• 28 Apr, 2025

चीन की सीमा पर वन्देभारत

चीन की सीमा पर वन्देभारत

> पूर्वोत्तर में 5 बड़े महत्वपूर्ण रेल परियोजनाएं > काम भी 65 फीसदी पूरा हो चुका

गुवाहाटी। चुनाव के दिन करीब आने को हैं तो सरकारें अपनी उपलब्धियों की गिनती कराना चाहती हैं वैसे देश की तरक्की के लिए तो हमेशा ही कई तरह की परियोजनाएं चलती ही रहती हैं। इसी कड़ी में चीन की सीमा के पास अहम रेल परियोजाओं का काम अमूमन खत्म होने को है।  

चीन की सीमा पर संपर्क साधन को मिल रही चुनौतियों के बीच एक अच्छी खबर है कि भारत में पूर्वी सेक्टर में सिक्किम, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार तक करीब डेढ़ लाख करोड़ की लागत से बिछाई जा रही पांच रेल परियोजाओं की रेल लाइनों का काम करीब आधा  से ज्यादा पूरा हो चुका है। 

रेलवे के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यदि सब कुछ ही माफिक बना रहा तो दिसंबर 2024 तक सिक्किम के रंग्पो सो गंगटोक तक बंदे भारत एक्सप्रेस शुरू करने की योजाना है। कहा गया है कि बाद में उसी ट्रेन को नाथुला तक ले जाया जाएगा। कहा गया है कि नाथुला रूट का सर्वेक्षण भी जल्दी ही शुरू होने जा रहा है।  इसको हरी झंडी मिलने का काम भी आखरी चरण में है।  रंग्पो- गंगटोक ट्रैक पर सेवक, रियांग और मोली स्टेशन बन चुके हैं। इसके अतिरिक्त तीस्ता बाजार में भूमिगत स्टेशन बनना है।  

इसके अलावा जिन दो रेल रूट का काम अंतिम चरण में हैं उनमें त्रिपुरा को बांग्लादेश और असम को भूटान से जोड़ने वाले दो अंतरराष्ट्रीय रेल मार्ग के काम ही हैं। इनके अतिरिक्त तीन और रेल मार्ग हैं जो भारत को सुपरफास्ट कनेक्टीविटी से चीन के करीब ले जाएंगे।  इस बारे में रेल अफसरों ने बताया कि अभी उनकी प्राथमिकता में सिक्किम और भूटान की दोनो रेल परियोजनाएं ही हैं।  

कुल 14 में से सात टनल बन चुके 120 किमी की रफ्तार वाले ट्रैक 

निरंतर पहल को पूर्वोत्तर रेलवे के सीईओ सब्यसाची डे ने बताया कि सिक्किम का सेवक -रंग्पो सबसे अहम रेल परियोजना है।  45 किमी लम्बी ट्रैक पर 14 टनल बनने हैं जिनमें से 7 का निर्माण पूरा हो चुका है। कहा गया है इस परियोजना का आधे से ज्यादा काम पूरा हो चुका है।  बिजली की लाइन बिछाई जा रही है ताकि ट्रेन को 120 किमी की गति मिल सके।  ट्रैक को तिब्बत में चीन की यादोंग काउंटी, सिक्किम और पं. बंगाल के बीच हिमालयन दोंग्यका रेंज में नाथुला दर्रे तक बढ़ाया जाएगा। 

त्रिपुरा , मणिपुर और असम को म्यांमार से जोड़ेंगे

अंतरराष्ट्रीय क्रास बार्डर रेल परियोजना के तहत त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से बांग्लादेश के अखोरा रेलवे स्टेशन को जोड़ रहे हैं।  कुल 865  करोड़ रुपये की परियोजना में भारत का 5 किमी तो बांग्लादेश का 10 किमी का हिस्सा शामिल है। अगले जून में इसका पहला परीक्षण होगा जबकि दिसंबर तक इसके काम शुरू होने की संभावना  बताई गई है।  कहा गया है कि इससे अगरतला से ढाका और फिर कोलकाता आने में 6 घंटे का समय लगेगा। जिससे समय की बहुत बचत होगी। अभी इसी यात्रा में 31 घंटे तक लग जाते हैं। 
   मणिपुर के इंफाल के मोरहे तक रेल पटरियां बिछाई जा रही हैं।मोरहे म्यांमार बार्डर पर भारत का अंतिम स्टेशन है। इस परियोजना के पूरा होने की तारीख दिसंबर 2024 है। दो तिहाई काम पूरा भी हो चुका है बाद में इस ट्रैक को म्यांमार के तामू से थाइलैंड तक बढ़ाने की तैयारी है। 
इसी तरह असम के करीमगंज जिले में महिषासन स्टेशन है जो 1966 से अभी तक बंद रहा है जिसे खोला जा रहा है। यह स्टेशन भारत- बांग्लादेश सीमा पर अंतिम और निष्क्रिय रेल सुविधा बिंदु है। बताया गया है कि महिषासन को बांग्लादेश के सिलहट जिले के शाहबाजपुर से जोड़ा जाना योजना में शामिल है। 

भारत-भूटानः चीन सड़ जोड़ रहा हम ट्रेन पहुंचा रहे...
चीन- भूटान के बीच 477 किमी लंबी सीमा है। अपना प्रभाव और प्रभूत्व बनाने के लिए चीन ने फारी को ट्रेमुला नामक एक गुप्त सड़क नामक एक गुप्त सड़क भूटान से जोड़ी है।
वहीं भारत 48 किमी लम्बा रंगिया दरम संग्दुप जोरखार रेल पटरियां बिछा रहा है। इसका काम भी अंतिम चरण में है। रंगिया दरम  असम में तो संग्दुप जोरखार भूटान में है।
इसी तरह असम के कोकराझार से भूटान के गेलूफू तक दिसंबर 2024 तक रेल चलाई जानी है। ये 58 किमी लम्बा ट्रैक है जिमसें सुरंगों का आधा से अधिक काम पूरा हो चुका है।  इसका काम पूरा होते ही कनेक्टीविटी चीन सीमा से दस किमी पहले तक हो जाएगी। 

सकारात्मक पक्ष –
महानंदा वन्यजीव अभयारण्य जो हाथियों का घर है वह रंग्पो- गंगटोक रूट पर है।ट्रेन से हाथियों को बचाने के लिए पूरे जंगल रूट पर विशेष सेंसर लगाए जा रहे हैं। हाथियों के झुंड की आहट पाते ही सेंसर ट्रेनों तक संकेतक भेजेंगे फिर लोकोमोटिव ड्राइवर ट्रेन को दस से बीस किमी की रफ्तार से चलाने लगेंगे ताकि हाथियों का समूह दिखते ही ड्राइवर ट्रेन को सुरक्षित दूरी पर रोक सके।