सुप्रीम कोर्टने कहा- बिना सहमति संबंधों को माना दुष्कर्म तो नष्ट होगी विवाह संस्था
■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
● परीक्षा की सुचिता भंग हुई , पुनः परीक्षा का निर्णय पेपर लीक की सीमा से तय होगा
● लीक प्रश्न पत्र को सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया है तो दोबारा होगी परीक्षा
● लीक तो हुआ है पता करें कितने- मुन्ना भाई थे, नीट पर और सख्त सुप्रीम कोर्ट
● 2 विद्यार्थियों की गड़बड़ी की वजह से पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते
● कोर्ट ने एनटीए को यह बताने कहा कि पहली बार पेपर लीक कब हुआ
● इसमें कुछ चेतावनी के संकेत हैं क्योंकि 67 उम्मीदवारों को 720 में से 720 अंक मिले
● याचिकाओं पर सुनवाई की अगली तारीख 11 जुलाई तय
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 9 जुलाई को नीट -यूजी पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर नीट-यूजी 2024 परीक्षा की सुचिता नष्ट हो गई हो और लीक पेपर को सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया है तो इस तरह हुई लीक व्यापक मानी जाएगी और दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।
पीठ ने इस मामले में स्पष्ट किया कि यदि पेपर लीक टेलीग्राम, व्हाट्सएप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है तो यह जंगल में आग की तरह फैलेगा। शीर्ष अदालत ने साथ ही राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) प्रश्नपत्र लीक होने के समय और तरीके के साथ ही गलत कृत्य करने वालों की संख्या की जानकारी मांगी है ताकि उसके प्रभाव का पता लगाया जा सके। इसमें तो कोई संदेह नहीं है कि परीक्षा की सुचिता भंग हुई है। सवाल यह है की यह लीक कितना व्यापक है । याचिकाओं पर अगली सुनवाई की तारीख 11 जुलाई रखी गई थी।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट -यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इनमें पांच मई को हुई परीक्षा में अनियमितता और कदाचार का आरोप लगाने वाली और परीक्षा नए सिरे से आयोजित करने के निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाय. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केन्द्र और प्रतिष्ठित परीक्षा आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी(एनटीए) से कड़े शब्दों में कहा कि हमें नकारने की मुद्रा में नहीं रहना चाहिए। इससे समस्या और बढ़ेगी। पीठ ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक की सीमा और भौगोलिक सीमा के पार लाभार्थियों का पता लगाना होगा इसके बाद ही अदालत पांच 5 मई को आयोजित हुई विवादास्पद मेडिकल प्रवेश परीक्षा में दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दे सकती है।
पीठ ने यह भी कहा कि यदि उल्लंघन विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित हो तो गलत काम करने वालों की पहचान करना संभव हो, तो इतने बड़े पैमाने की परीक्षा में दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना उचित नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उसे इस बात की पड़ताल करनी होगी कि क्या कथित उल्लंघन प्रणालीगत स्तर पर हुआ है। क्या उसने पूरी परीक्षा की सुचिता को ही प्रभावित किया है। और क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को 5 पांच मई को परीक्षा देने वाले बेदाग अभ्यर्थियों से अलग करना संभव है। पीठ ने कहा कि जिसमें सुचिता भंग होने से पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है और गलत कृत्यों के लाभार्थियों को दूसरों से अलग करना संभव नहीं है तो ऐसे में फिर से परीक्षा कराने का आदेश देना आवश्यक हो सकता है।
पीठ ने एनटीए को गलत कृत्यों के लाभार्थियों की जानकारी के साथ ही उनकी पहचान के लिए अपनाए गए तरीके की भी जानकारी मांगी है। अदालत ने कदाचार और ओएमआर शीट में हेराफेरी, अभ्यर्थी की जगह किसी और के परीक्षा देने और धोखाधड़ी के आरोपों की जांच कर रहे (सीबीआई) के जांच अधिकारी को जांच की सोमवार 8 जुलाई तक की स्थिति साफ करने की स्थिति बताने वाली रिपोर्ट पेश करने कहा है। पीठ ने कहा कि पुनः परीक्षा के आदेश पारित करने से पहले हमें यह समझना चाहिए कि पेपर लीक की प्रकृति क्या है। नीट यूजी की सुचिता सुनिश्चित करने पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के लिए जाने-माने विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक टीम गठित करने पर विचार करना आवश्यक होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न होने पाए।
केन्द्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने हाल ही में न्यायालय में कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
पीठ ने कहा कि इस दृष्टिकोण से एनटीए को अपने पास मौजूद सामग्रियों के आधार पर स्पष्ट करने का निर्देश जाता है - (1) प्रश्न पत्र का लीक पहली बार कब हुआ। (2) पेपर किस तरह लीक हुआ और प्रसारित हुआ (3) लीक की घटना और 5 पांच मई को हुई परीक्षा के वास्तविक आयोजन के बीच की समयावधि।
केन्द्र की ओर से पेश सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता न पेपर लीक से इंकार करते हुए कहा, यह जांच का विषय है। बिहार पुलिस ने साफ किया कि उन्होंने कोई प्रेस नोट जारी नहीं किया, जिसका हवाला याचियों ने दिया है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि क्या एनटीए का मानना यह है कि कोई लीक नहीं हुआ है। हम मानते हैं कि यह एक स्वीकार्य स्थिति है कि लीक हुआ है। लीक की प्रकृति वह है जिसका हम निर्धारण कर रहे हैं।
कुल 67 विद्यार्थियों ने 720 अंक प्राप्त किये थे और यह पीएटी के इतिहास में अभूतपूर्व है जिससें सूची में हरियाणा के एक केन्द्र के छह छात्र शामिल हैं जिससे परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ। यह आरोप लगाया गया कि कृपांक के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक हासिल करने में मदद मिली। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताई। |
सुप्रीम कोर्ट के खास निर्देश
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■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
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