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■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
रायपुर। अंबेडकर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर रहे हैं । अगस्त के पहले हफ्ते में ही उनकी हड़ताल का असर दिखने लगा था। अस्पताल के सभी विभागों के वार्ड मरीजों से धीरे धीरे खाली होने लगे थे। तीन अगस्त तक शिशुरोग के बाद नेत्र और ईएनटी विभाग में इक्का दुक्का मरीज रह गए थे। पांच अगस्त तक की स्थिति यह थी कि हड्डी और सर्जरी विभाग में भी केवल गंभीर मरीज या ऐसे मरीज जो निजी अस्पातालों में इलाज करवाने के लिए सक्षम नहीं हैं वही मरीज भर्ती देखे गए।
स्टाइपंड बढ़ाने की मांग को लेकर 3 अगस्त बुधवार को हडताल पर बैठे जूनियर डाक्टरों को मनाने के लिए किए जा रहे सभी प्रयास विफल हो गए थे। 5 अगस्त को भी चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ विष्णुदत्त ने हड़ताली डाक्टरों को बुलाकर उनसे हड़ताल वापस लेने कहा था लेकिन डाक्टरों ने इंकार कर दिया था। इस बीच प्रशासन अगस्त के पहले हफ्ते में हडताल के बाद उत्पन्न स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था करने में विफल रहा था।
हडताल के लगातार तीन दिन गुजरने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग से एक भी डॉक्टर अंबेडकर अस्पताल में अस्थायी ड्यूटी पर मरीजों के इलाज के लिए नही भेजे गए थे।
उस समय बताया गया कि यद्यपि मेडिकल कॉलेज प्रशासन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से 40 डाक्टरों की मांग कर चुका था इसके लिए तब पत्र भी भेजा गया था। कहा गया कि इसके बाद भी डाक्टर ड्यूटी पर नहीं भेजे गए तो धीरे-धीरे अंबेडकर अस्पताल से मरीज खाली हो गए। बाद में कहा गया था कि अंबेडकर अस्पताल प्रशासन ने अपने जूनियर रेसीडेंट और सीनियर रेसीडेंट क अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर की इमरजेंसी ड्यूटी तय कर दी है।
जूडो ने सामानांतर ओपीडी चला मरीजों की जांच की हड़ताल के तीसरे दिन जूनियर डाक्टरों ने परिसर में समानांतर ओपीडी चलाकर मरीजों की जांच की । इन्होंने धरना स्थल पर शहर में फैले आईफ्लू से बचने के लिए लोगों को आगाह किया है। उन्होंने बताया कि किस तरह बारिश में फैलने वाली इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। हड़ताली डाक्टरों ने बताया कि मांग पूरी होने तक वे हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे। |
■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
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