• 28 Apr, 2025

बेटियां बुढ़ापे की खुशियां होती हैं...

बेटियां बुढ़ापे की खुशियां होती हैं...

• माता-पिता अच्छा महसूस करते हैं बेटियों के साथ • अकेलापन दूर करते हैं, आर्थिक स्तिथि भी सुधरती है

सिडनी।  कहने को तो कहते हैं कि बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है पर समय के साथ इस यकीन में कुछ बदलाव भी देखने को मिले हैं। एक ताजा शोध के नतीजे बताते हैं कि बेटियां बुढ़ापे की खुशियां होतीं हैं। एक जर्नल ऑफ हैप्पीनेस स्टडीज में प्रकाशित एक पेपर जिसका शीर्षक - हैप्पीनेस इन ओल्ड एजः द डॉटर कनेक्शन  के अनुसार खासकर एशियाई देशों में बेटों का जन्म लोगों को अपार खुशियां देता है, लेकिन माता-पिता को असली खुशी बेटियों के साथ ही रह कर मिलती है।

   एक नया शोध मोनाश यूनिवर्सिटी मलेशिया के बिजनेस स्कूल के शोधार्थियों ने किया है और इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता और डेवलपमेंट इकोनामिक के प्रोफेसर एम. नियाज असदउल्लाह  कहते हैं 2030 तक एशिया में  दुनिया की सबसे बड़ी बुजुर्ग आबादी होगी। तेजी से वृध्द होते एशियाई समाजों में माता-पिता बच्चों को बुढापे के सहारे के तौर पर देखते हैं। उनसे बढ़ती उम्र में अपनी मदद करने की उम्मीद करते हैं। और ऐसे में बुढ़ापे में खुशी और बच्चों के जेंडर के बीच संबंधों को जानने के लिए एक शोध किया गया था। इसके नतीजे बताते हैं कि वृध्द समाज में बेटियां माता-पिता के लिए बेहद मूल्यवान हो सकती हैं।

   बेटियों के साथ रहने से चार तरीके से खुशी मिलती है। पहला बेटियों के साथ रहने वाली माएं अच्छा महसूस करती हैं। उनमें यह विश्वास पैदा होता है उनकी सेहत लगातार सुधर रही है। दूसरा अध्ययन में यह भी देखा गया है कि लड़कों के साथ रहने वाले माता-पिता की तुलना में बेटियों के साथ रहने वाले माता-पिता कम अकेलापन महसूस करते हैं। तीसरा बेटी के माता-पिता से अच्छे रिश्ते या बेटी की उच्च शिक्षा के मामले में उनका साथ माता-पिता को भावनात्मक रूप से मजबूत करता है। उनकी चिंताएं कम करता है। चौथा- बेटियों का साथ माता-पिता की आर्थिक स्थिति को भी सुधारता है। 
   असदुल्लाह कहते हैं कि हमारे निष्कर्ष में तेजी से बूढ़ी होती एशियाई इकॉनाॉमी के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत सुधार भी है। वे सुझाव देते हैं कि बच्चियों की शिक्षा में निवेश बढ़ाने से बुजुर्गों की भलाई जैसे दीर्घकालिक लाभ मिल सकते हैं।

थाईलैंड में 32 फीसदी लोग बेटियों के साथ रहते हैं, चीन में सबसे कम 6.4 फीसदी ही ....

असदुल्लाह कहते हैं कि बेटी के बजाय बेटे को पारंपरिक प्राथमिकता बूढ़े होते एशियाई समाजों में लैंगिक असमानता को और खराब कर सकती है। वियतनाम में अधिकांश वृध्द विवाहित बेटे के साथ रहते हैं। भारत में 79 फीसदी वृध्द अपने बच्चों के साथ रहते हैं। थाईलैंड में 32 फीसदी बेटियों के साथ और 29 फीसदी बेटो के साथ रहते हैं। चीन में सिर्फ 4.8 फीसदी पिता और 6.48 फीसदी माताएं बेटियों के साथ रहना पसंद करती हैं।