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■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
● 3.43 लाख करोड़ का नुकसान भी ● अमीर देश ग्रीनहाउस गैसों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार, वातावरण को गर्म कर रहे
नई दिल्ली। जलवायु के बदलने से मौसम में अचानक ही नाटकीय स्तर के बदलाव देखने मिलते हैं अक्सर ही इस तरह के बदलाव जानलेवा भी साबित होते हैं। पिछले साल 2023 में शुरू के छह महीनों में जलवायु परिवर्तन से मौसम में होने वाले बदलाव के चलते अभी तक कोई ढाई हजार लोगों की मौत हो चुकी हैं। इतना ही नहीं इसके साथ 41 बिलियन डॉलर यानी लगभग ( 3.43 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान भी हो चुका है। इन दिनों मई के महीने के बाद और जून की शुरुआत में ही भारत में प्रचंड गर्मी है। इस जानलेवा होती जा रही गर्मी के बीच यह रिपोर्ट ब्रिटेन स्थित गैर सरकारी संगठन क्रिश्चन एड ने जारी की है।
रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीने में खराब मौसम की ये घटनाएं संभावित रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण हुई है। यह आकलन पिछले साल दुबई में दिसंबर में हुई अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता (कॉप-28) के बाद का है। एनजीओ के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात में कॉप-28 के बाद भी जीवाश्म ईंधन का त्याग करने और जलवायु आपदाओं से निबटने में गरीब देशों का समर्थन करने की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। जर्मनी के बॉन में जलवायु परिवर्तन के असर पर चर्चा के लिए हुई बैठक में कहा गया कि संख्याएं दर्शाती हैं जलवायु संकट की आहट पहले से ही महसूस की जा रही थी।
इस दौरान एनजीओ के एक पदाधिकारी जो क्रिश्चन एड से थे ने कहा ग्रीन हाउस गैसों के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार धनी देश हैं जो वातावरण को गर्म कर रहे हैं। उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अन्य देशों को मौसम के चरम घटनाओं से निपटने में मदद करने के लिए क्षति कोष में अपनी फंडिंग बढ़ानी चाहिए। इस बात को रेखांकित किया गया कि कॉप -28 में जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के चलते गरीब देशों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कोष गठित करने पर सहमति बनी थी।
अभी न चेते तो कभी नहींः पाओली संस्थान की वैश्विक एडवोकेसी की प्रमुख मारियाना पाओलीकहती हैं कि अगर अभी नहीं चेते तो कभी नहीं हो पाएगा। कहा कि अब भी पूरी दुनिया इस ओर सतर्कता से काम नहीं कर रही है जिसका खामियाजा सब को भुगतना पड़ सकता है। इसके लिए गंभीर कदम उठाने की मांग तेज हो रही है,खास कर उन देशों के लिए जो कि आर्थिक रूप से कमजोर हैं और संकट से अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित हो रहे हैं। | भारत में गर्मी से बड़ी संख्या में गई जानें, लेकिन नुकसान का आकलन नहीं दुनियाभर को चिंता में डाल देने की खबरों के बीच पर्यावरणविद डॉक्टर सीमा जावेद ने कहा कि भारत में गर्मी के कारण बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं। और इससे होने वाली आर्थिक हानि का कोई आकलन नहीं किया गया लेकिन लोगों की कार्यक्षमता प्रभावित हुई है। खाड़ी के देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण असाधारण वर्षा और उससे होने वाले बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण और दक्षिण एशिया में बाढ़ से कम से कम 214 लोगों की मौत हो गई और सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात में 850 मिलियन बीमाकृत नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि पश्चिम दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में एकसाथ चलने वाली लू से अकेले म्यांमार में 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है हालांकि गर्मी से होने वाली मौतें बहुत कम रिपोर्ट की गई हैं। |
रिपोर्ट के अनुसार 41 मिलियन डॉलर का नुकसान कम आंका गया है क्योंकि यह आकलन बीमा के आधार पर किया गया है। इन आकड़ों में आपदाओं की वजह से मानव जीवन को होने वाले नुकसान की लागत पूरी तरह शामिल नहीं किया गया है। ब्राजील में बाढ़ से कम से कम 169 लोगों की मौत हुई और साथ ही कम से कम सात अरब डॉलर की आर्थिक क्षति हुई ।
नई दिल्ली । जून के मध्य में हैं उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत भीषण गर्मी की चपेट में हैं। पहाड़ी राज्यों के मैदानी इलाकों में भी प्रचंड गर्मी पड़ रही है। जम्मू -कश्मीर के कठुआ में पारा 48.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है जो अब तक का सर्वाधिक तापमान है। जम्मू में अधिकतम तापमान 43 डिग्री दर्ज किया गया है। बिहार के अनेक इलाके लू की चपेट में हैं और मौसम विभाग ने चेताते हुए रेड अलर्ट जारी किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग(आईएमडी) के अनुसार 24 घंटों के दौरान ( खबर लिखे जाने तक) पं बंगाल के गंगी किनारे वाले क्षेत्रों में बिहार, झारखंड, यूपी, दिल्ली , पंजाब, हरियाणा व ओडिशा समेत अलग अलग क्षेत्रों में लू की स्थिति बनी हुई है। इस दौरान राजस्थान , पंजाब और उत्तर भारत समेत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 42- 45 डिग्री दर्ज किया गया है। सबसे अधिक तापमान यूपी के प्रयागराज में 46.3 डिग्री सेल्सियस रहा। दिल्ली में पारा 43.8 डिग्री तक पहुंच गया है।
उत्तर भारत एक ओर जहां भीषण गर्मी की चपेट में है वहीं गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश हो रही है। दक्षिण -पश्चिम मानसून गुजरात पहुंच चुका है वैसे आम तौर पर यहां 15 जून तक पहुंचता है। इसके प्रभाव से दक्षिण गुजरात में भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने 12 जून के बाद अगले दो दिन सभी जिलों में जोरदार गरज के साथ बारिश होने की संभावना जताई है। मानसून के प्रभाव से मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई जिलों में बारिश हो रही है। 11 जून को ठाणे में 48.77 एमएम बारिश दर्ज की गई। ठाणे शहर में जून महीने की शुरुआत से 141.9 एमएम बारिश हो चुकी है।
■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
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■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
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