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● पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों ने क्यों शिफ्ट नहीं किया स्टेट नोडल एजेंसी का ऑफिस ● अब क्या कह रहे ...
रायपुर। आयुष्मान यूं तो मरीजों की सुविधा के लिए बनाई गई कारगर योजना है जिसके लाभार्थियों को इसका फायदा मिल भी रहा है किन्तु इस योजना से निशुल्क इलाज की मानिटरिंग करने वाली एजेंसी का ऑफिस नवा रायपुर में लगने के कारण एक ओर जहां गंभीर बीमारी के इलाज के लिए सुविधा लेने में दिक्कत होती है वहीं कहा गया है कि अनेक ऐसी भी बीमारियां हैं जो आयुष्मान के पैकेज में नहीं हैं हालांकि विशेष अनुमति से इसकी मंजूरी मिलती है। ऐसी बीमारियों के इलाज की इस योजना के अंतर्गत मंजूरी लेने में भी परेशान होना पड़ता है।
इनके लिए न केवल आवेदन ही ऑफ लाइन करना पड़ता है बल्कि अपनी फाइल की जानकारी लेने के लिए नोडल ऑफिस जाना पड़ता है। अभी तक डीकेएस अस्पताल पुराने रायपुर के पीछे नोडल एजेंसी का ऑफिस होने से लोग आसानी से अपने आवेदन का स्टेटस जानने पहुंच जाया करते थे। अब ऐसे प्रकरण वाले मरीजों के परिजनों को भी नवा रायपुर के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
इससे पहले मरीजों को और उनके मरीजों को इस तरह की तकलीफ से न गुजरना पड़े इसलिए पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर और टी एस सिंहदेव ने इस ऑफिस को नवा रायपुर स्थानांतरित होने से रोक दिया था। स्वास्थ्य विभाग के जानकारों के मुताबिक कई बार लोग इस तरह की बीमारी के साथ भी इस सेवा का लाभ लेने आते हैं जो आयुष्मान के पैकेज में उल्लेखित नहीं है।
मरीजों को दिक्कत न हो इसलिए ऑफिस को नवा रायपुर शिफ्ट नहीं किया गया था। अभी भी मरीजों के हित को देखते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए इसलिए भी कि नवा रायपुर में परिवहन के साधन नहीं हैं।
टी.एस. सिंहदेव, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन.
बाहर से आने वाले मरीजों को दिक्कत होती थी, नवा रायपुर में आने जाने के साधन बेहतर नहीं थे। अभी भी मरीजों के हित को देखते हुए कोई निर्णय लेना चाहिए।
अजय चंद्राकर , पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन.
उस समय ऑन लाइन सिस्टम नहीं था। अभी भी यह चेक करना चाहिए कि सारी सुविधाएं ऑन लाइन हैं अथवा नहीं , सिस्टम ऐसा बनाना चााहिए ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो।
अमर अग्रवाल पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन.
राज्य के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का कहना है -मुझे जानकारी दी गई है कि अभी सारे काम ऑन लाइन हो रहे हैं। किसी को ऑफिस आने की जरूरत नहीं है। यहां एक या दो स्टाफ रखे जाएंगे इसके बाद भी यदि तकलीफ हो रही है तो या भविष्य में हो सकती है तो नए सिरे से परीक्षण करवाएंगे।
नवा रायपुर से भी ई- रिक्शा और ऑटो की सुविधा नहीं है। ऐसी स्थिति में बस में बैठकर नवा रायपुर पहुंचने वालों को नवा रायपुर पहुंचने के बाद स्टेट नोडल एजेंसी के ऑफिस तक पैदल ही जाना पड़ता है। वापसी के के समय कब बस मिलेगी यह भी तय नहीं होता।
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