कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
■ चीन 2046 में जी रहा है, इसकी तरक्की की रफ्तार देखते ही बनती हैं…..
डीजीसीए ट्रेनर और राज्य के पायलट नाइट फ्लाइंग की प्रैक्टिस के लिए उड़े थे लैंडिंग के समय हुआ हादसा दोनों की जान गई आग नहीं लगी या तो इंजन खराब हुआ या टेल रोटर बंद हो गया दूसरे ही दिन से सभी यात्री विमान निर्धारित समय पर उड़ने लगे
रायपुर
रा जधानी रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर 12 मई गुरुवार की रात अगुस्ता कंपनी का स्टेट हेलीकॉप्टर लाइफलाइन लैंडिंग की प्रैक्टिस के दौरान क्रैश हो गया। हादसे में छत्तीसगढ़ के सीनियर फ्लाइट कैप्टन जीके पंडा तथा डीजीसीए के पायलट अजय पी. श्रीवास्तव की मौके पर ही मौत हो गई।
एयरपोर्ट पर मौजूद सूत्रों के अनुसार डीजीसीए के पायलट यहां नाइट फ्लाइंग और लैंडिंग की प्रैक्टिस करवाने आए थे उन्हें और पंडा को रात में ट्रेनिंग का स्लॉट दिया गया था। रात 8:15 बजे दोनों पायलटों ने हेलीकॉप्टर डब्लूए 1090 से उड़ान भरी तो करीब घंटे भर बाद रात 9:10 पर हेलीकॉप्टर वापस रायपुर एयरपोर्ट के रनवे पर पहुंचा। कोस्टा बताते हैं कि इसी दौरान करीब 40-50 फीट की ऊंचाई से हेलीकॉप्टर रनवे पर आ गिरा और परखच्चे उड़ गए। रनवे पर हेलीकॉप्टर की अचानक गिरने की वजह से यहां खलबली मच गई। कुछ ही देर बाद हेलीकॉप्टर के मलबे से थोड़ा धुआं उठा और कुछ ही मिनटों में सीआईएसएफ के जवानों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। दोनों पायलटों को रामकृष्ण केयर अस्पताल पहुंचाया गया। उपचार शुरू होने से पहले ही दोनों को मृत घोषित कर दिया गया सीएम भूपेश बघेल ने दोनों पायलटों के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
चॉपर तीन कारणों से गिरते हैं :- 1. आग लगने से 2. इंजन बंद होने से और 3. टेल रोटर फेल होने से
( जैसा कैप्टन डीएस मिश्रा, पूर्व चीफ पायलट छत्तीसगढ़ ने बताया)
छत्तीसगढ़ के पूर्व पायलट और वर्तमान में उड़ीसा में बीजू जनता दल सरकार में मंत्री कैप्टन टीसीडीएस मिश्रा ने देर रात बताया कि इस तरह के हादसे तीन कारणों से ही हो सकते हैं पहला या तो हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के समय इंजन के किसी हिस्से में आग लग गई हो या सिंगल इंजन वाले चॉपर में अचानक इंजन खराब होकर फेल हो जाए या फिर हेलीकॉप्टर के पीछे लगे तीन रोटर में खराबी आने से पंखा बंद हो जाए। टीम ने उन्हें बताया कि मौके पर आग लगने के कोई निशान नहीं थे इस आधार पर कैप्टन मिश्रा ने अनुमान लगाया कि या तो हेलीकॉप्टर के टेल रोटर में खराबी आई होगी या का इंजन फेल हुआ होगा। इस तरह के हादसों में पायलट या को- पायलट को हेलीकॉप्टर या जान बचाने का मौका नहीं मिल पाता है सब कुछ इतनी तेजी से होता है कि तत्काल कुछ करना संभव नहीं हो पाता । यही वजह होगी कि हेलीकॉप्टर में दो-दो सीनियर पायलट होने के बावजूद उन्हें बचाव के लिए कोई समय नहीं मिला होगा और कुछ सेकेंड में हादसा हो गया। हालांकि डीजीसीए की फाइनल जांच रिपोर्ट में ही सही हादसे की वजह पता चलेगी।
16 साल पुराना अगस्ता का हेलीकॉप्टर अफसरों को लेकर एक दिन पहले ही लौटा था
राज्य सरकार का हेलीकॉप्टर 8 दिनों से सीएम के हेलीकॉप्टर के साथ उड़ान कर रहा था। यह 16 साल पुराना था इसलिए सुरक्षा के लिहाज से मुख्यमंत्री को इस में दौरा नहीं करवाया जा रहा था। इसी हेलीकॉप्टर से अंबिकापुर में सीएम दौरे में मौजूद एसीएस सुब्रत साहू, स्कूल शिक्षा सचिव डॉ एस भारथीदासन और आईएएस मनोज पिंगुआ एक दिन पहले ही लौटे थे। मुख्य सचिव अमिताभ जैन और इंटेलीजेंस चीफ डॉ आनंद छाबड़ा भी इसी से लगातार दौरा कर रहे थे। अगुस्ता कंपनी का हेलीकॉप्टर 6 सीटर और सिंगल इंजन वाला था।
पहले भी 2007 में सरकारी हेलीकॉप्टर पहाड़ियों पर क्रैश हो गया था
पहले भी छत्तीसगढ़ में दो हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुए हैं। दोनों में सरकारी हेलीकॉप्टर ही क्रैश हुए थे। पहला सरकारी हेलीकॉप्टर मैना 14 जुलाई 2007 को क्रैश हुआ था। जिसमें पायलट विक्रम सालेकर, कैप्टन संधू और टेक्नीशियन अमिताभ सोनी समेत चालक दल के चार सदस्य भोपाल गए थे । सुबह 11:50 बजे मैना ने भोपाल से रायपुर के लिए उड़ान भरी थी । यह यूरो- आफ्टर ऑटोमेटिक था इसे करीब 2:00 बजे रायपुर पहुंचना था लेकिन छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश की सीमा पर साले वारा में लांजी तहसील के पास झाड़ियों में टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था इसमें सभी की मौत हो गई थी।
एक ही जगह मिला मलवा, टेल रोटर 50 मीटर दूर मिला इसलिए कम स्पीड पर हादसे की आशंका
मौके पर मौजूद सूत्रों के अनुसार रनवे पर हेलीकॉप्टर का मलबा एक जगह मिला है उसका रोटर भी मलबे के साथ पाया गया। केवल 10 से 50 मीटर दूर पड़ा था और मलबे में जलने या विस्फोट के निशान नहीं मिले हैं। मलबे में जलने या विस्फोट के निशान नहीं होने के आधार पर जानकारों का अनुमान है कि यह हेलिकॉप्टर या तो लैंडिंग के ठीक पहले हवा में 20 से 50 फीट ऊंचाई पर स्थिर हुआ होगा और सीधे नीचे आ गिरा या फिर इसके ठीक पहले बहुत कम स्पीड रही होगी तब गिरा होगा। इसलिए मलबा दूर तक नहीं फैला ।
■ चीन 2046 में जी रहा है, इसकी तरक्की की रफ्तार देखते ही बनती हैं…..
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