• 28 Apr, 2025

चीन में योग की बढ़ती लोकप्रियता और भारतीय प्रशिक्षकों के लिए अवसर

चीन में योग की बढ़ती लोकप्रियता और भारतीय प्रशिक्षकों के लिए अवसर

• पंद्रह सौ से अधिक भारतीय योग गुरु चीन में योग का ज्ञान दे रहे हैं I •बीसवीं सदी में चीन में योग पुनः लोकप्रियता की ओर बढ़ने लगा जब चीन के सरकारी दूरदर्शन पर योग का प्रसारण हुआ •पूर्व में दोनों देशों बीच 2000 वर्षों का शांतिपूर्ण सम्बन्ध रहा है, परन्तु 1947 ई. में भारत की आजादी और 1949 में चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना के बाद से अब तक भारत चीन सम्बन्ध बहुत उतार चढाव से भरा रहा है ।

  • पंद्रह सौ से अधिक भारतीय योग गुरु चीन में योग का ज्ञान दे रहे हैं I  
  • बीसवीं सदी में चीन में योग पुनः लोकप्रियता की ओर बढ़ने लगा जब चीन के सरकारी दूरदर्शन पर योग का प्रसारण हुआ
  • पूर्व में दोनों देशों  बीच 2000 वर्षों का शांतिपूर्ण सम्बन्ध रहा है, परन्तु  1947 ई. में भारत की आजादी और 1949 में चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना के बाद से अब तक भारत चीन सम्बन्ध बहुत उतार चढाव से भरा रहा है ।
  • पीएम मोदी  के भागीरथी प्रयास के ही फलस्वरूप सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जिसे सयुंक्त राज्य अमेरिका , चीन समेत 170 देशों का सहमति मिली । 11 दिसम्बर 2014 को अंततः 193 देशों की सहमति से सयुंक्त राष्ट्र ने “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में आधिकारिक मान्यता दी है ।

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डॉ. विवेकमणि त्रिपाठी
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर 
क्वान्ग्तोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, चीन

चीन भी भारत की तरह ज्ञान की भूमि रही है I चीन ने कन्फ़्यूशियस, मेंसिअस, लाओत्से आदि जैसे महान दार्शिनक मानव समाज को दिये हैं । चीनी समाज में विद्वानों का स्थान हमेशा ऊँचा रहा है,चीन ने हमेशा ज्ञान और विद्वानों का स्वागत किया है, योग ज्ञान का भी चीनी विद्वत जन और समाज द्वारा  स्वागत किया गया और कालांतर में योग चीनी संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया ।   वर्तमान में चीन में योग अत्यंत लोकप्रिय है, चीन  के छः सौ शहरों में योग केंद्र है जहाँ एक करोड़ से ज्यादा चीनी लोग योग का नियमित अभ्यास करते हैं I अभी चीन में ढाई लाख से अधिक चीनी मूल के योग शिक्षक हैं वहीँ पंद्रह सौ से अधिक भारतीय योग गुरु चीन में योग का ज्ञान दे रहे हैं I  

चीन में योग का लम्बा इतिहास है । चीन के विभिन्न वंश के शासनकाल में योग को भिन्न भिन्न नाम से जाना जाता था । चीन में योग कब आया इस पर विद्वानों का एक मत नहीं है, परन्तु कुछ विद्वान योग का चीन में आगमन हान वंश (ई. पूर्व 202 – ई.220) के समय में बताते हैं।  थांग काल में योग को “उपयुक्त (相应)” और “भारतीय मसाज विधि (天竺按摩法)” के नाम से प्रसिद्ध था । दक्षिणी –उत्तरी वंश (南北朝 420 ई.–589ई.) के शासनकाल में योग को “मांसपेशियों और हड्डीयों को मजबूत करने वाला व्यायाम (易筋经)” के रूप में जाना जाता था । सोंग वंश के शासनकाल में योग को “ब्राह्मण मार्गदर्शक नियम (婆罗门引导法)” के नाम से जाना जाता था। युआन और मिंग –छिंग शासनकाल में योग की लोकप्रियता में कमी आयी । इस समय भारत में राजनितिक अस्थिरता और परतंत्रता के बीच भारत-चीन के मध्य सांस्कृतिक आदान प्रदान भी काफी नगण्य हो गया था । बीसवीं सदी में चीन में योग पुनः लोकप्रियता की ओर बढ़ने लगा जब चीन के सरकारी दूरदर्शन पर योग का प्रसारण हुआ। धीरे - धीरे योग चीन के सामान्य जन के जीवन का अभिन्न अंग बन गया ।

