कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
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● दो महीनों के दौरान 6 जिलों में कट्टरपंथी हावी हो रहे..
ढाका। पाकिस्तान से आने वाली खबरों की तरह ही बांग्लादेश से भी कट्टरपंथियों के हावी होने की खबरें आने लगी हैं। जम्हूरियत कहने को ही जैसे रह गया है और वहां भी कट्टरपंथी संगठन सत्ता के केन्द्र के इर्द-गिर्द हावी होने लगे हैं । यहां अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ हो रही ज्यादतियों पर रोक नहीं लग पा रही है। यहां के छह जिलों में पिछले दो महीनों में पांच मंदिरों पर हमले किये गए। इससे दहशत में आए हिंदुओं पर पलायन जारी है। इधर ग्लोबल ह्युमन राइट्स डिफेंस ( जीएचआरडी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो महीनों में लगभग 15 हजार से ज्यादा हिंदू पलायन को मजबूर हुए और दूसरे जिलों में जा कर शरण लेनी पड़ी ।
बताया गया कि सबसे बड़ी घटना फरीदपुर जिले में हुई यहां के पंचपाली में काली मंदिर में आगजनी की घटना हुई इसके बाद इसके एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। सूत्रों के अनुसार ये आरोपी कट्टरपंथी संगठन जमात-ए -इस्लामी से जुड़ा बताया गया है। हालांकि खबर लिखे जाने तक आरोपी का नाम उजागर नहीं किया गया है। फरीदपुर में हुई ताजा घटना के बाद हिंदुओं में काफी आक्रोष देखा गया है। हिन्दु धर्मावलंबियों का आरोप है मंदिर पर हमले के यूं तो कई आरोपी थे पर पुलिस ने केवल एक ही को गिरफ्तार किया और उसका नाम भी उजागर नहीं किया।
इस घटना के बाग घटना वाले जिले में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें भी हुई हैं। पुलिस ने यहां पांच अस्थायी पोस्ट बनाकर अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया है। फरीदपुर के पुलिस डिप्टी कमिश्नर कमरूल अहसान के अनुसार भीड़ ने गुस्से में सरकार दफ्तरों पर भी हमले किये।
बांग्लादेश में पिछले कुछ सालों में कट्टरपंथियों के हमले को लेकर एक पैटर्न सामने आया है। कट्टरपंथी संगठन के लोग फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर ईश निंदा को लेकर झूठे पोस्ट करते हैं जो ज्यादातर अल्पसंख्यक हिंदुओं के नाम से ही किए जाते हैं ताकि उन्हें बाद में इसी के आधार पर निशाना बनाया जा सके। बस इसे ही आधार बनाकर हिंदुओं के मंदिरों और घरों पर हमले किए जाते हैं। अल्पसंख्यक एकता परिषद के महासचिव राना दासगुप्ता के अनुसार ईश निंदा के कथित मामलों को लेकर हिंदुओं पर ही हमले किये जाते हैं और पुलिस कोई जांच नहीं करती।
बांग्लादेश में इस साल मई के महीने तक कुल तीस छोटे-बड़े मंदिरों पर हमले किए गए । इसके बाद भी पुलिस ने मात्र इन मामलों में कुल तीन लोगों को ही गिरफ्तार किया है और वे भी अब जमानत पर बाहर हैं। बारीसाल के राधा गोविंद मंदिर, चिटगांव के सीताकुंड और फरीदपुर के मधुखाली और मौलवी बाज़ार के कालीमंदिर में हमलों की घटनाएं हुईं। इनमें आगजनी, तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं शामिल हैं ।
गणसमिति आंदोलन के समन्वयक जुनैद सकी के अनुसार सत्तारूढ़ आवामी लीग के नेता हमलों की निंदा तो करने हैं पर पुलिस एफआईआर दर्ज करने से बचती है या कोताही करती है। यदि किसी तरह पुलिस केस दर्ज भी कर लेती है तो आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं के बराबर ही होती है। सकी के अनुसार आरोपियों को स्थानीय नेताओं का समर्थन भी मिलता है फिर ऐसे में अल्पसंख्यक हिंदुओं के पास अपने घरों को छोड़कर |
हिंदुओं पर बढ़ते हमले-
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