अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
नई दिल्ली। कोलकाता के कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक युवा डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद की गई हत्या के बाद उठी महिला सुरक्षा की मांग के बीच पं बंगाल विधानसभा ने मंगलवार 3 सितंबर को अपना एक अलग दुष्कर्म विरोधी बिल पास किया। इस अपाराजिता महिला और बाल विधेयक में पीड़िता की मौत होने या गंभीर मस्तिष्क क्षति का शिकार होने पर दोषी को मृत्युदण्ड और अन्य दोषियों को बिना पैरोल उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।
इसमें प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिन में जांच पूरी करने और महिला अफसर की अगुवाई में अपराजिता टॉस्क फोर्स बनाने का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक के कानून के रूप में लागू होने के लिए बंगाल के राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक होगी। विधानसभा के दो दिनों के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने कहा कि यह विधेयक सुनिश्चित करेगा कि महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म जैसे मामलों में सख्त सजा हो। ममता के मुताबिक वे चाहती थीं कि इस बारे में केन्द्र से ही पहल हो और केन्द्र की इस पर कोई कड़ा कानून लाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
ममता बेनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उन मंत्रियों से इस्तीफा देने को कहा जो महिला सुरक्षा के लिए सख्त और प्रभावी कानून लागू नहीं कर पाये हैं। ममता बेनर्जी ने आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता पारित किये जाने से पहले बंगाल से मश्वरा तक नहींं किया गया। भाजपा नेता और विपक्ष नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रखा जिसे अस्वीकार कर दिया गया। भाजपा ने इसे राज्य सरकार की ड्रामेबाजी बताया है।
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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