वर्तमान में चीन में योग हर जगह समान रूप से लोकप्रिय है,चाहे वह चीन की राजधानी पेईचिंग हो या पूर्वोत्तर चीन का एक छोटा सा शहर थियेलिंग हो ,योग सीखने और सिखाने वाले योगी हर जगह मिल जायेंगे। योग चीनी जन के जीवन का अभिन्न  अंग बन चुका है । चीन में योग सीखने वाले ज्यादातर नवयुवतियां और बुजुर्ग है, योग सिखाने वाले चीनी नवयुवक और नवयुवतियों के आलावा भारतीय शिक्षक भी हैं। वर्तमान समय में भारत –चीन सम्बन्ध काफी उतार चढाव देख रहा है । पूर्व में दोनों देशों  बीच 2000 वर्षों का शांतिपूर्ण सम्बन्ध रहा है, परन्तु  1947 ई. में भारत की आजादी और 1949 में चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना के बाद से अब तक भारत चीन सम्बन्ध बहुत उतार चढाव से भरा रहा है । भारत –चीन संबध पंचशील समझौता से शुरू हो कर 1962 में अपने निम्नतर स्तर पर पहुँच गया । अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में सीमा विवाद , सामरिक स्थिति और व्यापार का स्थान ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, पर्यटन,दर्शन, भाषा और सांस्कृतिक सम्बन्ध का स्थान तद्नोपरांत आता है । लेकिन वर्तमान में भारतीय प्रधानमंत्री के सफल प्रयास से शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में चीन से ज्यादा आदानप्रदान हो रहा है । योग को विश्व में और प्रसिद्ध बनाने के प्रयास में प्रधानमंत्री मोदी का योगदान भी काफी सराहनीय है ,भारत के पीएम मोदी  के भागीरथी प्रयास के ही फलस्वरूप सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जिसे सयुंक्त राज्य अमेरिका , चीन समेत 170 देशों का सहमति मिली । 11 दिसम्बर 2014 को अंततः 193 देशों की सहमति से सयुंक्त राष्ट्र ने “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में आधिकारिक मान्यता दी है ।

प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे के समय चीनी प्रधानमंत्री ली ख छिआंग से हुई वार्ता में भारत –चीन सम्बन्ध में योग की महत्ता को देखते हुए चीन में एक योग महाविद्यालय खोलने का निर्णय हुआ जिससे ज्यादा दे ज्यादा चीनी जन योग से लाभान्वित हो सके और योग के माध्यम से भारत-चीन संबंधों को और प्रगाढ़ करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सके। इस योग महाविद्यालय के द्वारा भारत और चीनी जन के बीच सीधा संपर्क होगा जिससे दोनों देशों के लोग एक दुसरे के बारे में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करते हुए,मीडिया द्वारा प्रसारित सनसनी को अनसुना करते हुए, एक –दूसरे को ज्यादा अच्छे से समझ सकेंगे , हजारों वर्षों से चली आ रही सांस्कृतिक संबंधों को और घनिष्ठ करने तथा चीनी जन को एक शांत  मन और स्वस्थ्य शरीर देने के महाउद्देश्य के साथ चीन में पहला योग महाविद्यालय की स्थापना करने के निर्णय पर दोनों देश सहमत हुए और 13 जून 2015 को खुनमिंग शहर के युन्नान मिन्त्सू विश्वविद्यालय में “चीन-भारत योग महाविद्यालय(中印瑜伽学院)” की स्थापना हुई जिसे चीन के पहले योग महा विद्यालय होने का गौरव प्राप्त है । वर्त्तमान में इस योग महाविद्यालय में योग के सरल और कठिन सहित विभिन्न आसनों को तो सिखाया हीं जा रहा है साथ हीं साथ योग का इतिहास ,योग संस्कृति ,भारतीय दर्शन ,भारतीय संस्कृति आदि की भी विधिवत शिक्षा दी जा रही है जो चीनी नागरिकों को स्वस्थ शरीर तो देगा ही , चीन जन की ज्ञान पिपासा को भी मिटाएगा और भारत-चीन के मैत्री सम्बन्ध को एक सकारात्मक दिशा की ओर ले जायेगा । चीन में योग महाविद्यालय का खोला जाना, चीन में योग की लोकप्रियता और भारत –चीन सम्बन्ध में योग के महत्व को तो दिखाता ही है,साथ ही साथ दोनों देशों के नेताओं का योग और भारत –चीन के संबंधों को एक नयी दिशा में ले जाने का संकेत दिखाता है। 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग ने भी अपनी भारत यात्रा के समय चीन में योग की महत्ता को समझते हुए योग के द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का संकल्प दोहराया था ।

