अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
● खास समूह के सियासी -पेशेवर दबाव से बचाना होगा..
नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे समेत देश के 600 से अधिक वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डी. वाय. चंद्रचूड़ को पत्र खत लिखकर आरोप लगाया है कि एक विशेष समूह न्याय पालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। इन समूहों का फोकस राजनेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों पर रहता है।
लिखा है इस तरह के हथकंडे अदालतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा हैं। 'न्याय पालिका खतरे में - खास समूह के सियासी-पेशेवर दबाव से बचना होगा' शीर्षक से लिखा यह खत 26 मार्च का है।
खत में लिखा गया है कि यह वक्त गरिमापूर्ण खामोशी का नहीं है। इस कठिन दौर में सीजेआई चंद्रचूड़ का नेतृत्व अहम है और शीर्ष कोर्ट को मजबूती से खड़े होना चाहिए। पत्र में बिना किसी का नाम लिए वकीलों के एक खास समूह को निशाना बनाया गया है।
खत के अनुसार, वे दिन में राजनेताओं के लिए वकालत करते हैं और रात में मीडिया के जरिये जजों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। ये खास ग्रुप हमारी अदालतो की तथाकथित स्वर्णिम अतीत की झूठी गाथाएं रचते हैं और सिर्फ आज की घटनाओं से तुलना करते हैं। इन बयानों का उद्देश्य कोर्ट को प्रभावित करना और राजनीतिक फायदे के लिए उन्हें शर्मिंदा करना होता है।
खत पर हरीश साल्वे के अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा, अदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेन जैन,उज्ज्वला पवार,उदय होल्ल और स्वरूपमा चतुर्वेदी के हस्ताक्षर हैं।
दूसरों को डराना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है- पीएम मोदी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वकीलों की चिट्ठी पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। करीब 50 साल पहले उन्होंने प्रतिबध्द न्यायपालिका की बात कही थी। वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबध्दता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबध्दता से बचते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि देश के 140 करोड़ नागरिक उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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