• 28 Apr, 2025

कश्मीर पर हर भारतीय का हक ..

कश्मीर पर हर भारतीय का हक ..

● विशेष दर्जे वाले अनुच्छेद -370 हटाने का केन्द्र का फैसला सहीं- सुप्रीम कोर्ट ● राज्य में चुनाव सितंबर तक कराने का आदेश

      नई दिल्ली। जम्मू -कश्मीर  से अनुच्छेद 370 हटाने का केन्द्र सरकार का फैसला अब सर्वोच्च अदालत से भी सही करार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच  सदस्यीय संविधान पीठ ने 5 अगस्त 2019 को इस संबंध में केन्द्र सरकार के किये गए फैसले पर अपनी मुहर भी लगा दी। तब केन्द्र ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू -कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। 

      इसके बाद सरकार के इस फैसले के खिलाफ लगातार 23 याचिकाएं  सुप्रीम कोर्ट में लगाई गईं। जिन पर अब संविधान पीठ ने फैसला दिया है। इस फैसले से अब साफ हो गया है कि जम्मू -कश्मीर के हर नागरिक पर अब भारतीय कानून लागू होंगे। इतना ही नहीं साथ ही हर भारतीय को कश्मीर में भी अब वे सभी हक मिलेंगे जो देशभर में मिलते हैं।  

      चीफ जस्टिस डी वाय चन्द्रचूड़,जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने 3 अलग अलग विचार होने के बाद भी एक मत होकर  जम्मू-कश्मीर  के अनुच्छेद 370 हटने  को वाजिब बताने वाला एक संयुक्त फैसला दिया। कहा कि 1947 में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के पास संप्रभुता का कोई तत्व नहीं रह गया था। इसलिए कोर्ट केन्द्र के फैसले पर कोई दखल नहीं देगी। हालांकि कोर्ट ने केन्द्र को आदेश दिया कि वो सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर मे चुनाव कराए और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराए। इस बीच पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि- फैसला आशा की किरण है।

      इधर जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक और जम्मू- कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद सोमवार 11 दिसंबर 2023 को राज्यसभा में भी पास हो गया। 

476 पेज का फैसला, चार प्रमुख बातें----

  1. राष्ट्रपति की शक्तियां- सीजेआई ने कहा  कि यह कोर्ट भारते के राष्ट्रपति के निर्णय के खिलाफ अपील पर कार्रवाई नहीं कर सकती।  अनुच्छेद 370 (1) डी के तहत कई संवैधानिक आदेशों से पता चलता है कि केन्द्र और राज्य ने संविधान जम्मू कश्मीर में लागू किया था। वहां एकीकरण की प्रक्रिया जारी थी। ऐसे में हमें नहीं लगता कि राष्ट्रपति की शक्ति का उपयोग दुर्भावनापूर्ण था लिहाजा अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति के पास जो शक्तियां हैं वे वैध थी।
  2. सम्प्रभुता पर सवाल गलत- 1949 में महाराजा हरि सिंह की उद्घोषणा और उसके बाद का संविधान इस तथ्य को पुख्ता करता है कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग बन गया। यह बात संविधान के अनुच्छेद से स्पष्ट है।  
  3. अनुच्छेद 370 अस्थायी था- अनुच्छेद 370 अस्थायी था । राज्य में युध्द की स्थिति के कारण यह एक अस्थायी उद्देश्य के लिए किया गया था।  यही कारण था कि इसे संविधान के भाग 21 में रखा गया था।
  4. संविधान सभा अब नहीं- सीजीआई ने कहा -संविधान सभा की सिफारिश करना राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी ।  इसलिए जब सभा का अस्तित्व ही खत्म हो गया तो जिस विशेष शर्त के लिए 370 लाया गया था लिहाजा उसका अस्तित्व भी खत्म हो गया।

तीन फैसले, 370 पर तीनों जज सहमत- 

  • पहला - 352 पेज का है,  जिसमें सीजेआई ,जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस गवई के मत हैं। 
  • दूसरा- 121 पेज का है, जिसमें जस्टिस कौल की बात है।
  • तीसरा- 3 पेज का है, जिसे जस्टिस खन्ना ने लिखा है- लेकिन अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसले से तीनों जज सहमत थे। 

मानवाधिकार उल्लंघन की जांच के लिए आयोग बने

जस्टिस कौल ने फैसले में लिखा- 1980 के दशक में कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी थी। उस दौरान हुए मानवाधिकार के उल्लंघन की जांच के लिए केन्द्र सत्य और सुलह आयोग बनाए। जस्टिस स्वयं एक कश्मीरी पंडित परिवार से हैं। 