वर्तमान में चीन के लगभग हर छोटे – बड़े शहरों में एक या अधिक योग केंद्र है,जंहा हजारों की संख्या में चीनी जन एक स्वस्थ शरीर और शांत मन की आशा के साथ नियमित योग का अभ्यास करते है । प्रश्न है की चीन में योग की लोकप्रियता का क्या आधार है ? क्यों युवा ,बुजुर्ग सभी योग के प्रति खिंचे  चले आ रहे हैं ? इन प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए हमें सर्वप्रथम हमारी वर्तमान सामाजिक समस्याओं के बारे में समझना होगा । हमारा वर्त्तमान समाज कई तरह के समस्याओं से जूझ रहा है, हमने विकास तो बहुत कर लिया परन्तु विकास की इस अंधी दौड़ में हमने खोया भी बहुत कुछ है । शीघ्र सफलता पाने की आशा में हम  मन की शांति को खोते जा रहे हैं , स्वास्थ्य को अनदेखा कर रहे है, हमारी महत्वाकांक्षाएं बढ़ती ही चली जा रही है, महत्वाकांक्षाएं पूर्ण ना होने पर हमारे मन में अवसाद घर ले रहा है, आत्महत्या की प्रवृति बढ़  रही है, तलाक की संख्याओं में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है, वृधाश्रम की की संख्याएँ भी बढ़ती जा रही हैं, सामाजिक मूल्यों का पतन होता जा रहा है । विद्यार्थी से लेकर कामकाजी व्यक्ति तक सबको अपने अपने उज्ज्वल भविष्य की चिंता खाए जा रही है, और इस चिंता में हम अपनी मानसिक शांति की बलि चढ़ाते जा रहे है । वर्तमान चीन का समाज भी इन सारी समस्याओं से अछूता नहीं है, आज चीन के विद्यार्थियों को अपनी सफलता की चिंता खाए जा रही है तो कम्पनियों में काम करने वालो को काम को समय पर करने की चिंता, पदोन्नति की चिंता, और इस चिंता में हम अपना सकून खोते जा रहे है । योग हमें एक स्वस्थ शरीर तो प्रदान करता ही है, साथ ही साथ एक शांत मन और स्थिर दिमाग भी  प्रदान करता है, जिसकी आज के चीनी युवा वर्ग से लेकर बुजुर्गो को भी आवश्यकता है,अपनी इन्हीं विशेषताओं के चलते योग चीनी जनमानस में और ज्यादा लोकप्रिय होता जा रहा है । एक स्वस्थ और शांत चित का व्यक्ति ही एक अच्छे समाज का निर्माण करता है, और एक अच्छे समाज से एक अच्छा देश का निर्माण होता है । इस प्रकार एक स्वस्थ समाज और स्थिर देश बनाने में योग अपना महत्ती योगदान दे रहा है ।

किसी भी दो देश के बीच राजनितिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध के बाद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है - आर्थिक सम्बन्ध । योग भारत चीन के आर्थिक सम्बन्ध को भी मजबूत करता हुआ दिख रहा है । आज चीन में योग के माध्यम से अनेक चीनी युवाओं को रोजगार मिल हीं रहा है, भारतीयों को भी चीन में आकर योग के क्षेत्र में रोजगार पाने का अवसर मिल रहा है । पर्यटन उद्योंग संसार के प्रमुख उद्योगों में  से एक है, भारत – चीन के बीच पर्यटन उद्योग काफी अच्छी स्थिति में है, आज भारत आने वाले बहुत से चीनी पर्यटक अपनी भारत यात्रा में कुछ दिन का योग कक्षा  की मांग कर रहे है, जो आने वाले वर्षों में भारत - चीन के मध्य उभरती हुई “ योग पर्यटन ” की  सम्भावना को बलवती करती नजर आ रही है।

भारत-चीन के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ करने में प्रसिद्ध रेशम मार्ग और बौद्ध धर्म का योगदान बहुत हीं अहम् है। रेशम मार्ग के बाद , भारत-चीन सम्बन्ध के बीच जो लम्बी खाई बन गयी है, वर्तमान परिदृश्य में “योग” उस खाई को भरती नज़र आ रही है । रेशम मार्ग भारत –चीन के मध्य वो सेतु था जिसके द्वारा भारत-चीन के मध्य शतकों तक निर्बाध रूप से सांस्कृतिक ,व्यापारिक आदानप्रदान होता रहा, योग रेशम मार्ग रूपी उस सेतु की कमी को पूरा सकता है । योग के द्वारा दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत तो किया हीं सकता है, व्यापारिक सम्बन्ध को भी और मजबूत किया जा सकता है, जिसके लिए  दोनों देशों के नेताओं का  सहयोग अति आवश्यक है। निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि योग चीन में लोकप्रियता के शिखर पर आरूढ़ है तथा भारत के “वसुधैव कुटुम्बकम  ” के दर्शन को साकार कर रहा है I