• 28 Apr, 2025

चंद्रयान -3 मून मिशन पर रवाना

चंद्रयान -3 मून मिशन पर रवाना

 सफलता पूर्वक कक्षा में स्थापित, कुछ दिनों में चांद पर उतरने का लक्ष्य है..|  अधूरा सपना पूरा करेगा, हर गलती पलक झपकते सुधार लेगा लैंडर विक्रम... |

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)। भारत का ड्रीम मून मिशन चंद्रयान-3 14 जुलाई शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से सफलता पूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया।  यहा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान रवाना किया गया। इसके 23 अगस्त  की शाम 5.47 मिनट पर आकलन के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना है। लैंडर की सफल लैंडिंग से भारत न केवल इतिहास रचेगा बल्कि अमेरिका, रूस और चीन के साथ वह चौथा देश बन जाएगा। वैज्ञानिकों ने कहा है कि इतिहास इस लिहाज से भी होगा क्योंकि भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।

  • बधाई हो भारत... 
    चंद्रयान -3 ने अपनी यात्रा शुरू कर दी है। हमारे प्रिय एसएलवी-3 ने उसे पृथ्वी के चारो ओर सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है। आइये हम चंद्रयान -3 को उसकी आगे की कक्षा में बढ़ने और आने वाले दिनों में चंद्रमा की ओर यात्रा के लिए शुभकामनाएं दें। 
     

एस सोमनाथ, चेयरमैन इसरो

चंद्रयान -3 को भारी-भरकम एसएलवी -3, एम-4 राकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया है। प्रक्षेपण के कुल 16 मिनट 15 सेकंड बाद रॉकेट ने पृथ्वी से 179 किमी ऊपर चंद्रयान -3 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया। आगे की यात्रा चंद्रयान -3 अब स्वयं ही करेगा। जिसके लिए इसमें प्रोपल्शन मोड्यूल लगाया गया है।

बाहुबली रॉकेट एसएलवी -3, एम-4  को पहले जीएसएलवी एमके -3 के नाम से जाना जाता था – इसी से 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान -2 छोड़ा गया था। जिसका लैंडर चंद्रमा की सतह पर साफ्ट लैंडिंग में असफल रहा और तब उसका लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। 

पृथ्वी चंद्रमा के पांच –पांच चक्कर..
सफल प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 को 3.84 लाख किमी की यात्रा पूरी करने में करीब 41 दिन का समय लगेगा। इस दौरान वह पृथ्वी के पांच चक्कर लगायेगा। शुरूआत पहले छोटे चक्करों से होगी फिर उसका आकार क्रमशः बढ़ता जाएगा। पांच चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान-3  चंद्रमा की 100 गुणित 100 की कक्षा में स्थापित करेगा। यहां पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे।  प्रापल्शन से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर साफ्ट लैंडिंग करेगा ।

  • लैंडर का वजन करीब 1724 किलोग्राम है उसमें रोवर प्रज्ञान भी है, जिसका वजन 26 किलो है। 
  • विक्रम में चार और प्रज्ञान में दो पेलोड यानी मशीन हैं। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विक्रम से रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर उतरेगा। 
  • दोनों के पेलोड चंद्रमा की सतह पर कई तरह के अध्ययन करेंगे। पानी और खनिज की मौजूदगी के साथ यह भी पता लगाएंगे कि क्या वहां कभी भूकंप भी आया है। 
  • अलग होने के बाद भी विक्रम और प्रज्ञान परस्पर संपर्क में रहेंगे।  प्रज्ञान सूचना एकत्र कर विक्रम को भेजेगा फिर विक्रम उसे पृथ्वी पर इसरो के नियंत्रण कक्ष तक पहुंचाएगा।  
  • भारत महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 लैंडर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर मैंजिनस –यू केटर के पास उतारेगा
  • दक्षिण ध्रुव के ज्यादातर क्षेत्रों में अरबों साल से सूर्य की एक किरण तक नहीं पहुंची है औऱ वह क्षेत्र बहुत ही ठंडा है जिसका तापमान -248 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। 
  • यहां यान सफलता पूर्वक उतारना बड़ी चुनौती है। पिछली विफलता से सबक लेते हुए इसरो ने इस बार लैंडिंग साइट के आकार को बहुत बड़ा कर दिया है। यह चार गुणित ढाई किमी कर कर दिया गया है। पिछली बार चंद्रयान -2 लैंडिंग का साइट 500 मीटर गुणित 500 मीटर ही था।
  • चंद्रयान-2 के आर्बिटर के कैमरे विक्रम पर नज़र रखेंगे। इसी आर्बिटर ने लैंडिंग साइट खोजने में मदद की है। 
  • मैंजिनस –यू क्रेटर पर उतरने की तैयारी 
  • अरबों साल से अछूता, माइनस 248 डिग्री सेल्सियस तक जाता है तापमान

 उड़ते हुए राकेट के साथ लगाने के लिए ------ 

  • 41 दिनों का रोमांचक सफर 
  • 3.84 लाख किमी की यात्रा होगी
  • 14 जुलाई शुक्रवार से श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण
  • 16 मिनट 15 सेंकड में 127 किमी ऊपर पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा
  • 23 अगस्त शाम 5 बजकर 47 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की संभावना है।