अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• 32 सौ रुपये क्विंटल की दर से धान खरीदी का वादा कांग्रेस का, कर्जमाफी भी • भाजपा ने कहा 31 सौ रुपये क्विंटल की दर से 21 क्विंटल खरीदेगी • धान की ऊंची कीमत फसल खरीदी के किस मौसम में अभी तक स्पष्ट नहीं
रायपुर / दुर्ग। छत्तीसगढ़ की सरकार बनने का दारोमदार तो किसानों पर ही रहा है। जिस भी पार्टी ने उनके फसल की अच्छी कीमत और बोनस देने का वादा किया सरकार उसी पार्टी की बनी है। जाहिर है धान खरीदी में पार्टियों के वादे का असर होता है। इस बार भी छत्तीसगढ़ की मुख्य फसल धआन को लेकर किसानों से राजनीतिक दलों के चुनावी वादे और त्यौहार का असर यहां धान खरीदी की गति पर भी हुआ है।
राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद शुरू होने के महीनेभर बाद भी किसानों से लगभग 31. 21 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया है जो पिछले साल इसी माह की या इसी अवधि की खरीद से बहुत कम है। एक ओर तो कांग्रेस ने 32 सौ रुपये क्लिंटल धान खरीदी के साथ किसानों को लुभाने के लिए कर्ज माफी का भी वादा कर दिया। कहा जा रहा है कि इसका असर चुनाव में हुआ है। इसी की तर्ज पर भाजपा ने भी 31 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल धान खरीदी का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है।
यहां दोनों दलों ने यह साफ नहीं किया है कि धान की यह कीमत किसानों को फसल खरीद के किस मौसम में दी जाएगी। 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में पिछले महीने क्रमशः 7 और 17 नवंबर को मतदान करवाये गए थे। वोटो की गिनती तीन दिसंबर को तय है।
राज्य के वरिष्ठ अफसरों के मुताबिक राज्य में एक नवंबर से किसानों से धान खरीदी शुरू होने के बद से बुधवार 28 नवंबर तक 3,17, 223 किसानों से 13, 20, 457. 80 मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। उन्होंने बताया कि पिछले खरीफ मौसम ( 2022-23) में 5.42 लाक किसानों से इसी अवधि (एक नवंबर से 29 नवंबर तक) की अवधि में 19.30 लाख मीट्रिक टन धान बेचा गया था।
राज्य सरकार ने चालू मौसम के दौरान 130 लाख टन मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। एक सरकारी अफसर ने पिछले दिनों बताया कि किसानों से इस बार धान खरीदी के लिए 2739 खरीद केन्द्र स्थापित किये गए हैं। खरीद अभियान एक नवंबर 2023 को शुरू हुआ है और अगले वर्ष 31 जनवर2024 तक जारी रहेगा। 26.87 लाख किसानों ने अपने फसल बेचने के लिए पंजीकरण करवाया है।
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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