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• एक ही परिवार की 5 बच्चियां गई थीं नहाने, मछली पकड़ने गए ग्रामीणों ने 2 को बचाया। • ग्रामीणों ने शव सड़क पर रख घंटों किया चक्का जाम |
बिलासपुर। भवन निर्माण के लिए बालू (रेत) की मांग और उसकी आपूर्ति के लिए हुई प्रतिस्पर्धा का नतीजा है कि अरपा में नहाने गई तीन बच्चियों की रेत खनन से हुए बढ़े गड्ढे में फंस जाने से जान चली गई। अवैध रेत खनन से नदी की सतह पर 20 फिट गहरा गड्ढा बन गया था। बिलासपुर के कोनी क्षेत्र के ग्राम सेंदरी निवासी एक ही परिवार की तीन बच्चियां 17 जुलाई सोमवार को नदी में नहाने गईं थीं। वहां हुए गहरे गड्ढे से अनजान तीन बच्चियों की डूबने से मौत हो गई। मछली पकड़ने गए ग्रामीणों ने दो बच्चियों को बचा लिया।
अवैध रेत खनन का काम प्रदेश में चलता ही रहता है। बारिश में भी नदी में पानी का लाभ उठा कर अवैध खनन जारी है जिससे सतह पर गहरा गड्ढा हो गया है। इसकी खबर न होने से हादसा हुआ है। हादसे के बाद ग्रामीणों ने तीनों मृत बच्चियों के शव सड़क पर रखकर घंटों प्रदर्शन और विरोध में चक्का जाम किया। ग्रामीणों की मांग थी कि तत्काल प्रभाव से गांव से बहने वाली नदी से अवैध रेत खनन पर रोक लगानी चाहिए साथ ही पीड़ित परिवार को समुचित मुआवजा मिलना चाहिए इन दोनों मांगों को पूरा करने के प्रशासन के आश्वासन के बाद चक्काजाम हटाया जा सका।
अरपा नदीं में चंद रुपयों की अतिरिक्त कमाई के चक्कर में लगातार अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है। हालात यह है कि नदी में कई हिस्सों में बड़े और खतरनाक गड्ढे हो गए हैं। इन गड्ढों में डूबने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। सेंदरी गांव निवासी सुशील पटेल की बेटी पूजा( 18 वर्ष) अपनी छोटी बहन (14 वर्ष) सुशील के भाई मधु पटेल की बेटी (11 वर्ष) अपनी अन्य दो बहनों के साथ सुबह 8 बजे अरपा नदी में नहाने गईं थीं। प्रत्यक्ष देखने वालों के अनुसार नदी में कुछ दूर भीतर जाते ही एक एककर पांचों बच्चियां करीब 20 फिट गहरे गड्ढ़े में फिसल कर डूबने लगीं तो पास ही में मछली पकड़ रहे मछुवारों ने बच्चों को डूबते हुए देखा। डूब रही बच्चियों को बचाने की कोशिश के बाद दो बच्चियों को बचा लिया गया और पूजा, रितु और धनेश्वरी के शव बाहर निकाले गए। हादसे का पता चलते ही ग्रामीण उग्र हो गए और अवैध रेत खनन फौरन बंद कराने और मुवावजे की मांग को लेकर सड़क पर कई घंटों तक जाम लगा दिया वे धरने पर बैठ गए। प्रशासन के आश्वासन के बाद ही चक्का जाम खत्म किया जा सका।
अवैध रेत खनन से पांच साल में 18 मासूमों की जान गई | सुबह पांच बजे तक नदी से रेत निकाली जा रही थी ... |
अरपा नदी में अवैध खनन अभी से नहीं बल्कि सालों से बेरोकटोक चला आ रहा है। इससे पहले भी हादसों में बच्चों की जान गई है। पांच साल में इस रेत की हवस ने 18 बच्चों की जानें ले लीं। हर बार ही दुर्घटना के बाद गांव के लोग चक्का जाम करते हैं प्रदर्शन और चक्का जाम का असर सिर्फ इतना होता है कि आगामी कुछ दिनों के लिए अवैध रेत खनन बंद हो जाता है फिर वही ढाक के तीन पात कि फिर से रेत माफिया अपना कारोबार शुरु कर देते हैं फिर किसी की जान जाती है तो जाए इनकी बला से। | इस हादसे के बाद गांव के लोगों ने बताया कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक रेत का अवैध उत्खनन जारी रहता है। सोमवार की सुबह पांच 5 बजे भी रेत उत्खनन हो रहा था। रेत उत्खनन के काम आने वाली (हैवी अर्थ मूवर्स) जैसे जेसीबी, पोकलैंड और अन्य उत्खनन के काम आने वाली एक दर्जन ट्रकें नदी में मौजूद थीं। गांव वालों को हादसे का अंदेशा था क्योंकि इस तरह की दुर्घटनाएं पहले भी हो चुकीं हैं। खतरे को भांपते हुए दर्जनों बार शिकायत के बावजूद अवैध खनन को रोका नहीं गया इसकी दुष्परिणाम ये हुआ कि नहाने गई बच्चियों की तो खनन के बाद बने बड़े आकार के गड्ढे में गिरने से मौत हो गई। |
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