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● सुप्रीम कोर्ट ने गलत तथ्य देने पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया ● कोयले की ढुलाई पर प्रति टन 25 रुपये की अवैध उगाही का मामला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कथित कोयला लेवी धन शोधन मामले में आरोपी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका गुरुवार 14 दिसंबर को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेद और न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा की पीठ ने अनुचित बयान देकर तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के मामले में सौम्या चौरसिया पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
पीठ ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता - न्याय के लिए अदालत का रुख कर रहे पक्षों से सभी पक्षों से सभी तथ्यों का पूर्ण और सही खुलासा करने की उम्मीद की जाती है और किसी पक्ष की तरफ से पेश होने वाले प्रत्येक वकील से उचित तरीके से अदालत की सहायता करने की आशा की जाती है। पीठ ने यह भी कहा कि गुण-दोष के आधार पर भी हमें कुछ नहीं मिला है। चूंकि इस मामले में गलत तथ्य पेश किए गए हैं इसलिए एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ अपील खारिज करते हैं।
उच्चतम न्यायालय जमानत याचिका खारिज करने के छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सौम्या चौरसिया की अपील पर सुनवाई कर रहा था।
संघीय जांच एजेंसी इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने पिछले साल आरोप लगाया था कि कोयला लेवी घोटाले को अंजाम देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों से समृध्द राज्य में एक बड़ी साजिश रची गई थी। इस घोटाले से पिछले दो साल में 540 करो रुपये अवैध ढंग से वसूले गए। धन शोधन का मामला आयकर विभाग की ही एक सिफारिश पर आधारित है। एजेंसी ने कहा था कि ईडी की जांच एक बड़े घोटाले से जुड़ी है इसमें वरिष्ठ नौकरशाह, कारोबारी, नेता और बिचौलियों से जुड़े एक गिरोह द्वारा छत्तीसगढ़ में कोयले की ढुलाई पर प्रति टन 25 रुपये अवैध उगाही की जा रही थी।
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