• 28 Apr, 2025

सिर्फ मेरा भला हो यह सोच दुनिया को डुबाएगी- मोदी

सिर्फ मेरा भला हो यह सोच दुनिया को डुबाएगी- मोदी

• कॉप -28 सम्मेलनः पीएम मोदी ने अमीर देशों को दिखाया आईना-2050 से पहले ही कम करना होगा कार्बन उत्सर्जन • तापमान वृध्दि को 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के लिए कार्बन कटौती पर जोर..

दुबई। पिछली सदी की गलतियों को सुधारने के लिए हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। मानव जाति के एक छोटे से हिस्से ने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया है, जिसकी कीमत पूरी मानवता को चुकानी पड़ रही है। विशेषकर वैश्विक दक्षिण के निवासियों को। विकासशील और गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से निबटने में मदद करने के लिए ठोस वित्त पोषण के उपायों पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये बातें कही। उन्होंने अमीर देशों को 
अपने कार्बन उत्सर्जन को 2050 से काफी पहले पूरी तरह से कम करने का आह्नान किया। सिर्फ मेरा भला हो यह सोच दुनिया को अंधेरे की तरफ ले जाएगी। हम सभी को अपने दायित्व निभाने होंगे।

  संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ( कॉफ-28 ) के दौरान शुक्रवार एक दिसंबर को राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के प्रमुखों के उच्च स्ततरीय सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने दुबई में कहा कि इस हाल में बैठा बैठा प्रत्येक व्यक्ति, हर राष्ट्राध्यक्ष बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ यहां आया है। हमें संकल्प लेना होगा कि हर देश अपने लिए जो जलवायु लक्ष्य तय कर रहा है, जो प्रतिबध्दताएं निर्धारित कर रहा है, वो उसे पूरा करके ही दिखायेगा। सभी देश मिलकर काम करेंगे। परस्पर साथ देंगे। स्वार्थ से ऊपर  उठकर दूसरे देशों को भी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करेंगे। स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाएंगे। 

कार्बन से दूरी ...ग्राीन क्रेडिट पहल की घोषणा

पीएम मोदी ने कार्बन क्रेडिट व्यावसायीकरण खत्म करने के लिए ग्रीन क्रेडिट पहल की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह जनभागीदारी के माध्यम से कार्बन सिंक ( पेड़ लगाकर हरित स्थानों को बढ़ाकर वातावरण से कार्बन हटाने की प्रक्रिया) बनाने पर केन्द्रित है। मैं इस पहल में आप  सभी को शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूँ। 
. पीएम मोदी ने कहा हरित जलवायु निधि और अनुकूलन निधि में पैसे की कमी नहीं होनी चाहिए। . 2009 में कोपेनहेगन की जलवायु वार्ता में वित हरित जलवायु निधि में अमीर देशों ने 2020 तक हर साल 100 अरब डालर जुटाने का संकल्प लिया था।  

भारत -स्वीडन ने लीडआईटी 2.0 की शुरुआत की

भारत और स्वीडन ने लीडआईटी शुक्रवार एक दिसंबर को शुरुआत की जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में उद्योगों में बदलाव के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ ही कम कार्बन उत्सर्जन प्रौद्योगिकी का सह विकास और हस्तांतरण करना है। दुबई में जारी संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में लीडआईटी सत्र के दौरान पीएम मोदी ने देशों के लिए नेट जीरो( शुध्द शून्य) उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सरकारों और उद्योगों के बीच साझेदारी की आवश्यकता पर जोर दिया।

2028 में कॉप -33 की मेजबानी का प्रस्ताव

भारत जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा को लेकर प्रतिबध्द है। मैं इस मंच से 2028 में कॉप -33 शिखर सम्मेलन का भारत में आयोजन करने का प्रस्ताव भी रखता हूं। उम्मीद है कि कॉप-28 में ,आने वाले 12 दिनों वैश्विक जलवायु कार्रवाई की समीक्षा से हमें सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य का रास्ता मिलेगा। 

नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

विकास और पर्यावरण संरक्षण में भारत संतुलन की मिसाल

पीएम मोदी ने कहा, भारत ने विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच उत्तम संतुलन का उदाहरण विश्व के सामने रखा है। भारत उन चुनिंदा देशों में है जो ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए अपने राष्ट्रीय स्तर पर तय लक्ष्यों को हासिल करने की राह पर है।  

  • विश्व की 17 फीसदी आबादी हो ने के बाद भी वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी महज 4 प्रतिशत से भी कम है। उत्सर्जन की तीव्रता कम करने के लक्ष्य को हमने 11 साल पहले ही हासिल कर लिया था। इसी तरह गैर जीवाश्म ईंधन लक्ष्यों को भी 9  साल पहले ही प्राप्त कर चुके हैं। हमेंउत्सर्जन तीव्रता 2030 तक 45 फीसदी तक घटाना है।