• 28 Apr, 2025

दुष्कर्म पीड़िता की मौत हुई तो दोषी को फांसी

दुष्कर्म पीड़िता की मौत हुई तो दोषी को फांसी

नई दिल्ली।  कोलकाता के कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक युवा डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद की गई हत्या के बाद उठी महिला सुरक्षा की मांग के बीच पं बंगाल विधानसभा ने मंगलवार 3 सितंबर को अपना एक अलग दुष्कर्म विरोधी बिल पास किया। इस अपाराजिता महिला और बाल विधेयक में पीड़िता की मौत होने या गंभीर मस्तिष्क क्षति का शिकार होने पर दोषी को मृत्युदण्ड और अन्य दोषियों को बिना  पैरोल उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।

  इसमें प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिन में जांच पूरी करने और महिला अफसर की अगुवाई में अपराजिता टॉस्क फोर्स बनाने का प्रावधान किया गया है।

   इस विधेयक के कानून के रूप में लागू होने के लिए बंगाल के राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक होगी। विधानसभा  के दो दिनों के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने कहा कि यह विधेयक सुनिश्चित करेगा कि महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म जैसे मामलों में सख्त सजा हो। ममता के मुताबिक वे चाहती थीं कि इस बारे में केन्द्र से ही पहल हो और केन्द्र की इस पर कोई कड़ा कानून लाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

 ममता बेनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उन मंत्रियों से इस्तीफा देने को कहा जो महिला सुरक्षा के लिए सख्त और प्रभावी कानून लागू नहीं कर पाये हैं।  ममता  बेनर्जी ने आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता पारित किये जाने से पहले बंगाल से मश्वरा तक नहींं किया गया। भाजपा नेता और विपक्ष नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रखा जिसे अस्वीकार कर दिया गया। भाजपा ने इसे राज्य सरकार की ड्रामेबाजी बताया है।

  •  अपराजिता ऐसे अलग है- 3 केन्द्रीय कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव
    बंगाल के प्रस्तावित विधेयक में भारतीय न्याय संहिता 2023 ( बीएनएस) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पाक्सो) 2012 में संशोधन की बात कही गई है। 
     
  •     बीएनएस की धारा 64 में दोषी को न्यूनतम 10 साल या उम्रकैद। अपराजिता में बाकी उम्र जेल में बिताने में जुर्माने या मौत की सजा का प्रस्ताव ।
  •     बीएनएस की घारा 66 में पीड़िता की मौत पर 20 साल की सजा, उम्रकैद या फांसी। अपराजिता में सिर्फ फांसी का प्रस्ताव।
  •    धारा 70 में सामुहिक दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा का प्रावधान है। अपराजिता में उम्रकैद या मौत की सजा का प्रावधान
  •    बीएनएस में पीड़िता की पहचान बताने पर 2 वर्ष सजा।  अपराजिता में 3-5 वर्ष की सजा, जुर्माना।
  •    बीएनएस की धारा 65 (1) 65 (2) 70 (2) में 16,12  व 18 वर्ष के अपराधियों के लिए रियायत । अपराजिता में सभी को एक समान सजा का प्रस्ताव ।
     
  • विधेयक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जा सकता है-
    राज्यों में अपराध और अन्य मामलों में केन्द्रीय कानून ही लागू होते हैं। राज्यों को अलग कानून बनाने का अधिकार है मगर वे किसी भी सूरत में केन्द्रीय कानूनों में बदलाव नहीं कर सकते। कोई राज्य यदि ऐसा करता है तो राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज सकते हैं। बंगाल में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में बदलाव का प्रस्ताव किया है तो ऐसे में विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

    तृणमूल विपक्षी दसो में शामिल हैं। ऐसे में बिल को मंजूरी मुश्किल है। इससे पहले आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने मौत की सजा अनिवार्य करने वाले विधेयक पेश किये लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली।