अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● विशेष दर्जे वाले अनुच्छेद -370 हटाने का केन्द्र का फैसला सहीं- सुप्रीम कोर्ट ● राज्य में चुनाव सितंबर तक कराने का आदेश
नई दिल्ली। जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का केन्द्र सरकार का फैसला अब सर्वोच्च अदालत से भी सही करार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 5 अगस्त 2019 को इस संबंध में केन्द्र सरकार के किये गए फैसले पर अपनी मुहर भी लगा दी। तब केन्द्र ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू -कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।
इसके बाद सरकार के इस फैसले के खिलाफ लगातार 23 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गईं। जिन पर अब संविधान पीठ ने फैसला दिया है। इस फैसले से अब साफ हो गया है कि जम्मू -कश्मीर के हर नागरिक पर अब भारतीय कानून लागू होंगे। इतना ही नहीं साथ ही हर भारतीय को कश्मीर में भी अब वे सभी हक मिलेंगे जो देशभर में मिलते हैं।
चीफ जस्टिस डी वाय चन्द्रचूड़,जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने 3 अलग अलग विचार होने के बाद भी एक मत होकर जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 हटने को वाजिब बताने वाला एक संयुक्त फैसला दिया। कहा कि 1947 में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के पास संप्रभुता का कोई तत्व नहीं रह गया था। इसलिए कोर्ट केन्द्र के फैसले पर कोई दखल नहीं देगी। हालांकि कोर्ट ने केन्द्र को आदेश दिया कि वो सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर मे चुनाव कराए और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराए। इस बीच पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि- फैसला आशा की किरण है।
इधर जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक और जम्मू- कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद सोमवार 11 दिसंबर 2023 को राज्यसभा में भी पास हो गया।
476 पेज का फैसला, चार प्रमुख बातें----
तीन फैसले, 370 पर तीनों जज सहमत-
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मानवाधिकार उल्लंघन की जांच के लिए आयोग बने जस्टिस कौल ने फैसले में लिखा- 1980 के दशक में कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी थी। उस दौरान हुए मानवाधिकार के उल्लंघन की जांच के लिए केन्द्र सत्य और सुलह आयोग बनाए। जस्टिस स्वयं एक कश्मीरी पंडित परिवार से हैं। | फैसला सुनाने वाले तीन जज बनेंगे सीजेआई वर्तमान सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल नवंबर 2024 तक है। फिर जस्टिस खन्ना नवंबर 2024 से 13 मई 2025 तक फिर जस्टिस बीआर गवई 13 नवंबर 2015 तक तो जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होंगे। |
2019 के बाद जम्मू-कश्मीर कितना बदला
पत्थरबाजी बंद, अलगाववादी नेताओं के दफ्तरों में ताले लगे
श्रीनगर। केन्द्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटा लेने के बाद से जम्मू कश्मीर में कई दिखने लायक बदलाव नजर आने लगे हैं। बीते चार साल में क्या क्या हुआ और क्या साफ दिखाई दे रहा है एक नजर में --
आकड़े जो सरकार ने सदन में दिये-
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■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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