• 28 Apr, 2025

हसदेव अरण्य वन में कोयला खनन के मुद्दे पर सीएम बघेल की दो टूक

कोयला खदानों का आवंटन भारत सरकार द्वारा
30 साल में 8000 पेड़ काटने की नौबत आएगी
ताप विद्युत संयंत्रों को चलाने कोयले की जरूरत

कांकेर
छ त्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरगुजा संभाग की जैव विविधता के प्रभावित होने को लेकर हसदेव अरण्य (वनक्षेत्र) में कोयला खनन के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन की पिछले दिनों आलोचना की। उन्होंने कहा कि जो लोग खनन के खिलाफ लड़ रहे हैं उन्हें पहले अपने घरों और दफ्तर में बिजली बंद करनी चाहिए। एयर कंडीशनर, पंखे और कूलर का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए, तभी उनकी लड़ाई असली नजर आएगी। वे लोग अपनी पत्नी और बच्चों को एसी में रख रहे हैं और दूसरों को अंधेरे में रहने के लिए कह रहे हैं।
श्री बघेल ने कहा कि ताप विद्युत संयंत्रों को संचालित करने के लिए कोयले की जरूरत है। श्री बघेल अपनी जनसंपर्क यात्रा ‘भेंट मुलाकात’ के तहत बस्तर क्षेत्र के दौरे पर थे और 7 जून को वह कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर शहर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सरगुजा में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित दो कोयला खदानों के लिए खनन की अनुमति के खिलाफ पर्यावरण के लिए कार्य करने वाले लोगों और ग्रामीणों द्वारा जारी विरोध को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बघेल ने कहा राजस्थान सरकार को आवंटित की गई खदान चालू हालत में है। एक चालू खदान को कैसे बंद किया जा सकता है ? जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्हें पहले अपने घरों की बिजली बंद करनी चाहिए।
वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत बहुत सीमित
मुख्यमंत्री ने कहा देश में कितनी जलविद्युत परियोजनाएं हैं यहां तक कि हवा से बिजली उत्पादन भी सीमित है। हमारे पास विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा है पर उसकी भी सीमाएं हैं। जिस दिन बिजली उत्पादन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो जाएगी उस दिन ताप विद्युत संयंत्रों पर निर्भरता कम हो जाएगी। लेकिन फिलहाल हम उन ताप विद्युत संयंत्रों पर निर्भर हैं, जिनके लिए कोयले की जरूरत है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जितनी जरूरत होगी उतने ही कोयले का खनन किया जाएगा।  सीएम बघेल ने कहा कि कोयला खदानों का आवंटन भारत सरकार द्वारा किया जाता है और उसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होती हमारे राज्य से कोयले की आपूर्ति साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के माध्यम से पूरे देश में की जा रही है। सीएम बघेल ने कहा कि उनकी सरकार पर्यावरण और आदिवासियों के हितों से समझौता नहीं करेगी लेकिन लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट प्राकृतिक संसाधन हैं जो संयंत्र चलाने में मदद करते हैं।  यह देश के लिए और रोजगार के लिए जरूरी है। राज्य सरकार ने हाल ही में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित कोयला ब्लॉक और परसा ईस्ट कांते बासन के दूसरे चरण के खनन के लिए अनुमति दी है। ग्रामीण और पर्यावरण कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।
8 लाख पेड़ कब गिने ?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि एसईसीएल की राज्य में सबसे अधिक 52 खदानें हैं। राजस्थान सरकार को दो-तीन खदाने हसदेव  अरण्य क्षेत्र में दी गई है। अब खदान के विस्तार की आवश्यकता है। जब विस्तार होगा तब पेड़ों को काटा जाएगा। 30 साल में 8000  पेड़ काटने हैं। आंदोलनकारी हंगामा कर रहे हैं कि 8 लाख पेड़ काटे जाएंगे। उन्होंने कहा इतना कब गिना? उन्होंने कहा खनन 30 साल के लिए किया जाएगा। वन पर्यावरण नियमों के अनुसार पेड़ों को काटने के बदले वृक्षारोपण करना चाहिए। उन्हें (प्रदर्शनकारियों को) जांच करनी चाहिए कि पेड़ लगाए गए हैं या नहीं? क्या प्रभावित किसानों को उचित 
मुआवजा और पुनर्वास मिला है या नहीं ?  इन सब पर गौर करने के बजाय कह रहे हैं कि उन्हें कोयला नहीं चाहिए।