• 28 Apr, 2025

अफसरों की लापरवाही से मेडिकल क्लेम के सैकड़ों केस अटके...

अफसरों की लापरवाही से मेडिकल क्लेम के सैकड़ों केस अटके...

• अफसरों का निर्देश, आवेदन चेक लिस्ट के बाद ही भेजे जाएं • पूरे दस्तावेज नहीं होने से भी हो रही परेशानी • 12 बिंदुओं की चेकलिस्ट और प्रमाणपत्र जरूरी

रायपुर। प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की संख्या चार लाख से अधिक है और इनके स्वास्थ्य से संबंधित इलाज के क्लेम के सैकड़ों केस पेंडिंग पड़े हुए हैं। शासन के संज्ञान में यह बात आई है कि संबंधित कर्मियों के दफ्तर के अधिकारी निर्धारित चेकलिस्ट के बिना ही आवेदन और मेडिकल बिल से संबंधित दस्तावेज संचालनालय भेज देते हैं।  इस वजह से क्लेम मंजूर होने में अनावश्यक महीनों की देर होती है।  
   लगातार हो रही परेशानी और संबंधित हितग्राही कर्मियों के पीड़ित होते रहने से कर्मचारियों और संचालनालय की शिकायत शासन सक्रिय हुआर है कहा जा रहा है कि आवेदकों ने यह बात भी शासन की जानकारी में लाई है कई बार दफ्तर के स्टाफ की सेवा नहीं करने पर भी वहां से अधूरे दस्तावेज संचालनालय भेज दिये जाते हैं। यानी की दफ्तर के स्टाफ के लोग पीड़ितों से इस काम के सही ढंग से करने के लिए भी कुछ अतिरिक्त लाभ की उम्मीद करते हैं और अपेक्षाएं पूरी नहीं होने पर वे अधूरे दस्तावेज संचालनालय भेज देते हैं जिससे आपत्तियां लग जाती हैं या फिर अधूरे दस्तावेज होने के कारण काम तय समय पर नहीं होता और महीनों की लेट लतीफी होती है। इन वजहों से हितग्राही कर्मचारियों को भटकना पड़ता है।
    इन्हीं सब बातों के कारण लोगों को हो रही असुविधा को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय से स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव जनक कुमार ने अफसरों और दफ्तरों को निर्देश दिये हैं कि 12 जरूरी बिंदुओं का चेक लिस्ट व विभागीय प्रमाणपत्र के बाद ऐसे केस संचाललनालय भेजे जाएं। अभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों  और उनके परिजनों को आकस्मिक हालात में प्रदेश और देश के चुनिंदा अस्पतालों में इलाज करवाने की सुविधा है। इन सबका का खर्च सरकार उठाती है और इसके लिए तय प्रक्रिया के तहत रिएंबर्समेंट के लिए आवेदन भी करना पड़ता है। 

  • आवेदन जमा करने की प्रक्रिया-
    • गैर नक्सल इलाकों में पदस्थ आवेदकों को मेडिकल क्लेम के लिए कार्यालय प्रमुख या नियंत्रक अधिकारी का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
    • विभागीय प्रमाणपत्र में सभी जरूरी जानकारी हों, मूल प्रमाणपत्र जमा करना होगा। 
    • इसमें संस्था प्रमुख का हस्ताक्षर, सील पदनाम वाली मोहर लगना जरूरी है।  
    • तय स्थान पर आवेदक का नाम और हस्ताक्षर भी आवश्यक है। 
    • सिविल सर्जन द्वारा सरकारी अस्पताल द्वारी सीजीएसएच दर के अनुसार राशि का प्रमाणपत्र भी सत्यापित प्रति भी जरूरी है उपचार की अवधि के साथ। 

अस्पताल में इलाज के अलग-अलग प्रमाणपत्र-

  • एम आर फार्म- 
  • मेडिकल रीएंबर्समेंट फार्म पूरी जानकारी के साथ सत्यापित छाया प्रति के साथ जिसमें कर्मचारी का नाम, हस्ताक्षर, अस्पताल प्रमुख का हस्ताक्षर भी सील सहित होना जरूरी है।
  • परिवार के आश्रित सदस्यों द्वारा आश्रित प्रमाणपत्र -शपथ पत्र एक रुपये के स्टाम्प पेपर पर नोटराइज करवा कर सत्यापित फोटो कॉपी जमा करनी होगी।
  • डिस्चार्ज समरी, सूचना पत्र, मेडिसिन लिस्ट और ओपीडी का चिकित्सा देयक।
  • रकमः सक्षम अधिकारी-
    1500 तक – नियंत्रण अधिकारी
    1501 से 5000 तक – जिलों के लिए सिविल सर्जन, जिला आयुर्वेद अधिकारी , मेडिकल कॉलेज के लिए अधीक्षक उप संचालक
    5001 से 25000 तक संभागीय संयुक्त संचालक, सीएमओ और आयुष विशेषज्ञ 
    25001 से अधिक – संचालनालय के विशेषज्ञों की समिति। संचालक स्वास्थ्य, आयुष संचालक व संचालक चिकित्सा शिक्षा।