• 28 Apr, 2025

स्कूल शिक्षा का विजन डाक्यूमेंट 2030 प्रस्तुत करते हुए सीएम ने की घोषणा बालवाड़ी तीन साल से अधिक आयु समूह के बच्चों के लिए रोजगारोन्मुखी शिक्षा 9 वीं से 12 वीं तक जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम

रायपुर. स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय की तर्ज पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप विद्यालय संचालित किये जाएंगे। तीन वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के बच्चों के लिए बालवाड़ी का संचालन कर उन्हें पूर्व प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही नवमीं से बारहवीं तक के छात्रों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान की जाएगी। इससे वे पढ़ाई के साथ साथ किसी क्षेत्र विशेष में हुनरमंद बन सकें।
   मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बाल दिवस के मौके पर रविवार को रायपुर में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम के उद्घाटन अवसर पर स्कूल शिक्षा विजन डाक्यूमेंट 2030 के तहत कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष हाईस्कूल के छात्रों के लिए कुछ स्कूलों में चुनिंदा ट्रेड में आईटीआई के प्रशिक्षण की शरूआत कर दी गई है।  इस पाठ्यक्रम में 12 वीं की परीक्षा पास कर लेने पर उसके प्रमाणपत्र के साथ साथ आईटीआई का प्रमाणपत्र भी मिलेगा। इस पाठ्यक्रम में अभी 8 हजार बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। सीएम ने शिक्षाविदों, विद्वानों, शिक्षकों और विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा समागम के दौरान पिछले 75 वर्षों में बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में क्या कार्य किये गए और उनमें क्या कमी रह गई, बच्चों की शिक्षा के लिए और क्या बेहतर किया जा सकता है, हम किस दिशा में आगे बढ़ें इस पर विचार विमर्श किया जाएगा।  उन्होने कहा कि शिक्षा समागम में 27 राज्यों से आने वाले जनप्रतिनिधियों से छत्तीसगढ़ को भी काफी कुछ सीखने का अवसर मिलेगा।
प्रदर्शनी का अवलोकन
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा के अधिकार के तहत कक्षा 8वीं तक के दायरे को बढ़ा कर कक्षा-12वीं तक कर दिया गया है। इस अवसर पर अतिथियों ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचारों पर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया।
शिक्षकों ने दायित्व का किया निर्वहन
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में छत्तीसगढ़ में भी दुनियाभर में हो रही पढ़ाई को देखते हुए डिजिटल माध्यम से शिक्षा देने की शुरुआत की गई थी। कठिन समय में अनेक चुनौतियों के बावजूद कोरोना काल में शिक्षकों ने अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया। इस कठिन समय में शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई को अवरुध्द नहीं होने दिया । राज्य में 75 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने विभिन्न विषयों पर रिकार्डिंग कर बच्चों तक अध्ययन सामग्री पहुंचाई। इतना ही नहीं लॉकडाउन के समय जब बड़े बच्चे सब घरों में थे तब उन्हें खेल-खेल में शिक्षा देने के लिए नवाचार भी शुरू किया गया।
गरीब बच्चों को भी अंग्रजी माध्यम में निशुल्क शिक्षा
रायपुर में तीन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के साथ इस योजना की शुरुआत की गई थी जिसकी संख्या बढ़कर 52 और अब तो 171 तक पहुंच गई है। इन स्कूलों में 25 प्रतिशत स्थान गरीब परिवारों के बच्चों के लिए रखे गए हैं। अनुसूचित क्षेत्र के अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 90 प्रतिशत बच्चे गरीब परिवारों से हैं।