• 28 Apr, 2025

साय के जाने के बाद संभलने में भाजपा को मुश्किल होगी

साय के जाने के बाद  संभलने में भाजपा को  मुश्किल होगी

बिलासपुर ।चालीस - पचास साल से किसी का भी नमक नहीं खाने वाले, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता साय का इस्तीफा भाजपा के लिए बड़ा धक्का है।


Shashikant Konherभारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता  नंदकुमार साय भारतीय जनसंघ के समय से पार्टी के साथ पूर्ण समर्पण से काम कर रहे हैं। वे पूर्व सांसद स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव तथा पूर्व सांसद स्वर्गीय लरंग साय की तरह ही ऐसी मजबूत शख्सियत के नेता है। जिन्होंनेसरगुजा-रायगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत करने और उसका परचम लहराने में अपना जीवन लगा दिया। यह भी एक संयोग ही है कि सरगुजा और जशपुर-रायगढ़ क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी को मजबूती देने वाले इन तीनो ही नेताओं को पार्टी की उपेक्षा झेलनी पड़ी है। सरगुजा से सांसद रह चुके स्वर्गीय लरंग साय और बिलासपुर के पूर्व सांसद स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की तरह ही पार्टी के दिग्गज नेता श्री नंदकुमार साय भी लंबे समय से पार्टी के भीतर खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश के पहले नेता प्रतिपक्ष श्री नंद कुमार साय उन चुनिंदा लोगों में से हैं। जो हमेशा लोकसभा और राज्यसभा सदस्यता की शपथ संस्कृत भाषा में ही लेते रहे हैं। लगभगदशक से नमक नहीं खाने वाले श्री साय को संस्कृत में बातचीत करने में भी खासा महारत हासिल है। वे संस्कृत के विद्वान हैं और यहां तक कि शंकराचार्य जी के साथ भी संस्कृत में बात कर किया करते थे। अविभाजित मध्यप्रदेश में तीन बार विधायकतीन बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा के सांसद रह चुके श्री साय के सियासी कद की ऊंचाइयों के बारे में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी का,     जानने वाला हर कोई अच्छी तरह  जानता है। छत्तीसगढ़में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से लगातार 15 सालों तक उपेक्षा का दंश श्री नंदकुमार साय को हमेशा चुभता रहा। इस दौरान बीच-बीच में कई बार उनके काफी नाराज होने अथवा पार्टी से इस्तीफा देने की सच्ची झूठी खबरें भी उड़ती रही। लेकिन हर बार भाजपा का अनुशासित सिपाही होने के नाते वे फिर से भारतीय जनता पार्टी के काम में जुट जाते। लंबी उपेक्षा के बाद ही उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। लेकिन तब भी उन्हें इस नाते जो वजन दिया जाना था‌ उसका सर्वथा अभाव दिखाई देता रहा। पहले ऐन विश्व आदिवासी दिवस के दिन ही श्री विष्णु देव साय की भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई और अब नंदकुमार साए जैसे दिग्गज आदिवासी नेता का पार्टी से इस्तीफा इतना बड़ा झटका है। जिससे संभलने में भारतीय जनता पार्टी को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री अरुण साव ने उनका इस्तीफा मिलने की बात स्वीकार करते हुए कहा है कि उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। और संपर्क कर कोई गलतफहमी होगी तो उसे जरूर दूर किया जाएगा। इसका साफ मतलब है कि पार्टी इतने बड़े राजनीतिक कद काठी के और प्रदेश में बड़े नेता के रूप में स्थापित  नंदकुमार साय को हर हाल में अपने साथ बनाए रखना चाहेगी।