आतंकी मुठभेड़ में पैर गंवाने के 22 साल बाद पैरालिंपिक में देश को दिलाया मेडल
■ मैन्स जैवलिन में नवदीप ने गोल्ड जीता
• यहीं के वेल्लामल विद्यालय से निकले हैं आर. प्रागननंदा, डॉ मुकेश जैसे ग्रैंडमास्टर्स • इसलिए बन पाया चेस फैक्ट्री
चेन्नई। शतरंज का विश्व चैंपियनशिप जीतने के बाद से ग्रैंड मास्टर आर प्रागंननंदा निरंतर चर्चा में बने हुए हैं। बताते चलें के प्रागननंदा ने तब ग्रैंडमास्टर्स का टाइटिल हासिल कर लिया था जब वे केवल 12 साल के ही थे। वे आज से केवल सात साल पहले 2016 में सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर्स बन गए थे।
भारत में अभ तक शतरंज के कुल 83 ग्रैंडमास्टर्स बने हैं इसमें से 29 अकेले तमिलनाडु से बने हैं। इसी से इस खेल को लेकर इस प्रदेश में हमेशा से अलग तरह का उत्साह रहा है। इसका सबसे बड़ा श्रेय चेन्नई के वेल्लामल विद्यालय को भी जाता है। इस विद्यालय को इंडिया का चेस फैक्ट्री कहा जाता है जहां से अब तक 15 चैस के ग्रैंडमास्टर्स निकले हैं। अकेले प्रागननंदा ही नहीं बल्कि जैसे अधिभान, सेंथुरमन, श्यामसुंदर, के. प्रियदर्शन, कार्तिक, वीएपी, कार्तिकेयन, मुरली, अरविंद चिदंबरम और डी. मुकेश जैसे ग्रैंडमास्टर्स इसी स्कूल से निकले हैं।
उल्लेखनीय है कि इस स्कूल में चैस के प्रशिक्षण के लिए हर साल ही एक हजार बच्चे प्रवेश लेते हैं। इसकी सालाना फीस मात्र 2 हजार रुपये ही है। अभी यह स्कूल अपने सबसे प्रतिभाशाली विद्यार्थियों आर. प्रागनंदा और डी मुकेश की मेजबानी का बड़ी शिद्दत से इंतजार कर रहा है। एक अकेल संस्थान ने देश के इतने सारे शतरंज के चैंपियन कैसे तैयार किये इसके पीछे स्कूल के प्रबंधन और प्रशिक्षकों का लगन और उनकी कड़ी मेहनत है।
ट्रेनिंग- रुचि के हिसाब से होती है विशेष ट्रेनिंग वेल्लामल विद्यालय की उप प्राचार्य सुश्री चित्रा डेनियल निरंतर पहल को बताया कि हमने स्कूल में एक्ट्रा क्यूरिकुलर नामक एक सालभर चलने वाला नया पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसमें हम छात्र की रुचि के मुताबिक विशेष प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था करते हैं। केवल खेल या शतरंज ही नहीं इसके तहत बहुत से छात्र नृत्य संगीत और फाइन आर्ट्स की कक्षाएं भी लेते हैं। | क्या है सकारात्मक पहलू --- शतरंज में प्रशिक्षण लेने हर साल इस स्कूल में एक हजार छात्र प्रवेश लेते हैं। स्कूल ने लगातार पांच साल तक विश्व चेस स्कूल चैंपियनशिप में जीत दर्ज कर अपना नाम रोशन किया है। वेल्लामल के अध्यक्ष मुथुरामलिंगम कहते हैं कोई छात्र यदि पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं है तो उसमें कोई न कोई अन्य प्रतिभा जरूर होती है। यह स्कूल में हमारा कर्तव्य है कि हम उस प्रतिभा को पहचानने में छात्रों की मदद करें। |
आंकड़े –
■ मैन्स जैवलिन में नवदीप ने गोल्ड जीता
■ हरविंदर ने इतिहास रचा, भारत को पैरालिंपिक में चार गोल्ड
■ रजत पदक विजेताओं को 2 करोड़ और कांस्य विजेता को मिलेगा 1 करोड़ रुपये.. ■ राज्य खेल अलंकरण समारोह में 506 खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया ■ वर्ष 2021-22 और 23 के पदक विजेताओं कोे ईनाम ■ खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति और विभाग में रिक्त पदों पर भर्ती होगी
■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
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