• 28 Apr, 2025

एम्स रायपुर में ऑनलाइन दिखेगा मरीजों का इलाज

एम्स रायपुर में ऑनलाइन दिखेगा मरीजों का इलाज

• भिलाई आईआईटी और एम्स मिलकर बना रहे एप | • कौन डॉक्टर क्या इलाज कर रहे सब परिजन देख सकेंगे |

रायपुर। मरीजों को बड़े अस्पतालों में शरीर की जो तकलीफ होती है उसके साथ ही उन्हें साथ में अपने रिपोर्ट ढोने की कसरत भी करनी पड़ती है यह कई बार मरीजों और परिजनों के लिए बहुत पेचिदा और असुविधाजनक काम बन पड़ता है। इसी तकलीफ से मरीजों और परिजनों को निजात दिलाने  भिलाई आईआईटी और रायपुर एम्स मिलकर एक ऐसा एप विकसित कर रहे हैं जिसके इस्तेमाल से अब ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ( एम्स ) के मरीजों को अब अपनी जांच रिपोर्ट की फाइल लेकर घूमने की जरूरत नहीं होगी। 

   दोनों संस्थाओं ने मिलकर जो साझा एप बनाना तय किया है उससे मरीज की पूरी मेडिकल हिस्ट्री ऑन लाइन  मिल जाएगी। यहां तक दावा किया गया है कि यदि मरीज आईसीयू या ऑपरेशन थियेटर में भी होगा तो उसकी सर्जरी घर बैठे देखी जा सकेगी। कौन से डॉक्टर या कौन सी टीम मरीज का इलाज कर रही है, मरीज का बीपी,शुगर और हार्टबीट कैसा है यह सब आराम से घर बैठे ही देखा जा सकेगा। उक्त एप इसे मोबाइल पर लाइव कर देगा और ऐसा तब संभव हो सकेगा जब मरीज का रजिस्ट्रेशन होने के बाद एम्स में इलाज के लिए एडमिशन हो जाएगा और मरीज की एक आईडी जनरेट की जाएगी।  अब इतना होने  के बाद एप में यह आईडी और पासवर्ड डालने के बाद मरीज के पल-पल की जानकारी परिजनों को मोबाइल पर मिलने लगेगी। 

   विषय के विशेषज्ञों के अनुसार इस एप का फायदा उन मरीजों को होगा जिन्हें इमरजेंसी में एम्स जैसे अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा है। मसलन हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या फिर बड़ी दुर्घटना का शिकार होने के बाद मरीज की पुरानी मेडिकल हिस्ट्री नहीं मिल पाने के कारण डॉक्टर उनका तुरंत इलाज शुरू नहीं कर पाते। 

  • इतना ही नहीं कई बार यह भी होता है कि मरीज के परिजन इमरजेंसी में मरीज की पुरानी रिपोर्ट लाना भूल जाते हैं। ऐसी स्थिति  में डॉक्टरों को भी सुविधा होती है और उन्हें मरीज की बीमारी की  हिस्ट्री भी तुरंत पता चल जाती है कि उसे बीपी, शुगर या कोई अन्य पुरानी बीमारी तो नहीं है। या फिर मरीज की इससे पहले किस तरह की जांच हो चुकी है। आईआईटी भिलाई के प्रोफेसर संतोष अग्रवाल ने बताया कि इस एप के शरू हो जाने से एम्स का इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह से पेपरलेस और ऑनलाइन विभाग हो जाएगा । इससे न केवल सुविधा होगी बल्कि बहुत सा समय भी बचेगा जिससे कम समय में ज्यादा मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा। उन्होंने बताया कि इस एप की विशेष बात यह है कि इलाज की पूरी जानकारी भी एप में स्टोर होती रहेगी। 
इसी तकनीक से लाभ हुआ था कोविड में 
इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल फिलहाल उन्नत देशों जापान, अमेरीकी, चीन और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देशों में चल रही है।  सबसे ज्यादा इस तकनीकी का लाभ कोरोना कोविड संक्रमण के समय देखा गया। संक्रमण के भय से मरीज के परिजन अस्पताल नहीं जा पाते थे इस दौरान वे घर में बैठे बैठे ही मरीज के इलाज के संबंध में सारी जानकारी लेते रहे। कहा गया कि उक्त तकनीकी को भारत में लाना महंगा होगा इसलिए इसके लिए एप विकसित करने का काम आईआईटी भिलाई और एम्स मिलकर साझा कर रहे हैं।

‘ एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों और भिलाई आईआईटी के एक्सपर्ट की टीम ने एप विकसित करने का काम शुरू कर दिया है। प्लानिंग के स्तर पर इसमें पूरा काम हो चुका है। एम्स के डीन और डायरेक्टर भी इसकी सराहना कर चुके हैं ’।

प्रो. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर आईआईटी भिलाई.