• 28 Apr, 2025

दुनियाभर में डेढ़ गुना बढ़ीं पत्रकारों की हत्याएं..

दुनियाभर में डेढ़ गुना बढ़ीं पत्रकारों की हत्याएं..

• 2022 में 67 मीडियाकर्मियों की हत्या की गई | • यूएन के कहा सचाई छापने वालों को निशाना न बनाए |

संयुक्त राष्ट्र। सचाई छापने या उजागर करने के खिलाफ सहनशीलता इतनी बुरी तरह कम हुई है कि दुनियाभर में पत्रकार हमलों की जद में हैं। सच बोलने वाले पत्रकारों का जीवन संकट में है। उन पर सभी जगह जानलेवा हमले हो रहे हैं। पिछले कुछ सालों से दुनियाभर में पत्रकारों की हत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। साल 2022 में विश्वभर में 67 पत्रकारों की हत्याएं हुई हैं। 
30वें वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे  के मौके पर एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा है कि दुष्प्रचार और हेट स्पीच सचाई और कल्पना, विज्ञान और षडयंत्र के बीच के अंतर को धुंधला करना चाहते हैं। इसका बद नतीजा यह हो रहा है कि सच खतरे में पड़ रहा है। रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के मुताबिक अभी कुल 31 देशों में स्थिति बहुत गंभीर है। उल्लेखनीय है कि इस इंडेक्स में शामिल कुल 180 देशों में से भारत 161 वें स्थान पर है।

जेल में बंद तीन ईरानी पत्रकारों ने जीता यूएन का शीर्ष अवार्ड..
न्यूयार्क।  विश्व निकाय ने प्रेस स्वतंत्रता के लिए उसका प्रमुख पुरस्कार –सचाई और जवाबदेही के प्रति प्रतिबध्द्ता के लिए जेल में बंद तीन ईरानी महिला पत्रकारों को दिया है। विजेताओं में नीलोफर हमीदी, एलाहेय मोहम्मद और नरगिर मोहम्मदी शामिल हैं। नीलोफर ने एक खबर के जरिए गत वर्ष हिजाब के खिलाफ पुलिस हिरासत में मौत का शिकार हुई 32 वर्षीया महसा अमीनी के बारे में लोगों को अवगत कराया था। एलाहेय ने अमीनी के अंतिम संस्कार के बारे में लिखा था और तीसरी विजेता नरगिस मोहम्मदी ने एक पत्रकार के रूप में कई वर्षों तक काम किया है।