• 28 Apr, 2025

तीन साल में पेट्रोल कारों से सस्ती होगी ईवी

तीन साल में पेट्रोल कारों से सस्ती होगी ईवी

● इनोवेशन- बैटरी की कीमत और उत्पादन लागत तेजी से घटा रही है तकनीक- गार्टनर

नई दिल्ली।  बैटरी चलित वाहन यूं तो प्रदूषण से मुक्ति के लिए इजाद की गई थी साथ ही इससे वाहन चलाने की लागत भी कम होती है पर बैटरी के उत्पादन लागत और खपत से ईवी यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल के दाम बढ़ दाते हैं यही वजह है कि सरकारें इन वाहनों की खरीद पर सब्सिडी की घोषणा करने लगी थीं।

अब पेट्रोल-डीजल गाड़ी से मुक्त होकर लोग बैटरी से चलने वाली गाड़ी की ओर रुख कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि उम्मीद है कि कुछ सालों में बैटरी से चलने वाली गाड़ियां ( ईवी) उन लोगों की पहुंच में होगी। लोग अभी पेट्रोल-डीजल वाहन के दाम कम होने के कारण इन्हें ही इस्तेमाल करते हैं। ईवी की कीमत आम वाहनों के मुकाबले कम होने में सिर्फ तीन साल लगेंगे।

अमेरिकी रिसर्ट फर्म गार्टनर का अनुमान है कि 2027 तक नेक्सट जनरेशन ईवी की औसत कीमतें पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम हो जाएगी। कहा कि इस क्षेत्र में इनोवेशन तेजी से बढ़ रहा है और नई तकनीकें ईजाद की जा रहीं हैं। इससे बैटरी की कीमत और ईवी की उत्पादन लागत दोनों ही तेजी से घट रही है।

  • अनुमान से अधिक तेजी से कम हो रही है कीमतें-

गार्टनर के वाइस प्रेसिडेंट ( रिसर्च डिविजन) पेड्रो  पेचेको कहते हैं -जैसे जैसे ईवी कंपनियां प्रोडक्ट डिजाइन के साथ -साथ उत्पादन तकनीक आधुनिकतम कर रहे हैं सेंट्रलाइज व्हीकल आर्किटेक्चर (गीगाकास्टिंग)  जैसे इनोवेशन बढ़ रहे हैं।  नतीजतन आगामी कुछ वर्षों में ईवी की प्रोडक्शन लागत बैटरी की लागत के मुकाबले तेजी से घटेगी । इसका अर्थ हुआ कि ईवी की मैनुफैक्चरिंग लागत अनुमान से पहले पेट्रोलियम गाड़ियों की लागत के बराबर आ जाएगी।

  • 2027 से पहले 15 फीसदी ईवी कंपनियां बंद होंगी, पर यह सामान्य ट्रेंड भी है..

गार्टनर का अनुमान है कि बीते 10 सालों में स्थापित ईवी कंपनियों में से 15 फीसदी का 2027 तक अधिग्रहण हो जाएगा या फिर वे दिवालिया हो जाएंगी। पचेको ने कहा कि इसका ये मतलब नहीं है कि ईवी सेक्टर सिमट रहा है। ये ग्रोथ नए चरण में प्रवेश का संकेत हैं जहां सबसे अच्छे प्रोडक्ट और सर्विस वाली कंपनियों का अस्तित्व होगा। सभी ईवी स्टार्ट अप कंपनियां नहीं टिक पाएंगी। 
 

देश में ईवी 30 प्रतिशत महंगी,लेकिन इन्हें चलाने का खर्च अभी 6 गुना सस्ता

अन्य देशों के मुकाबले भारत में ईवी चलाना अभी भी  किफायती है। मसलन अभी इलेक्ट्रिक कारों के दाम समान मॉडल की पेट्रोल कारों के मुकाबले 20 स 30 फीसदी ज्यादा है। ये फर्क भी साल दर साल कम होता जा रहा है। अभी पेट्रोल कारों की रनिंग कास्ट जहां 7 से 8 रुपये प्रति किलोमीटर है वहीं ईवी कारे चलाने की लागत एक से डेढ़ रुपये प्रति किलोमीटर है। 

2025 तक 43 फीसदी बढ़ जाएगी  ईवी कारों की बिक्री

ऑटोमोबाईल मार्केट में तेजी से बढ़ेगी ईवी की पैठ। गार्टनर का अनुमान है कि 2025 तक दुनियाभर में ईवी की बिक्री 43 फीसदी बढ़कर 2.06 करोड़  तक पहुंच जाएगी। बताया गया है कि 2023 में 1.44 करोड़ ईवी कारें बिकी थीं। अब नए वित्तीय वर्ष 2024 में भी इसकी बिक्री 1.84 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। गार्टनर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हम गोल्ड रश से 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट' की ओर बढ़ रहे हैं। इसका मतलब है कि इस सेक्टर की कंपनियों की सफलता अब नए ईवी वाहन अपनाने वालों की जरुरत पूरी कर पाने की क्षमता पर निर्भर करेगी।