फैसला सुनाने वाले तीन जज बनेंगे सीजेआई

वर्तमान सीजेआई  चंद्रचूड़ का  कार्यकाल नवंबर 2024 तक है। फिर जस्टिस खन्ना नवंबर 2024 से 13  मई 2025 तक फिर जस्टिस बीआर गवई 13 नवंबर 2015 तक तो जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होंगे। 

2019 के बाद जम्मू-कश्मीर कितना बदला
 
पत्थरबाजी बंद, अलगाववादी नेताओं के दफ्तरों में ताले लगे

श्रीनगर। केन्द्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटा लेने के बाद से  जम्मू कश्मीर में कई दिखने लायक बदलाव नजर आने लगे हैं। बीते चार साल में क्या क्या हुआ और क्या साफ दिखाई दे रहा है एक नजर में --

  • पत्थरबाजी बंद- 2019 के पहले घाटी में हर दिन सुरक्षाबलों पर उपद्रवियों की पत्थरबाजी की खबरें आम थी।  उस साल 1990 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं जो 2020 में एक ही साल में सिर्फ250 रह गईं और 2022 में सिर्फ 20 घटनाएं हुईं।
  • अलगाववाद खत्म- बड़े अलगाववादी तो खत्म ही हो गए  या कि दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए। उनके खुद के दफ्तरों में ताले पड़े हैं। 2019 के बाद अलगाववादियों की एक भी रैली नहीं हुई।
  • .विदेशी निवेश- 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में 70 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए हैं। 200 विदेशी निवेशकों को जमीनें दी गईं हैं। पांच 5 बड़े प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं। श्रीनगर के संपोरा इंडस्ट्रियल एस्टेट में 500 करोड़ के मॉल  और आईटी पार्क 2026 तक बन जाएंगे। इसमें 15 हजार रोजगार आएंगे।
  • कश्मीरियों की मौत की जांच रुकी- 1990 के बाद से जितने कश्मीरियों की हत्या हुई एजेंसियों ने उसकी जांच अब तक पूरी नहीं की। दो साल पहले इसके लिए एक विशेष जांच दल बना था लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला।  
  • युवा शक्ति बढ़ी- 2020 में  उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल लांच होने के बाद सरकार की मदद से 2 लाख एमएसएमई यूनिट्स खुली हैं। जिन्हें 38 हजार महिलाएं चला रहीं हैं। 
  • चुनाव नहीं हुए- अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकार की पहली प्राथमिकता यहां चुनाव कराने की थी लेकिन राजनैतिक दलों की मांग के बावजूद अब तक विधानसभा चुनाव नहीं हो सके।
  • निगेटिव ट्रैवल एडवाइजरी- तब कहा गया था कि दूसरे देशों की कश्मीर को लेकर दी गई निगेटिव ट्रैवल एडवाइजरी हटाई जाएगी लेकिन आज भी अमेरिका, आस्ट्रेलिया यूके, फ्रांस और इस्राइल समेत कई यूरोपीय देशों की निगेटिव ट्रैवल एडवाइजरी बनी हुई है।  
  • आतंकवाद का खात्मा- ये तो नहीं हुआ लेकिन आतंकवाद कम जरूर हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 110 आतंकी सक्रिय हैं लेकिन इनमें 70 फीसदी विदेशी हैं। 

आकड़े जो सरकार ने सदन में दिये-

  • 2019 से पहले जम्मू -कश्मीर एक लाख  करोड़ जीएसटी देता था, अब 2.27 लाख करोड़ जीएसटी दे रहा। 
  • पहले यहां 94 कॉलेज थे अभी यहां 147 कॉलेज हैं।
  • 70 साल में यहां चार मेडिकल कॉलेज थे अब कुल 7 हैं। इसके साथ ही 15 नर्सिंग कॉलेज हैं। 
  • पहले 6 लाख को मिड -डे मिल मिलता था, अब 9.13 लाख को मिल रहा है। यानी स्कूलों में पढ़ने वाले बढ़े हैं। 
  • स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 173 काम हुए। 24 हजार घर बने थे, पांच साल में 1,45 लाख घर बन चुके हैं। 
  • पहले पेंशनभोगी 6 लाख थे, अब 10  लाख से ज्यादा हैं।