अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
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24.16 लाख टन कोयला आयात के लिए टेंडर
नई दिल्ली
दे श में बिजली संकट के मद्देनजर कोल इंडिया लिमिटेड यानी सी आई एल 2015 के बाद पहली बार विदेशों से कोयला आयात करेगी। सीआईएल ने सितंबर महीने के अंत तक विदेशों से 24.16 लाख टन कोयला आयात करने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया है। इस कोयले का इस्तेमाल पावर प्लांट को कोयले की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा। कॉन्ट्रैक्ट की अनुमानित कीमत 3100 करोड़ रुपए है। आयातित कोयले की सप्लाई राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले बिजली संयंत्रों और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के लिए किया जाएगा। पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड और मध्य प्रदेश स्थित इनके 26 प्लांट में हर एक को 1.2 लाख टन कोयले की सप्लाई होगी। कोल इंडिया जुलाई 2022 से जून 2023 की अवधि में डिलीवरी के लिए एक और टेंडर जारी करेगी।
संयंत्रों को छूट, महंगा कोयला आयात करने वाले प्लांट बढ़ा सकेंगे बिजली की कीमत
केंद्र सरकार ने विदेश से कोयला आयात कर बिजली बनाने वाले थर्मल संयंत्रों को इसकी छूट दी है कि वह बिजली तैयार करने में आने वाली बढ़ी हुई लागत को बिजली खरीद ( पीपीए) के जरिए वसूल कर सकते हैं। बता दें कि (पीपीए)थर्मल पावर प्लांट और कोल सप्लायर के बीच होता है। जिसकी दर पहले से ही तय होती है। लेकिन मौजूदा समय में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला काफी महंगा हो गया है और देश में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कोयला आयात करना बेहद जरूरी है तो केंद्र सरकार ने थर्मल संयंत्र की लागत को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।
कोयला आयात के लिए बनी थी यह योजना
बिजली मंत्रालय ने 18 मई को आगाह किया था कि अगर कोयला आयात का आर्डर 31 मई तक नहीं दिया गया और आयातित ईंधन 15 जून तक बिजली घरों में नहीं पहुंचा ऐसे में चूक करने वाली बिजली उत्पादक कंपनियों को अपना आयात 15% तक बढ़ाना होगा। मंत्रालय ने राज्य सरकारों और बिजली उत्पादक कंपनियों को लिखे पत्र में यह भी कहा था कि इसके अलावा यदि 15 जून तक घरेलू कोयले के साथ आयातित कोयले का मिश्रण शुरू नहीं किया जाता है तो संबंधित चूक कर्ता की ताप विद्युत संयंत्रों की घरेलू आवंटन में 5% की और कमी की जाएगी।
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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