स्कूल भेज कर मुझे खुद को पढ़ना और पढ़ाने जाना होता था। बाद में परीक्षा देकर मुजे सरकारी स्कूल में जॉब मिल गई। इस तरह नीरू ने 15 साल अपनी 32 साल की उम्र से 47 तक अपने को बच्चियों के लिए पूरी तरह से समर्पित रखा। उनकी प्रतिबध्दता और मेहनत का नतीजा सुखद रहा जब उनकी बड़ी बेटी का एडमिशन आइवी लीग यूनिवर्सिटी में हो गया और उसने बाद में एक अच्छी जॉब भी अपनी योग्यता के दम पर हासिल कर ली। बाद में छोटी बिटिया ने भी एक सफल कैरियर सुरक्षित कर लिया।
हालांकि जब नीरू 47 की हुईं और उनकी बिटिया दोनो विदेश चली गईं तो एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा- नितांत अकेलापन। इस तरह का एकाएक आया खालीपन उन्हे अवसाद की भंवर की ओर खींच ले गया। नतीजा यह हुआ कि उनका वजन अच्छा-खासा कम हो गया। इसी बीच अपनी मां के तनाव और टूटन को देख उनकी छोटी बेटी ने अपने काम से पूरे एक साल का अवकाश लेने का फैसला किया और उन्होंने अपनी मां नीरू को अपने आप को संम्हालने के लिए प्रेरित किया।
नीरू कहती हैं कि यह मेरा वेक अप काल था एक तरह से। यही वह समय था जब मैने ध्यान और योग की ओर रुख किया। एक तरह से कह सकते है कि मेडिटेशन और योगाभ्यास मेरे नये जीवन की ओर यात्रा की नई शुरुआत थी। यही वह समय भी था जब मैने एडवेंचर स्पोर्ट्स को भी आजमाया- जैसे क्विफ जम्पिंग, स्कूबा डाइविंग और स्काई डाइविंग वगैरह वगैरह..।
अपनी बेटियों के उत्साहित किये जाने पर नीरू ने नए अनुभव के द्वार खोले - नीरू ने बताया कि मैने ट्रैकिंग की शुरूवात की साथ ही कई तरह के नए से लगने वाले जोखिम वाले खेल भी आजमाए। उल्लेखनीय रूप से 52 की उम्र में नीरू ने मोटर साइकिल से दो सोलो यात्राएं करने का जोखम भरा काम भी किया जिमसें 7 दिनों का सफर कश्मीर का और दूसरा 8 दिनोंका टूर राजस्थान का रहा। चंडीगढ़ के स्कूल की सबकी चहेती साइंस टीचर नीरू गहरे तक स्कूल की गतिविधियों में रम गईं,वे हर सुबह साइकिलिंग करने लगी, योग अभ्यास नियमित दिनचर्या का हिस्सा हो गया।
नीरू ने कहा कि - मैने यह अनुभव किया है कि हर महिला को अपने लिए भी जीना चाहिए, अपने सपनों को पूरा करना करने की कोशिश जरूर करनी चाहिए। नीरू सैनी की कहानी मानव की ऊर्जा, अदम्य साहस और मानवीय क्षमता और असीमित उत्साह का जीवंत प्रमाण है। निजी जीवन की त्रासदी से अपने भीतर की ऊर्जा और क्षमता को पहचानने की यात्रा बहुतों के लिए एक रोचक और प्रेरक प्रसंग हो सकती है।
यह बताता है कि अपने आप को फिर से गढने के लिए और जीवन को भरुपूर उत्साह से जीने के लिए कभी कोई देरी नहीं हुई होती ।
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