• 28 Apr, 2025

एमबीबीएस फर्स्ट ईयर से क्लिनिकल बेस्ड एजुकेशन, सप्लीमेंट्री बैच नहीं..

एमबीबीएस फर्स्ट ईयर से  क्लिनिकल बेस्ड एजुकेशन, सप्लीमेंट्री बैच नहीं..

• एनएमसी ने जारी किए बदलाव • प्रैक्टिकल और थ्योरी मिलाकर 50 फीसदी अंक • पहले सेकंड ईयर से होते थे प्रैक्टिकल,नया सिलेबस भी

रायपुर । मेडिकल की पढ़ाई नए सत्र से कुछ बदलावों के साथ शुरू होगी। नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने ने बड़े बदलावों के साथ एमबीबीएस सत्र 2023-24 का नया सिलेबस करिकुलम जारी किया है। एक सितंबर 2023 से इसके तहत पढ़ाई शुरू भी होने जा रही है। इसमें खास बात यह है कि अब छात्रों को फर्स्ट ईयर से ही क्लिनिकल बेस्ड प्रैक्टिल करने का अवसर मिलेगा जो इससे पहले दूसरे साल की पढ़ाई से मिला करता था।  
     इसके अलावा पहले छात्रों को प्रैक्टिकल और थ्योरी में 50-50 प्रतिशत पासिंग अंक अनिवार्य था जिसे अब दोनों मिलाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इतना ही नहीं अब इसके साथ एक कॉलेज से दूसरे में ट्रांसफर,ग्रेस देकर पास करना और सप्लीमेंट्री बैच के दशकों पुराने सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। 
 एनएमसी ने सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन और सभी मेडिकल यूनिवर्सिटीड के कुलपतियों के साथ दो दिन की बैठक की थी। इस दौरान एनएमसी ने नए बदलाव की जानकारी दी। इधर सिलेबस में बदलाव पर कॉलेज की ओर से स्पष्टता से कुछ नहीं कहे जाने की बात की गई है। जैसे कि नया करिकुलम सभी बैच के लिए होगा या कि सिर्फ 2023 -24 के बैच से, क्योंकि एनएमसी की गाइडलाइन में इसे स्पष्ट नहीं किया गया है। थर्ड ईयर में छात्र ईएनटी ऑप्थेल्मोलॉजी की पढ़ चुके हैं तो नये करिकुलम के मुताबिक ये सब्जेक्ट्स प्रीवियस फायलन पार्ट वन में भी शामिल है। इस तरह के भ्रम पर एनएमसी की ओर से कहा गया है कि हफ्तेभर में इस तरह की सभी प्रश्नों आपत्तियों का निराकरण कर सूचित करेंगे। कहा गया है कि एमसीआई मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के भंग होने के बाद अस्तित्व में आए नेशनल मेडिकल कमीशन का पूरा फोकस क्लिनिकल की पढ़ाई पर है। 

स्किल बेस्ड एजुकेशन, प्रैक्टिकल ज्यादा होंगे

  1. इसके तहत यूनिवर्सिटीज को पांच हफ्ते के भीतर सप्लीमेंट्री की परीक्षाएं लेनी होंगी। छात्र पुराने बैच के साथ पढ़ाई नहीं करेगा। रैगुलर बैच के साथ ही पढ़ाई जारी रखेगा। पहले छात्र 6 महीने पिछड़ जाते थे।  
  2. किसी भी स्थिति में छात्र का एक से दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण नहीं हो सकेगा। पूर्व के कई छात्रों ने मेडिकल ग्राउंड पर स्थानांतरण लिया है। 
  3. एक छात्र को परीक्षा पास करने के लिए कुल चार ही प्रयास के अवसर मिलेंगे इससे पहले कोई समय सीमा तय नहीं थी। 
  4. पहले ही बैच से पढ़ाई प्रयोग पर आधारित होगी। इससे पहले प्रैक्टिकल और थ्योरी का समन्वय था पर अब प्रैक्टिकल आधारित पढ़ाई होगी। इससे पहले पहले साल में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी प्रैक्टल वाले विषय नहीं थे। 
  5. एमबीबीएस, एमडी- एमएस ही अब परीक्षक होंगे, नॉन मेडिकल ( एमएससी और पीएचडी) एग्जामिनर परीक्षक नहीं होंगे।
  6. फैकल्टी -छात्रों के लिए बायोमैट्रिक्स सिस्टम को आधार लिंक किया गया है। मेडिकल और हास्पिटल में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। 

     पं.जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर करिकुलम नोडल अधिकारी डॉ मंजू सिंह कहती हैं – अभी पूरा फोकस स्किल बेस्ड एजुकेशन पर है, इसमें कम्यूनिकेशन, बिहेवियर, प्रैक्टिकल और रिसर्च आदि शामिल हैं। कहा गया है कि प्रैक्टिकल्स पर ज्यादा जोर रहने वाला है। 

स्टाफ नहीं है पर्याप्त पढ़ाई कैसे होगी ..

  नए करिकुलम को लेकर पं. जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर से बात की गई तो नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह प्रदेश का सबसे पुराना कॉलेज है और एमबीबीएस की सबसे ज्यादा 230 सीटें भी यहीं हैं। प्रोफेसर कहते हैं कि कॉलेज में फैकल्टी की बहुत कमी है। इससे पहले 150 सीटें ही थीं फिर बढ़ा दी गई और 180 सीटें हो गईं फिर अब तो बढ़कर 230 सीटें हो गईं हैं। इधर तो 150 सीटों के आधार पर जो फैकल्टी होनी चाहिये वो ही नहीं है। इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है तो ऐसे में सिलेबस और करिकुलम में बदलाव हो रहे हैं तो फैकल्टी भी तो उसी अनुपात में होनी चाहिए। 

अनिवार्य नहीं तीन डिपार्टमेंट

  नेशनल मेडिकल कमीशन ने नए कॉलेज के लिए रिस्पेरेट्री,  इमरजेंसी और पीएमआर डिपार्टमेंट की अनिवार्यता खत्म कर दी है। इसके साथ ही रेस्परेट्री मेडिसिन के फैकल्टी जनरल में काउंट  होंगे। इसी तरह पीएमआर को आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में मर्ज कर दिया गया है। 

सभी कॉलेजों को निर्देश जारी

एनएमसी की नई गॉइडलाइन लागू हो गई है, पहले की तुलना में अब पढ़ाई और भी ज्यादा प्रैक्टिकल पर आधारित होने जा रही है। पासिंग मार्क में भी बदलाव किये गए हैं। सभी कॉलेज को इससे संबंधित निर्देश जारी किये जा रहे हैं।  
डॉ अशोक चंद्राकर, कुलपति आयुष विश्वविद्यालय