• 28 Apr, 2025

क्या हुआ नए टाइगर रिजर्व का ...

क्या हुआ नए टाइगर रिजर्व का ...

• क्यों रुका हुआ है काम दो साल | • यदि माइनिंग प्रभावित हुई तो नुकसान |

रायपुर। सरकारों के कितने ही प्रयास कागजों में ही दम तोड़ देते हैं। प्राथमिकताएं और लाभ के समीकरण जाने कितनी ही परियोजनाओं की भ्रूण हत्या का कारण बन जाते हैं। इसका एक नमूना प्रदेश के टाइगर रिजर्व का भी है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के समय उसके प्रस्ताव पर केन्द्र ने  गुरू घासीदास नेशनल पार्क को 2021 में ही टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया था लेकिन यह अस्तित्व में ही नहीं आया । इसकी अधिसूचना दो साल से राज्य सरकार रोके हुए है। कारण है सरकार को आर्थिक संकट की आशंका। 
दरअसल शासन का मानना है कि जिस स्थान को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है उसके नीचे राज्य की कीमती खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में है, खदानें हैं। खदानों के अलावा यहां घना जंगल है। रिजर्व बनने के बाद इस पूरे इलाके में खनन बंद कर देना पड़ेगा। और यदि ऐसा होता है तो राज्य को गंभीर आर्थिक संकट उठाना पड़ सकता है। 
  इधर ये उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग एक साल के भीतर शेरों की संख्या 19 से घट कर  17 रह गई है। इस बारे में रिपोर्ट केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने जारी की है। बाघों की संख्या कम होने के कारण की यूं तो खबरें आती रही हैं पर इस बारे में इसके लिए जुड़ी विश्वसनीय संस्थाओं के साथ जब निरंतर पहल ने बात की तो यह बात सामने आई कि संख्या कम हुई है। यहां यह बताते चलें कि छत्तीसगढ़ में वैसे तो चार टाइगर रिजर्व हैं पर अस्तित्व में केवल तीन ही हैं। एक का नोटिफिकेशन होना बाकी है जो खदानों से होने वाली आय पर पड़ने वाली चोट की आशंका के चलते रोका गया है। 
    तीन टाइगर रिजर्व के अलावा चौथे का नाम गुरू घासीदार टाइगर रिजर्व है जिसे केन्द्र की सरकार ने प्रदेश की भाजपा सरकार के प्रस्ताव पर 2021 में ही मंजूर कर लिया था। इधर प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार ने इसे उक्त क्षेत्र में कीमती खनिजों की खदानों से होने वाली आय के रुक जाने के अंदेशे से रोक दिया है। खनिज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिस इलाके को मिलाकर टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है दरअसल वह खनिज से संपन्न है। अब सरकार पशोपेश में है कि टाइगर की रक्षा के लिए इस छोड़ दे तो खनिज से होने वाली आय के बंद होने का खतरा मोल लेना पड़ेगा। 
   इस योजना के प्रस्ताव के बारे में जानकारी लेने पर पता चला कि पिछली सरकार ने यह प्रस्ताव कोई दस साल पहले 2012 में ही केन्द्र सरकार को भेजा था तब केन्द्र में कांग्रेस की मनमोहन सिहं की  सरकार थी। 
 जब इस मामले में सरकारें पहल करने आगे बढ़ने लगीं तो राज्य के खनिज विभाग ने प्रस्तावित टाइगर रिजर्व मामले में सरकार को वन विभाग के एक पत्र  अभिमत दिया कि प्रस्तावित क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा है और इसका दोहन राज्य के इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट, रोजगार और राज्य की आमदनी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि इस प्रस्तावित टाइगर रिजर्व को नोटिफाय कर दिया गया तो उक्त क्षेत्र में माइनिंग बंद करनी होगी जिससे प्रदेश सरकार को बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां टाइगर रिजर्व खदानों की वजह से प्रभावित होगा।
   नेशनल टाइगर रिजर्व अथारिटी ऑफ इंडिया ( एनटीसीए)  से अनुमति के बाद भी यह टाइगर रिजर्व अस्तित्व में नहीं आ सका है। 

