• 28 Apr, 2025

दलित पार्टियां बन रही हैं कांग्रेस व इंडिया गठबंधन की राह का रोड़ा..

दलित पार्टियां बन रही हैं कांग्रेस व इंडिया गठबंधन की राह का रोड़ा..

■ हरियाणा में इनलो- बसपा गठबंधन के बाद अब दुष्यंत चौटाला व चंद्रशेखर ने मिलाया हाथ ■ कांग्रेसे के जाट -दलित वोट बैंक में सेंध लगी तो सीधा लाभ भाजपा को ■ उप्र चुनाव में बसपा का सक्रियता भी इंडिया एलायंस के लिए मुसीबन न बन जाए…

नई दिल्ली। जातीय जनगणना , संविधान की रक्षा और आरक्षण जैसे मुद्दों पर भाजपा को सांसत में डालने की कोशिश में जुटी कांग्रेस की राह में अब तो दलित पार्टियां भी रोड़ा बनती नज़र आ रही हैं। हरियाणा में अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) व बसपा के बाद दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) व दलित नेता चंद्रशेखर आजाद समाज पार्टी ने गठबंधन की घोषणा कर दी है।

तय हुआ है कि जेजेपी 70 व चंद्रशेखर  की  आजाद समाज पार्टी  20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं उप्र चुनाव के पहले बसपा सुप्रीमों मायावती भी बहुत सक्रिय हो गई हैं। मंगलवार 27 अगस्त को फिर से पार्टी की अध्यक्ष चुने जाने के बाद फिर से अपना पुराना नारा बहुजन हिताय बहुजन सुखाय दोहराया और अपने समर्थकों को भाजपा और इंडिया गठबंधन से दूर रहने की सलाह दी।

उत्तर प्रदेश में भी दस सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने वाले हैं जिमसे बसपा पूरे जोशो खरोश से मैदान में उतर रही है। दरअसल हाल ही में लोकसभा चुनाव में दलित वोटरों के एक वर्ग ने इंडिया गठबंधन के पक्ष में वोट दिया था जिससे उसे बढ़त मिली और भाजपा पूर्णबहुमत से दूर हो गई।  इस चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था।

  • सामाजिक न्याय की पिच पर आक्रामक कांग्रेस -

कांग्रेस ने पिछले वर्ष रायपुर में फरवरी में हुए महाधिवेशन में सामाजिक न्याय की पिच पर आक्रामक तरीके से खेलना शुरू किया था। कर्नाटक विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक राहुल गांधी ने जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी

व जातीय जनगणना का नारा बुलंद किया था। दलित नेता और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पूरी शिद्दत से इस मुहिम को आगे बढ़ाया। इसका नतीजा यह हुआ कि दलितों का एक वर्ग कांग्रेस के साथ हो लिया और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों की संख्या 99 तक पहुंच गई।

अब लेकिन दलित पार्टियां पहले के मुकाबले अधिक सक्रिय हो गई हैं। जो जाहिर है आगामी चुनावों मे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकती हैं।

  • जाट-दलित समीकरण पर सभी की निगाहें -

हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है जहां दलित वोटरों की संख्या 20- 21 प्रतिशत है। चोटाला परिवार से संंबंध रखने वाली इनेलो और  जेजेपी का मुख्य आधार जाट वोटर हैं और इन दोनों ने ही दो अलग -अलग दलित पार्टियों से गठबंधन किया है। हरियाणा के इस जाट और दलित समीकरण पर सभी की निगाहें हैं।

हरियाणा, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश के उप चुनाव लिटमस टेस्ट

हरियाणा, महाराष्ट्र  और उप्र के दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजों से  कई राजनीतिक संदेश निकलेंगे।  पहला संदेश तो यही होगा कि गठबंधन वाले दलों के वोट आपस में कितने ट्रांसफर होते हैं। दिल्ली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप आम आदमी पार्टी के सीटों का गठबंधन इस मामले मेंं उतना प्रभावी नही रहा था।

निचले स्तर पर दोनों दलों के कार्यकर्ता अंतिम समय पर जुड़ नहीं पाये। यह बात उप्र में कुछ बेहतर थी तो नतीजे भी जाहिर है अच्छे ही मिले। ये चुनाव अब इस बात का भी प्रमाण होंगे कि मतदाता आखिर कितना जागरुक हुआ है। क्या वह केवल जाति, पंथ या कुनबे के आधार पर वोट देगा या किसी को जिताने या हराने के लिए मतदान करेगा। यही कारण है कि कई राजनीतिक पंडित इन चुनावों को करीब से देख रहे हैं विशेष रूप से हरियाणा और महाराष्ट्र के मतदाताओं के बारे में यह बात कही  सकती है।