  • माइनिंग संभव है पर कैसे –

प्रदेश सरकार के सर्वेक्षण के मुताबिक प्रस्तावित टाइगर रिजर्व की जगह पर प्रचुर खनिज संपदा है, कोयले की खदानें हैं। यदि इसे टाइगर रिजर्व नोटिफाय किया गया तो जाहिर है खनन प्रभावित होंगे जिससे सरकार को आर्थिक हानि होगी।  एक निजी संस्था की पड़ताल के बाद यह पता चला है कि मध्यप्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व में वहां की मध्यप्रदेश सरकार ने इसी साल चार महीने पहले मई 2023 में हीरे की खोज की मंजूरी दे दी है।  इसी तरह यह भी कहा गया है कि कान्हा टाइगर रिजर्व में बाक्साइट मिला है औऱ बांधवगढ़ और पलामू रिजर्व में खनिज भंडार हैं और कहा गया है कि यहां भी विशेष अनुमति से खनन किया जा सकता है। 

  • पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भेजा था ड्राफ्ट –

गुरुघासी दास नेशनल पार्क और पिंगला सेंक्चूरी को मिला कर टाइगर रिजर्व बनाने का ड्राफ्ट ( एनटीसीए) प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से भेजा गया था। तब ही एनटीसीए ने इसे टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी दे दी थी। कहा जा रहा है कि अब यह मामला कोलब्लाग, आइल ब्लाक और मिथेन गैस के ब्लाक के कारण फंस गया है। पता चला है कि इस बारे में केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर अमिमत मांगा गया है पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार का ही होगा। 
   टाइगर रिजर्व की बात की जाय तो यदि इसे इसी रूप में मंजूरी रिजर्व की मिल जाती है तो यह गुरू घासीदास टाइगर रिजर्व क्षेत्रफल के हिसाब से देश का  तीसरे नम्बर का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। डायरेक्टर आर. रामकृष्णना ने कहा कि राज्य के प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में कोल ब्लाक हैं। 

  • टाइगर रिजर्व के लाभ – 

यह सच है कि टाइगर रिजर्व बनने से राज्य को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा पर यदि दीर्घकालिक लाभ पर सोचा जाय तो एक पक्ष इसमें टाइगर रिजर्व रहने देने के फायदे भी बता रहा है। उनका तर्क है कि नये रिजर्व के बन जाने से टाइगर के संरक्षण में मदद मिलेगी, इसके लिए जरूरी जंगल को रहने देने से पर्यावरण बचा रहेगा। बाघों की संख्या बढ़ने से वाइल्ड लाइफ टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा, इससे जंगल की कटाई और शिकार पर रोक के साथ ही टूरिज्म से भी राज्य को लाभ होगा।

बाघों की सुरक्षा के लिए अच्छा है

जब एनटीसीए ने इसकी मंजूरी दे दी है तो इसके बाद तो कोई सवाल ही नहीं बचता। गुरू घासीदास टाइगर रिजर्व में टाइगर हैं और अच्छा मूवमेंट भी है। जाहिर है टाइगर रिजर्व की अधिसूचना के बाद यह क्षेत्र एनटीसीए के अधीन ही आ जाएगा। टाइगर की सघन निगरानी शुरू हो जाएगी और  इससे बाघों का ज्यादा बेहतर संरक्षण हो सकेगा। इसके साथ ही यह जैवविविधता के लिहाज से भी अच्छा कदम होगा। 

  • उपेन्द्र सिंह,  बाघ विशेषज्ञ, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ

खनिज का दोहन 

केन्द्र सरकार को किसी वन क्षेत्र में खनिज का दोहन करना है तो वह क्षेत्र विशेष में ही खनन करेगी न कि पूरे रिजर्व पर। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि देश में एक भी टाइगर रिजर्व नहीं है जहां  प्राकृतिक संसाधन न हों। 

  • अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट

कैमरा ट्रैपिंग भी होगी


गुरूघासी नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया जारी है। आशा है इसमें अधिसूचना दिसंबर तक हो जाएगी। वहां तीन चार बाघ हैं। अगली गणना में गुरूघासी दास टाइगर रिजर्व में भी कैमरा ट्रैपिंग होगी।

  • सुधीर अग्रवाल, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